Saturday, 14 June 2014

इस बार लोकसभा में नेता पतिपक्ष नहीं?

पधानमंत्री के भाषण के बाद ही संसद के पहले सत्र का समापन हो गया है लेकिन अभी तक नेता विपक्ष का मामला लटका हुआ है। अभी तक यह तय नहीं हो पाया कि चुनाव में करारी हार झेलने वाली कांग्रेस को नेता पतिपक्ष पद की कुसी मिल भी पाएगी या नहीं। इसको लेकर सतारूढ़ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है। यह जरूर है कि पधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरुआती दौर से ही विपक्ष के साथ अच्छे रिश्ते रखने का पयास कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा में नेता पतिपक्ष के सवाल पर उनका रुख भी स्पष्ट नहीं हो पाया। उल्लेखनीय है कि 16वीं लोकसभा में कांग्रेस के पास लोकसभा की इतनी भी सीटें नहीं आई है कि वह कानूनी रूप से इस कुसी के लिए अपना दावा ठोक सकें। क्योंकि नेता पतिपक्ष के लिए भी सदन में उसके पास कम से कम 54 सदस्य चाहिए लेकिन इस बार पाटी को कुल 44 सीटें ही मिल सकां। यह जरूर है कि इतनी कम सीटों के बाद भी कांग्रेस की हैसियत सबसे बड़े विपक्षी दल की है। लोकसभा में सबसे बड़े दल को ही नेता पतिपक्ष का पद मिलता है। यह कद कैबिनेट रैंक का होता है। खास बात यह है कि कई संवैधानिक पदों की नियुक्तियों में नेता पतिपक्ष की अहम भागीदारी रहती है। इसीलिए कांग्रेस नेतृत्व इस पद को लेने के लिए बेचैन है। पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली भी कह चुके हैं कि कांग्रेस के पास इस पद की दावेदारी के लिए पूरा आंकड़ा नहीं है फिर भी सबसे बड़े विपक्षी दल के नाते कांग्रेस का ही इस पद पर हक बनता है। यह फैसला स्पीकर के विवेक पर है। इस मामले में कांग्रेस पमुख सोनिया गांधी ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को एक पत्र भेजा है। पत्र में सोनिया ने लोकतांत्रिक परंपराओं का हवाला देकर कहा है कि नेता पतिपक्ष का पद कांग्रेस को मिलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने लोकसभा में अपनी पाटी का नेता पद दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को दिया है। भाजपा सूत्रों के अनुसार संसद सत्र के दौरान जिस तरह से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता खड़गे ने मोदी सरकार के पति तीखे तेवर दिखाए हैं ऐसे में भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे पर कांग्रेस के लिए कोई `कृपा' दिखाने के मूड में नहीं लगता। यह कोशिश भी चल रही है कि तृणमूल कांग्रेस और अन्नाद्रमुक का एक क्लब हो जाए तो इन दोनों दलों की संयुक्त ताकत लोकसभा में कांग्रेस से कहीं ज्यादा हो जाती है। उल्लेखनीय है कि अन्नाद्रमुक के 37 और तृणमूल के 34 सांसद हैं। कोशिश यह हो रही है कि यदि ममता और जयललिता में समझदारी बन जाए तो अन्नाद्रमुक के ही नेता को नेता पतिपक्ष का पद दिया जा सकता है। हालांकि इन दोनों ही दलों की मुखिया पार्टी में अपने सिवाय किसी और को इस अहम पद पर बिठाने से बच रही हैं। अगर 37 सांसदों वाली अन्नाद्रमुक और 34 सांसदों वाली तृणमूल की साझा दावेदारी नहीं होती है तो सत्ता पक्ष सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को यह पद देने पर विचार कर सकता है। माना जा रहा है कि इस मामले में अभी तक पधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ तय नहीं कर पाए हैं इसीलिए यह मामला लटका पड़ा है। अब सोनिया गांधी ने चिट्ठी लिखकर पहल कर दी है। ऐसे में संभावना है कि इस मुद्दे पर जल्द ही फैसला हो जाएगा।

-अनिल नरेंद्र

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