Tuesday 10 June 2014

अरुण जेटली के पहले बजट से अधिक उम्मीद न लगाएं

नरेन्द्र मोदी 30 साल बाद एक ऐसे दल की सरकार के प्रधानमंत्री बने हैं जिसके पास पूर्ण बहुमत है। देश की जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है तो उसने नई सरकार से ढेर सारी उम्मीदें भी लगा रखी हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने अपनी जनसभाओं में सरकार का एजेंडा पेश किया था जिस पर अब अमल की बारी है। मोदी को गुजरात की समृद्धि का वास्तुकार माना जाता है। उनके सामने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, महंगाई पर काबू पाना, रोजगार के अवसर बढ़ाने जैसी  कई चुनौतियां हैं। मोदी सरकार का पहला बजट जुलाई में पेश होगी। पेशे से रहे वकील अरुण जेटली को वित्तमंत्री बनाया गया है। जोड़तोड़ की राजनीति में माहिर जेटली वित्तीय क्षेत्र में कितने माहिर हैं यह तो बजट से पता चलेगा। मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है महंगाई पर काबू पाना। देश की जनता सबसे ज्यादा परेशान और हताश है लगातार बढ़ती महंगाई से। यूपीए सरकार की पराजय में सबसे बड़ा कारण महंगाई ही थी। अगर मोदी सरकार ने महंगाई न रोकने के बहाने दिए जैसे कि पिछली सरकार की देन इत्यादि तो जनता में इसका अच्छा संकेत नहीं जाएगा। महंगाई पर किसी भी तरह काबू पाना होगा। अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है। मोदी अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारेंगे, उनकी योजनाओं इत्यादि का हमें पता चलेगा उनके बजट से। उन्हें ऐसी योजना बनानी पड़ेगी ताकि फिर से देश के आर्थिक हालात मजबूत हो सकें और विदेशी निवेशकों को हमारी अर्थव्यवस्था पर विश्वास बढ़े और वो देश में निवेश करने के लिए उत्साहित हों। देश की बड़ी समस्या है बढ़ती जनसंख्या और घटता रोजगार। युवाओं का मोदी की इस अप्रत्याशित जीत में बहुत बड़ा हाथ है। उन्हें लगता है कि उनका भविष्य उज्ज्वल होगा। मोदी एक अंधेरी सुरंग में एक किरण के रूप में आए हैं और युवाओं ने उन्हें सिर पर बिठा लिया। युवाओं को बहुत उम्मीद है कि नए पीएम रोजगार सृजन के क्षेत्र में बड़े प्रयास करेंगे। सरकारी क्षेत्र में खाली पद भरे जाएंगे और निजी क्षेत्र में नए मौके मिलें ऐसी योजनाएं बनानी होंगी और इनकी झलक बजट में दिखनी चाहिए। उद्योग का क्षेत्र महत्वपूर्ण है। उद्योग जगत ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के साथ गत शुक्रवार को अपनी पहली बैठक में देश में निवेशकों को आकर्षित करने और आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के वास्ते कर माहौल बेहतर बनाने तथा सुधारों के मोर्चे पर ठोस पहल करने पर जोर दिया। वित्तमंत्री के साथ बजट से पहले आयोजित होने वाली परंपरागत बैठक में उद्योग जगत के प्रमुखों ने सबसे पहले पिछली तिथि से कर संशोधन के मुद्दे को सुलझाने को कहा। पिछली सरकार ने कर कानून में पिछली तिथि (बैक डेट) से संशोधन किया था। उद्योग जगत के प्रमुख पदाधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि राजकोषीय मजबूती वित्तीय स्थिति के साथ यदि दूसरे संरचनात्मक सुधारों को बढ़ावा दिया गया तो आर्थिक वृद्धि की गति को बढ़ावा मिलेगा। निर्यात पर सेवा कर से छूट दिए जाने पर भी जोर दिया गया। देश की 70… आबादी कृषि पर निर्भर है। लेकिन महंगी होती खेतीबाड़ी और उपज का बेहतर मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। खेतीबाड़ी को किसानों के लिए फायदेमंद बनाना होगा। कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी तय करने की नीति में बदलाव लाने की जरूरत है। सारा फोकस इस बात पर होना चाहिए कि कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़े और किसानों की आय में इजाफा हो। वित्तमंत्री को महंगाई रोकने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे। खासतौर पर सप्लाई के क्षेत्र में ध्यान देना होगा। कृषि क्षेत्र की समीक्षा की जरूरत है। सिंचाई योजना और नदी जोड़ो परियोजनाओं पर ध्यान देना होगा। जानकारों का तो कहना है कि जेटली के पहले बजट से अधिक उम्मीद न लगाएं। खुद वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है कि पिछली सरकार देश को बहुत बुरी स्थिति में छोड़ गई है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति बढ़ी हुई है, जीडीपी 5… से कम है। ऐसे में कुछ ज्यादा संभव नहीं है। प्रधानमंत्री भलीभांति समझते हैं कि महंगाई पर काबू पाना उनकी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। मोदी सरकार ने इसके लिए मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। इसके तहत गत शनिवार को मंत्रिमंडल सचिव अजित सेठ की अध्यक्षता में शीर्ष नौकरशाहों ने मौजूदा मूल्य स्थिति के साथ-साथ मानसून में देरी और कमी से मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए तैयारी की समीक्षा की। नरेन्द्र मोदी के पहले बजट पर देश की नजरें होंगी। जनता को उम्मीद है कि इस सरकार की प्राथमिकता होगी, महंगाई घटाना, विकास दर बढ़ाना और राजकोषीय घाटे को काबू में रखना।

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