चुनावी
मौसम में नए-नए सियासी गठबंधन और जोड़-तोड़ की बहार सी आ गई है। कौन आ रहा है, कहां जा रहा
है इसका तो हिसाब भी रखना मुश्किल हो गया है। इसी कम में कभी समाजवादी पाटी सुपीमो
के दाहिने हाथ माने जाने वाले अमर सिंह सोमवार को अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल
(आरएलडी) में शामिल हो गए हैं। एक लंबे अर्से के
बाद अमर सिंह फिर से किसी राजनीतिक दल के हिस्सा बने हैं। अमर सिंह के साथ फिल्म अभिनेत्री
जयापदा भी आरएलडी में शामिल हुईं। बताया जा रहा है कि चौधरी अजीत सिंह और अमर सिंह
के बीच दोस्ती की पींगे अचानक शुरू नहीं हुईं अमर सिंह को अच्छी तरह मालूम था कि उनको
लेकर कांग्रेस अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कई आपत्तियां हैं।
इसी वजह से कांग्रेस विवादित क्षेत्र के नेता अमर सिंह को अपने साथ जोड़ने में हिचक
रही थी, जबकि लंबे अर्से से कांग्रेस के हलकों में यह चर्चा थी
कि अमर सिंह और जयापदा दोनों कांगेस में आ रहे हैं। यह भी तैयारी थी कि अमर सिंह को
नोएडा से और जयापदा को रामपुर या मुरादाबाद से टिकट दिया जा सकता है। कांग्रेस नेतृत्व
को जयापदा के मामले में कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन अमर सिंह को पाटी में लेने के सवाल
पर राजीव शुक्ला जैसे कई कांग्रेसी नेता विरोध कर रहे थे। इन लोगों ने सोनिया गांधी
तक से गुहार लगाई थी। उन्हें आगाह किया गया था कि अमर के हाथ बहुत लंबे हैं। मोदी से
लेकर तमाम विराधी नेताओं तक उनकी पहुंच है। ऐसे में वह कांग्रेस के अंदर आ गए तो भारी
जोखिम हो सकता है। सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी लगातार ऐतराज कर रहे थे कि अमर सिंह
को पाटी में लिया गया तो एक नकारात्मक संकेत जाएगा, इसीलिए अमर
सिंह को लेकर फैसला टलता रहा। इस हिचक को देखकर अमर सिंह ने सोनिया गांधी से सीधा संपर्क
किया तो वहां से टाल-मटोल का जवाब मिला। उसके बाद अमर सिंह ने
अजीत सिंह की ओर हाथ बढ़ाया और अंतत सोमवार को वह अजीत की पाटी में शामिल भी हो गए।
इस मौके पर चौधरी अजीत सिंह को अपना नेता बताते हुए अमर सिंह ने यूपी के बंटवारे की
वकालत की। उन्होंने मुलायम सिंह यादव को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि राजनीति मैंने
मुलायम सिंह से ही सीखी है। जयापदा ने अमर सिंह को अपना गॉड फादर बताते हुए इशारों
में मुलायम पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमर सिंह ने जिस नेता के लिए खुद को समर्पित
कर दिया, उसने उन्हें मुश्किल वक्त में पहचाना तक नहीं। उन्होंने
ऐलान किया कि रामपुर में उन्हें बहुत प्यार मिला है और अब यूपी को ही अपनी कर्मभूमि
बनाएंगी। अगर जयापदा बिजनौर से चुनाव लड़ती हैं तो वहां का सियासी माहौल गर्म हो जाएगा।
रामपुर से सांसद रहकर राजनीति में नाम कमाने वाली जयापदा के ग्लैमर जगत से जुड़े होने
से बिजनौर सीट निश्चित तौर पर सुर्खियों में आ जाएगी। रालोद यूपी में आठ सीटों पर चुनाव
लड़ेगी। पाटी ने अभी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है। राजनीतिक हलकों में माना
जा रहा है कि अमर सिंह के साथ आने से अजीत सिंह को पश्चिमी उत्तर पदेश में नई ताकत
मिलेगी क्योंकि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट बिरादरी में भी पाटी की पकड़ कमजोर हुई
है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जाटों को आरक्षण देकर इस कमी की भरपाई पूरी हो सकती
है क्योंकि माना जा रहा है कि इसके पीछे केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह की काफी अहम
भूमिका रही है। देखें, अजीत-अमर की जोड़ी
सियासत में क्या गुल खिलाती है? खबर आई है कि अमर सिंह को फतेहपुर
सीकरी और जयापदा को बिजनौर से रालोद ने टिकट दे दिया है।
-अनिल नरेन्द्र
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