Tuesday 4 March 2014

36 वर्षें में ड़ेढ़ लाख करोड़ का साम्राज्य खड़ा करने वाले सुब्रत राय

सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय सहारा की जीवन कहानी किसी ब्लाकबास्टर फिल्मी कहानी से कम नहीं है। गोरखपुर से मैकेनिकल इंंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स करने वाला 30 साल का नौजवान 1978 में हजार-डेढ़ हजार रुपए से शुरुआत कर 36 सालों में डेढ़ लाख करोड़ से उढपर का बिजनेस एम्पायर खड़ा कर देता है। यह बिजनेस पर्सन कोई और नहीं निवेशकों को बीस हजार करोड़ का भुगतान न करने के आरोपी सहार इंडिया परिवार के चेयरमैनन सुब्रत राय सहारा हैं। फाइनेंस, रीयल स्टेट, मीडिया, हेल्थकेयर, एंटरटेनमेंट, कंज्यूमर गुड्स और टूरिज्म समेत कई क्षेत्रों में निवेश करने वाले सुब्रत राय का बिजनेस आज विदेशों तक फैला हुआ है। करीब 65 वषीय सुब्रत राय ने 1978 में सहारा ग्रुप बनाया। कारोबार की शुरुआत गोरखपुर से की इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने ग्रुप की शुरुआत सहारा बैंकिंग से करके बड़ी तादाद में जमाकर्ताआंs को जोड़ा और यहीं से आने लगा कहानी में ट्विस्ट। गोरखपुर से शुरू इस सहारा का सफर आज अरबों रुपयों तक पहुंच चुका है। राजनीति, बालीवुड और स्पोर्ट्स में अपनी चमक व पैसा बिखेरकर सहाराश्री अपने दबदबे को साबित करते रहे हैं। चिट फंड से लेकर कई नामी स्कीम्स चलाने के साथ ही सहारा ने रीयल एस्टेट, स्पोर्ट्स, बालीवुड और मीडिया के कारोबार में मजबूत पकड़ बनाई। यह सुब्रत राय की कड़ी मेहनत और सूझबूझ का नतीजा है कि उनकी विभिन्न कंपनियों ने देश के लाखों लोगों को रोजगार दिया। अलबत्ता एयरलाइन्स बेचने और भारतीय किकेट टीम से स्पान्सरशिप वापस लाने से सहारा गुप विवादों में भी रहा पर सेबी से टक्कर सुब्रत राय को महंगी पड़ी। सारा मामला सहारा गुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन ने रियल एस्टेट में निवेश करने के नाम पर वर्ष 2008 से 2011 के बीच वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिवेंचर (ओएफसीडी) के जरिए तीन करोड़ से अधिक निवेशकों से 17,400 करोड़ रुपए जुटाए थे। सितम्बर 2009 में सहारा पाइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए भारतीय पतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष दस्तावेज जमा किए, जिसमें सेबी को कुछ गड़बड़ियों का अंदेशा लगा। इसी बीच रोशन लाल सेबी के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंचा कि उसे पैसा वापस नहीं लौटाया जा रहा है। सेबी को मौका मिल गया और उसने अगस्त 2010 में दोनों कंपनियों की जांच के आदेश दे दिए। यहीं से सेबी बनाम सहारा लड़ाई शुरू हुई। सेबी पता नहीं किसके कहने पर सुब्रत राय के पीछे हाथ धोकर पड़ गई। सेबी ने एक सोची समझी रणनीति के साथ सुपीम कोर्ट को पूरे मामले में शामिल कर लिया। हालांकि अगर सेबी चाहती तो वह खुद मामले की तफतीश से लकर शर्तें न पूरा होने तक खुद निपटा सकती है। सरकार ने सेबी को और ताकत देने के लिए कानून में संशोधन तक कर दिया पर उसने गेंद सुपीम कोर्ट के पाले में डाल दी। जब इतना पैसा आता है और इतना रसूख हो जाता है तो आदमी यह समझने लगता है कि अब कोई भी ताकत उसे नहीं छू सकती। यही गलती या अहंकार की वजह से सुब्रत राय आज गिरफ्तार हो चुके हैं। सुपीम कोर्ट के गैर जमानती वारंट पर अमल करते हुए लखनऊ पुलिस ने सुब्रत राय को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। गोमतीनगर पुलिस ने राय को सहारा सिटी से गिरफ्तार कर सीएजी के सामने पेश किया। कोर्ट ने पुलिस और राय व उनके वकील का पक्ष सुनने के बाद उन्हें चार मार्च तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया। पुलिस ने सुरक्षा का हवाला देते हुए राय को फिलहाल वन विभाग के कुकरेले गेस्ट हाउस में रखा हुआ है। इससे पहले कोर्ट के पूछने पर सुब्रत राय ने अपने घर ही रहने की इच्छा जताई थी। कचहरी में भी पुलिस ने पिछले गेट से उन्हें भीतर ले जाकर सीजेएम आनंद कुमार की अदालत में पेश किया। सुब्रत राय ने लखनऊ में और नई दिल्ली में उनके बेटे सीमांतो राय ने अपने पिता की गिरफ्तारी पर सफाई दी। सुब्रत राय ने कहा कि बृहस्पतिवार शाम मां की मेडिकल रिपोर्ट लेकर मैं सहारा शहर लखनऊ से बाहर डाक्टरों के एक पैनल के पास सलाह लेने गया था लौटने पर पता चला कि पुलिस आई थी, मैं फरार नहीं हूं। सुपीम कोर्ट के 31 अगस्त 2012 और पांच दिसम्बर 2012 के आदेशों में भी मेरे विरुद्ध कोई निर्देश नहीं है। इसके बावजूद मुझे सबका सामना करना पड़ रहा है। मुझे खुद से घृणा होने लगी है। मैं इस स्तर की बदनामी और यातना बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूं। बहुत से लोगों ने मुझे सलाह दी कि मैं अस्पताल में भती हो जाऊं। मैं लखनउढ में हूं और हाथ जोड़कर विनम्रता से न्यायाधीशों से निवेदन करता हूं कि कोई मुझे 3 मार्च तक हाउस अरेस्ट कर मुझे बीमार मां के साथ रहने की अनुमति दे। नई दिल्ली में ठीक उसी समय जब सुब्रत राय गिरफ्तार हो रहे थे तो  उनके बेटे सीमांतो राय अपने अपने पिता को देशभक्त और कानून का पालने करने वाला बता रहे थे। आनन-फानन में शुकवार को आयोजित पेस कांपेंस में सीमांतो राय ने यह सफाई दी कि उनके पिता ने स्वेच्छा से लखनउढ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और वह अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुब्रत राय को उम्मीद थी कि सुपीम कोर्ट से उनकी मां की बीमारी को देखते हुए थोड़ी राहत मिलेगी लेकिन उन्होंने सुबह जब अपने फरार होने के संबंध में खबर पड़ी तो उन्हें बहुत कष्ट हुआ। इसके बाद उन्होंने आत्मसमर्पण का फैसला किया। सहारा समूह ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि सहारा ने सेबी के पास 5120 करोड़ रुपए जमा कराए हैं। यह रकम निवेशकों को लौटाने के लिए है। लेकिन सेबी के पास यह राशि जमा पड़ी है। बीते 18 महीनों में सेबी ने केवल एक करोड़ रुपए ही लोगों को दिए हैं। जहां तक 20,000 करोड़ रुपए की वापसी की बात है, सहारा पहले ही यह रकम लौटा चुका है। इसके पमाण में सौ से भी अधिक ट्रकों में कागजात सेबी के पास भेज चुके हैं। जहां सारी रात पार्टियां चलती थीं, बालीवुड का ग्लैमर बिखरता था, फिल्मी सितारे थिरकने को बेताब रहते थे, खेल जगत की नामचीन हस्तियां पिकनिक मनाती थीं। आज सुब्रत राय की गिरफ्तारी के बाद सन्नाटा और मायूसी छाई हुई है। वो सहारा शहर जो सुब्रत राय की आन-बान-शान है जिसे जिंदादिली और रंगीनियत का दूसरा नाम माना जाता था शुकवार को सुबह से उस सहारा शहर में मुर्दनी छाई हुई है। शाम सवा 5 बजे से सुब्रत राय की गिरफ्तारी होते ही सहारा शहर वीरान उजड़ा सा हो गया। सहारा शहर और तमाम सहारा समर्थकों को यकीन नहीं हो पा रहा है कि सुब्रत राय जैसी शख्सियत आज सलाखों के पीछे है। एक बात तो इससे साबित होती ही है कि कानून से उढपर कोई नहीं है और आज अगर सहाराश्री को यह दिन देखना पड़ रहा है तो उनके अहंकार और गलतियां करने की बड़ी वजह है। हां, यह भी कहना होगा कि सेबी भी उनके पीछे हाथ धोकर पड़ी है। 
öअनिल नरेन्द्र

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