Tuesday, 17 June 2014

पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से देना होगा

पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा शुक्रवार को फिर संघर्ष विराम का उल्लंघन करना और पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा से लगी भारतीय चौकियों पर फायरिंग करना नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए एक चुनौती है। क्षेत्र में संघर्ष विराम का उल्लंघन और फायरिंग पाकिस्तान के इरादों पर नए सिरे से सवालिया निशान भी लगाता है। शुक्रवार को पाक सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में गोले दागे और फायरिंग की। करीब आधा घंटा चली गोलाबारी में सेना की चौकी के साथ-साथ रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया गया। इससे पहले गुरुवार को दो आईईडी धमाके हुए थे। इसमें सेना का जवान शहीद हो गया था और मेजर समेत पांच जवान घायल हुए थे। सीमा पर हो रही इन घटनाओं के बीच शुक्रवार करीब 10 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सेना मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने वॉर रूम देखा और करीब पौने तीन घंटे तक सेना प्रमुख जनरल विक्रम सिंह से सैन्य तैयारियों और जरूरतों पर रिपोर्ट ली। यह घटना पाकिस्तान के इरादों पर नए सिरे से सवालिया निशान लगाता है। यह घटना एक ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भारत के प्रधानमंत्री के बीच पत्रों का आदान-प्रदान हो रहा है और दोनों ओर से अमन-शांति की पहल की जा रही है। पाकिस्तान की ओर से फायरिंग के कई कारण हो सकते हैं। पाकिस्तानी सेना व आतंकी संगठन शायद यह नहीं चाहते कि शरीफ-मोदी शांति वार्ता सफल हो। बौखलाहट में वह माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ ही दिनों में अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। यात्रा के दौरान आतंकी यात्रा में विघ्न डालने के लिए हमले करते हैं। पाकिस्तान यात्रा से पहले आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश भी करता है। अप्रैल के अंतिम हफ्ते से 15 मई तक पाक की ओर से 19 बार फायरिंग हो चुकी है। पिछले साल फायरिंग की 149 घटनाएं हुई थीं जिनमें हमारे 12 जवान शहीद हुए थे। भारत सरकार इसकी अनदेखी नहीं कर सकती कि गत दिवस सीमा पार से गोलियां बरसाए जाने के कुछ ही घंटे पहले पुंछ की सीमा पर बारुदी सुरंग से विस्फोट किए गए, जिसमें एक सैनिक शहीद हुआ और मेजर समेत छह अन्य जवान घायल हो गए। इधर अरुण जेटली (रक्षा मंत्री) पहली बार सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचते हैं और पहुंचने से ठीक पहले यह घटनाएं होती हैं। क्या यह समझा जाए कि सीमा पार से उकसाने वाली हरकतों को जानबूझ कर अंजाम दिया जाता है? रक्षा मंत्री ने शनिवार को कहा कि देश के सशस्त्र बल नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा किए जाने वाले संघर्ष विराम उल्लंघन का जवाब देने में सक्षम हैं। उल्लेखनीय है कि मोदी के पीएम बनने के बाद से अब तक नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना चार बार संघर्ष विराम  का उल्लंघन कर चुकी है। पाकिस्तान सरकार इससे अच्छी तरह परिचित है कि संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं आम तौर पर आतंकियों की घुसपैठ कराने के मकसद से होती हैं। मुश्किल यह है कि पाकिस्तान सरकार न तो आतंकियों पर कोई अंकुश लगाना चाहती है और न ही अपनी सेना पर। भले ही नवाज शरीफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हों पर न तो पाक सेना और न ही आतंकी संगठन इसमें रोड़ा लगाने से बाज आ रहे हैं। देश नरेन्द्र मोदी की ओर देख रहा है कि वह क्या नीति अपनाते हैं। अपने प्रचार में तो मोदी ने बहुत कुछ कहा था। अब देखना यह है कि उनमें से कितनी बातों पर अमल कर पाते हैं। शांति वार्ता और सीमा पर गोलाबारी व धमाके दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। यह जरूरी है कि भारत की ओर से पाकिस्तान सरकार के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया जाए कि सीमा पर शांति कायम रखना उसकी जिम्मेदारी है और वह अपनी इस जिम्मेदारी को ठीक से निभा नहीं पा रही है। भारत को सीमा पर अपनी तैयारी पूरी रखनी होगी और सेना को स्पष्ट आदेश देना होगा कि वह पाकिस्तान को माकूल जवाब दे। पिछले 10 सालों में यूपीए सरकार ने कुछ ठोस नहीं किया। पाकिस्तानी आकर हमारे जवानों के सिर काट कर ले जाते हैं और हम हाथ पर हाथ धरे सिवाय चेतावनी देने के कुछ नहीं करते। अब मोदी सरकार को अपने वादों पर पूरा उतरना होगा। पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से देना होगा। तभी जाकर यह जेहादी संगठन और पाक सेना भारत को गम्भीरता से लेगी।

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