Saturday 21 June 2014

अच्छे दिनों के सपने तोड़ने लगी महंगाई

अच्छे दिन लाने का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के लिए महंगाई बड़ी मुसीबत बनती दिख रही है। थोक महंगाई की दर मई में छह फीसद से कुछ ऊपर पहुंच गई जो पिछले पांच महीनों का उच्चतम स्तर है। अप्रैल में यह 5.2 फीसद थी और पिछले साल मई में करीब साढ़े चार फीसद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने के लिए कड़े फैसले लेने के संकेत दिए हैं, मगर महंगाई के ताजा आंकड़े बताते हैं कि उनकी पहली आर्थिक चुनौती बेकाबू होती कीमतों को नियंत्रण करने के रूप में सामने खड़ी है। जहां थोक महंगाई दर पांच माह में अपने उच्चतम स्तर पर है वहीं खाद्य पदार्थों की महंगाई दर दो अंकों के करीब पहुंच गई है। मोदी सरकार को सत्ता में आए एक महीना भी नहीं हुआ है लिहाजा इसके लिए उसे जिम्मेदार तो नहीं ठहराया जा सकता मगर यह नहीं भूलना चाहिए कि महंगाई एक ऐसा मुद्दा है जो सीधा आम आदमी को प्रभावित करता है और यह किसी भी सरकार को अलोकप्रिय बना सकता है। मोदी सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि यूपीए सरकार के जाने की एक बड़ी वजह यह महंगाई के मोर्चे पर उसकी चौतरफा नाकामी भी थी। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले जारी आंकड़ों के मुताबिक मई में खुदरा महंगाई तीन महीने के निम्न स्तर पर पहुंच गई थी। इससे उम्मीद जगी थी कि महंगाई का ताप और कम होगा, फलत जल्द ही ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ होगा। लेकिन खुदरा महंगाई में कमी से जगी उम्मीद को थोक महंगाई की वृद्धि ने धराशायी कर दिया है। अधिक चिन्ता की बात यह है कि हाल के दिनों में खासकर खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में यकायक वृद्धि होती दिख रही है। खासकर आलू, प्याज और हरी सब्जियों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मुसीबत मोदी सरकार के लिए यह भी है कि इराक में चल रहे गृहयुद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें बीते नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल को रुपए की कीमत में आई गिरावट की वजह भी मानी जा रही है। साफ है कि यदि इराक संकट जल्द ही नहीं सुलझा तो आयातित पेट्रो पदार्थों की ऊंची कीमतें महंगाई की समस्या को और बढ़ाएगी। इराक भारत का दूसरा बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है लिहाजा यदि वहां संकट लम्बा खिंचता है तो उसका असर भी अंतत हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इसके अलावा प्याज को लेकर नासिक के लासलपुर मंडी से आ रही खबरें भी आम आदमी की मुश्किलें बढ़ाती दिख रही हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि खाद्य प्रबंधन के जरिये महंगाई का नियंत्रण किया जा सकता है। वास्तव में सरकार महंगाई के लिए इराक संकट या कमजोर मानसून की आड़ में अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती, खासकर खाद्यान्न के मामले में तो यह इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि हमारा असल संकट इसके रखरखाव और वितरण का है। बेशक जब मोदी सरकार अपना पहला बजट पेश करेगी तो उसका आर्थिक रोड मैप सामने आएगा। लेकिन इस वक्त मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रण करने की होनी चाहिए। महंगाई की मारी जनता को तत्काल राहत चाहिए। ऐसे में वायदा व्यापार रोकना और जमाखोरी-कालाबाजारी को काबू करना जरूरी है।

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