Saturday 8 March 2014

लोकसभा चुनाव अखाड़ाः एनडीए बनाम यूपीए गठबंधन



लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ राजनीतिक दल चुनाव पूर्व गठबंधन को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। फिलहाल जो सियासी स्थिति नजर आ रही है उसमें तीन या चार गठबंधन बनने की संभावना नजर आ रही है। पहला गठबंधन कांग्रेस की अगुवाई वाला यूपीए है, दूसरा भाजपा नीत अगुवाई वाला एनडीए, तीसरा तथाकथित तीसरा मोर्चा और चौथा है आम आदमी पाटी का। कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए की अगर बात करें तो यह गठबंधन पिछले दस साल से सत्ता में है। लेकिन लगातार भ्रष्टाचार और घोटालों, महंगाई, बेरोजगारी, बिगड़ी कानून व्यवस्था के आरोपों और कमजोर पड़ती कांग्रेस की इस बार स्थिति बहुत डांवाडोल है। डूबते जहाज की स्थिति में आए यूपीए गठबंधन से कई घटक दल भाग चुके हैं और कई दल भागने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक पमुख हैं। बिहार में लालू ने कांग्रेस को अपनी शर्तें पर गठबंधन करने पर मजबूर कर दिया है। आंध्र पदेश में टीआरएस और यूपी में रालोद के साथ गठबंधन की तैयारी चल रही है। कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने और चुनाव अभियान में भी भाजपा से पीछे चल रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की चुनावी रैली का कार्यकम भी अभी तय नहीं हो सका। वहीं अभियान समिति के सदस्यों ने सोनिया गांधी और राहुल के सामने सवाल भी उठाया है कि उम्मीदवारों के ऐलान में एक बार फिर देरी हो गई है जबकि भाजपा की पहली सूची आ चुकी है। कांग्रेस की ताकत की अगर बात करें तो यह कहा जा सकता है कि उसने लगातार दस साल तक स्थाई सरकार दी है। कई जनहित योजनाओं को लागू किया है। कांग्रेस को इन राज्यों से ज्यादा उम्मीदें हैः जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल, महाराष्ट्र, झारखंड, पूर्वेत्तर राज्य बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना। दूसरा गठबंधन है भाजपा नीत एनडीए का। एनडीए ने चुनाव घोषणा से कुछ ही दिन पहले रामविलास पासवान के लोजपा से गठबंधन करके यह तो साबित कर ही दिया कि वह अब न तो सांपदायिक है और न ही इसको लेकर अछूत। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम स्टेट है। सभी भाजपा और नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकपियता व उनकी सभाओं में आ रही भीड़ से परेशान हैं। नरेंद्र मोदी 250 से अधिक जनसभा कर चुके हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के नेता पतिपक्ष अरुण जेटली को पाटी चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। जेटली के अलावा वेंकैया नायडू भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि चुनावी महासमर में भाजपा उनकी देखरेख में उतरेगी। दक्षिण राज्यों में चुनाव संचालन की जिम्मेदारी वेंकैया नायडू निभाएंगे। द्रमुक और एम करुणानिधि ने हाल ही में नरेंद्र मोदी की तारीफ करके यह स्ंाकेत दिया कि वह उनके साथ गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। अन्ना द्रमुक की जयललिता ने माकपा से गठबंधन तोड़ने की घोषणा करके संकेत दिया है कि उनके सारे विकल्प खुले हैं। तमिलनाडु की एमडीएमके व पीएमके पहले ही गठबंधन में शामिल हो चुकी हैं। पाटी के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में पहुंचती है तो यूपीए के कई सहयोगी दल भी उसके साथ आ सकते हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना , पंजाब में अकाली दल और हरियाणा में जनहित कांग्रेस पहले से ही एनडीए के घटक दल हैं। हरियाणा की बात करें तो हरियाणा कांग्रेस को बुधवार को उस समय तगड़ा झटका लगा जब पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा ने पाटी से अपना वर्षें पुराना रिश्ता तोड़कर कुलदीप विश्नोई वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस में शामिल होने का फैसला कर लिया। सूत्रों के अनुसार विनोद शर्मा भाजपा-हजकां गठबंधन के बीच हुए समझौते के तहत अब भाजपा में सीधा न आ कर हजकां में आएंगे। हजकां का एनडीए से गठबंधन है। इससे पहले कांग्रेस से राव इंद्रजीत सिंह आए थे। इस तरह हरियाणा में एनडीए को मजबूती मिलेगी। एनडीए की सबसे बड़ी ताकत निसंदेह उसके पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हैं। यूपीए की एंटी एम्बेसी का लाभ भी राजग को मिलेगा। मोदी की युवाओं में बढ़ती लोकपियता व जुड़ना भाजपा के लिए शुभ संकेत है। एक ताजा सर्वेक्षण (अगर उस पर आप विश्वास करें) टीवी न्यूज चैनल, सीएनएन-आईबीएन के अनुसार यूपी में भाजपा को कुल 80 सीटों में से 41-49 सीटें मिल सकती हैं। जबकि बिहार में भाजपा-लोजपा गठबंधन को कुल 40 सीटों में से 22-30 सीटें मिल सकती हैं। एनडीए की अगर कमजोरियों की बात करें तो देश के कई राज्यों में उसका कोई जनाधार नहीं है। हालांकि 2002 के गुजरात दंगों में मोदी को एसआईटी से क्लीन चिट मिल चुकी है पर मुसलमानों का वोट अभी भी एक चुनौती बना हुआ है। जहां से जीतने की एनडीए और भाजपा को उम्मीदें हैं कि वह पंजाब, यूपी, मध्य पदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली और गुजरात पमुख हैं। मैं अभी भी मानता हूं कि एनडीए सबसे आगे है पर कांग्रेस और यूपीए को राइट ऑफ करना सही नहीं होगा। कल तीसरे मोर्चे और आम आदमी पाटी वाले मोर्चे की बात करूंगा। 

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