Sunday, 9 March 2014

लोकसभा चुनाव अखाड़ाः तीसरा मोर्चा बनाम आम आदमी पाटी

कल मैंने यूपीए और एनडीए गठबंधन की बात की थी। आज मैं तथाकथित तीसरे मोर्चे व आम आदमी पाटी वाले चौथे मोर्चे की बात करूंगा। इस तीसरे मोर्चे को बताने के लिए एक कहावत पर्याप्त है। कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा पकाश करात ने कुनबा जोड़ा। यह माकपा महासचिव का ही पयास है कि वह हाल  ही में दिल्ली में 11 दलों को एक मंच पर लाए और इसको थर्ड फंट की शक्ल दी। यह छोटे-बड़े सूबेदार अपने कारणों से एक मंच पर खड़े नजर आए। कुछ तो लोकसभा चुनाव इसलिए लड़ रहे हैं ताकि उनकी राष्ट्रीय पहचान बनी रहे तो कुछ अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए चुनावी दंगल में एक साथ खड़े दिख रहे हैं। अधिकतर  लोग 2014 की अगर लोकसभा त्रिशंकु आती है, तो उस सूरत में वह दबाव बनाने के लिए सौदेबाजी करने की स्थिति में आ जाएं, इसलिए साथ आए हैं। इनमें से कुछ तो त्रिशंकु लोकसभा में एक काम्पयाइज उम्मीदवार के रूप में पधानमंत्री बनने का भी अपना सपना आजमाना चाहते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पधानमंत्री बनने के लिए जो लोग इधर-उधर घूमते फिर रहे हैं वह तो उनसे कहीं ज्यादा काबिल और लायक हैं। नीतीश का इशारा साफ था कि मैं नरेन्द्र मोदी से बेहतर पधानमंत्री हो सकता हूं। उधर जयललिता ने भी स्पष्ट संकेत दिया है कि वह भी पीएम की रेस में शामिल हैं। हाल में गठित इस तीसरे मोर्चे में ममता बनजी को शामिल नहीं करने से अविचलित ममता ने इसे थका हुआ मोर्चा करार दिया। ममता को विश्वास है कि आगामी लोकसभा चुनावों के बाद अलग तरह के संघीय मोर्चे का देश में शासन होगा। ममता को जब से अन्ना हजारे का समर्थन मिला है तब से उनके पांव जमीन पर नहीं टिक रहे हैं। तृणमूल कांगेस ने चुनाव में एकला चलो रे पर चलते हुए पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। थर्ड पंट बनने के साथ-साथ बिखरना भी शुरू हो गया। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की पाटी अन्नाद्रमुक और लेफ्ट पार्टियों से गठबंधन हुआ था। सीपीआई और सीपीएम ने आईएडीएमके से गठबंधन तोड़ते हुए घोषणा की कि सीटों के बंटवारे को लेकर हुए मतभेद के कारण हम यह गठबंधन तोड़ रहे हैं और अब चुनाव हम अपने बलबूते पर लड़ेंगे। लेफ्ट से अलग होते ही चर्चा है कि जया अब भाजपा के साथ लोकसभा चुनावों में गठबंधन कर सकती हैं पर अगर वह भाजपा के साथ जाती हैं तो उनका पीएम बनने का सपना खत्म हो जाएगा गैर कांग्रेस-गैर भाजपा वाले तीसरे मोर्चे में शामिल पार्टियों की नीतियों में काफी अंतर है। इनमें से कुछ दल पहले यूपीए और एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं। जद-यू ने कुछ दिन पहले ही एनडीए से नाता तोड़ा है। वहीं सपा यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। थर्ड पंट की अगर बात करें तो अपने-अपने राज्यों में यह जनाधार वाले नेता हैं और दल हैं। अगर अंत तक इकट्ठे रहते हैं तो यह मिलकर दबाव बनाने की स्थिति में आ सकते हैं पर इनकी कमजोरी यह है कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर इनकी राय अलग-अलग है जिसमें पीएम पद के उम्मीदवार का मुद्दा भी शामिल है। वैसे जब-जब तीसरा मोर्चा केन्द्र  की सत्ता में आया है देश दस पन्द्रह साल पीछे चला जाता है। हमने श्री देवगौड़ का समय देखा जब वह कर्नाटक से बाहर हटकर ही नहीं सोंच पाए। इन सूबेदारों की दृष्टि, विजन राष्ट्रीय नहीं है अंतर्राष्ट्रीय तो छोड़ें यह अपने-अपने राज्य तक ही सोच सकते हैं। तीसरे मोर्चे की बात तो हम कर चुके हैं अब चौथे मोर्चे की बात करते हैं। यह है अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पाटी का मोर्चा। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुसी को लात मारकर राष्ट्रीय राजनीति में सिर्फ और सिर्फ एक मकसद से आए हैं। यह मकसद है नरेन्द्र मोदी और भाजपा के बढ़ते कदमों को रोकना। तभी तो चुनाव तिथियां घोषित होते ही केजरीवाल का पहला स्टाप अहमदाबाद और बहाना था गुजरात के स्टडी टूर का। 10 साल के विकास को केजरीवाल पता नहीं इस स्टडी टूर में देख सकते थे, यह बहस का मुद्दा है पर छूटते ही मोदी को निशाने पर लिया। अपनी-अपनी राय हो सकती है, हमारी राय में केजरीवाल और उनकी आम आदमी पाटी की विश्वसनीयता और लोकपियता दोनों में भारी गिरावट आ रही है। आम आदमी पाटी ने लोकसभा चुनावों के लिए 200 करोड़ रुपए इकट्ठे करने का टारगेट बनाया था। एक पमुख अंगेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इण्डिया की एक रिपोर्ट के अनुसार गत मंगलवार तक पाटी सिर्फ 10.56 करोड़ रुपए ही इकट्ठा कर पाई है जो कि टारगेट का महज 5 फीसदी है। जो चंदे का लेवल 29-30 लाख रुपए पतिदिन था वह गिरकर 4.92 लाख रह गया। जिस अन्ना हजारे के कंधे पर चढ़कर उनके आंदोलन को हाइजैक करके  केजरीवाल यहां तक पहुंचे वही अन्ना आज कहते हैं ममता बनजी के मुकाबले अरविंद केजरीवाल ने कम त्याग किया है। अन्ना हजारे ने एक सवाल के जवाब में कहा ः मैं ममता को उनकी व्यक्तिगत सोच के आधार पर पधानमंत्री पद के योग्य मानता हूं। भाजपा के दिल्ली पदेश अध्यक्ष डा. हर्षवर्धन ने तो केजरीवाल को भगोड़ा व सीआईए का एजेंट तक कह डाला। दिल्ली की विभिन्न अदालतों में आम आदमी पाटी के नेताओं के खिलाफ केस चल रहे हैं। खुद केजरीवाल को चुनाव आयोग चुनाव लड़ने से बैन कर सकता है। चुनाव तिथियां घोषित होते ही आम आदमी पाटी ने हिंसा शुरू करके यह सकेत दे दिया है कि इस चुनाव में हिंसा उनका सबसे बड़ा हथियार होगा। अरविंद केजरीवाल ने खुद स्वीकार किया कि मैं अनार्किस्ट हूं, अराजक हूं जो भारत की व्यवस्था को बदलने आया हूं। सुधार करने नहीं आया। वाम व माओवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए केजरीवाल हर मामले में स्टेट मशीनरी से टकराने को तैयार हैं। आम आदमी पाटी में टिकटों के बंटवारे को लेकर भी गम्भीर आरोप लग रहे हैं। पाटी कार्यकर्ताओं का खुला आरोप है कि अधिकतर लोकसभा टिकट पहले से ही तय थे और फोर्ड फाउंडेशन से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए गए हैं। यह आरोप और कोई नहीं बल्कि आम आदमी पाटी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य अश्विनी कुमार ने लगाया है। आम आदमी पाटी के संस्थापक होने का दावा करने के साथ ही उन्होंने यह गंभीर आरोप भी लगाया है कि मुरादाबाद सीट का टिकट एक करोड़ रुपए में बेचा गया। मुझे मालूम है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय अधिकतर सर्वेक्षण गलत साबित हुए पर इसका यह भी मतलब नहीं कि तमाम सर्वेक्षण सिरे से गलत होते हैं। हाल ही में सीएनएन, आईबीएन, सीएसडीएस का एक सर्वे आया है। इसके अनुसार एनडीए को 212-232, यूपीए 199-139, तीसरा मोर्चा 79-85 और आम आदमी पाटी 01-05 सीटें मिलने की संभावना है।
-अनिल नरेन्द्र


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