Wednesday 25 June 2014

हर खिलाड़ी के लिए सबक हैं मैसी, नेमार और रोनाल्डो

दुनिया के तीन अलग-अलग कोने में जन्मे तीन बच्चे। एकदम साधारण परिवार से। तीनों में समानताöफुटबाल के प्रति जुनून लेकिन चुनौतियां बड़ी-बड़ी। एक भयंकर बीमार, दूसरा गरीबी से मजबूर तो तीसरा सुविधाओं से दूर। लेकिन तीनों डटे रहे। खूब प्रैक्टिस की। खेल को निखारा। बड़े-बड़े क्लबों को मजबूर किया कि वह उन्हें अपनी टीम में लें। आज यह तीन युवा दुनिया के सबसे मशहूर फुटबाल सितारे हैं। यह तीन हैंöअर्जेंटीना के लियोनेल मैसी, पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो और ब्राजील के नेमार। 1986 में जिस विश्व कप ने मैराडोना को ख्याति दिलाई, उसके एक साल बाद यानि 1987 में अर्जेंटीना के ही रोजारियो शहर में लियोनेल मैसी का जन्म हुआ। अपने किसी भी हमउम्र बच्चे की तरह मैसी भी मैराडोना की तरह ही बनना चाहता था। 9 साल की उम्र में भी मैसी से 15-15 मिनट तक फुटबाल दूसरे बच्चे नहीं छीन पाते थे। मैसी 11 साल के थे जब उन्हें पता चला कि वह ग्रोथ हार्मोन की ऐसी कमी से जूझ रहे हैं जिसका जल्द इलाज नहीं किया गया तो उनके शरीर का विकास रुक जाएगा। इलाज भी बेहद कष्टकारक था लेकिन वह डटे रहे। वह रोज खुद अपनी जांघों पर हार्मोन का इंजैक्शन लगाते। सात दिन एक पैर में तो अगले सात दिन दूसरे पैर में। मैसी के परिवार के लिए इस इलाज का खर्च लगभग डेढ़ हजार डॉलर आसान नहीं था। मैसी के पिता जॉर्ज को उनके एक दोस्त ने बताया कि स्पेन का बार्सिलोना क्लब युवा फुटबालरों के इलाज का खर्च भी देता है। वह मैसी को लेकर परिवार सहित स्पेन आ गए। क्लब ने उनका इलाज करवाया। अब मैसी को तय करना था कि स्पेन में रहेंगे या अर्जेंटीना लौट जाएंगे? 14 वर्षीय मैसी ने फैसला सुनाया कि मैं स्पेन में रहूंगा और प्रोफेशनल फुटबालर बनूंगा। इस क्लब ने मेरे लिए इतना किया अब मुझे उसे कुछ लौटाना है। आज लियोनेल मैसी दुनिया के नम्बर वन खिलाड़ी हैं और करोड़ों युवाओं के आइडल। रोनाल्डो 14 साल के थे जब उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने टीचर पर कुर्सी फेंक दी थी। इस घटना के बाद उनकी मां ने कहा कि अब उसके सामने यही रास्ता बचा है कि वह पूरा ध्यान फुटबाल पर दें। रोनाल्डो अपने घर और परिवार से दूर लिस्बन स्पोर्टिंग अकादमी में आ गए। यहीं उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई। चार साल बाद 2003 में मैनचेस्टर यूनाइटेड ने अकादमी की टीम में एक दोस्ताना मैच खेला। नतीजा तो मैनचेस्टर यूनाइटेड के हक में रहा, लेकिन विजेता टीम के रियो फडिनांड, रियान गिब्स ने अपने कोच पर एलेक्स फर्गुसन से कहा कि रोनाल्डो को अपनी टीम में लें। रोनाल्डो एक ट्रेनिंग अकादमी से निकलकर सीधे दुनिया के जाने-माने क्लब में शामिल हो गए। क्लब ने इस चमत्कारी बच्चे को हासिल करने के लिए 17 मिलियन डॉलर चुकाए। रोनाल्डो एक हार्डवर्पर हैं जो हमेशा ज्यादा से ज्यादा हासिल करना चाहते हैं। वह एक महत्वाकांक्षी मशीन हैं। यह साबित करता है कि उनका कैरियर रिकार्ड। 2009 से रियल मैड्रिड की ओर से खेल रहे रोनाल्डो कहते हैं कि मेरा सपना है कि मैं अपने देश पुर्तगाल को एक वर्ल्ड कप जीत कर दूं। ब्राजील के शहर साओ पाओलो के नजदीक मोगी दा क्रज में नेमार की परवरिश हुई। पढ़ाई एक ऐसे सरकारी स्कूल में, जहां न ठीक से पढ़ने की सुविधा थी न खेलने की। ब्राजील में फुटबाल से ही मिलता-जुलता एक खेल फुटसाल बेहद लोकप्रिय है। जो बास्केटबाल कोर्ट में खेला जाता है। इसमें सारा दमखम इसी बात का होता है कि एक छोटे से कोर्ट में कम उछाल वाली भारी फुटबाल पर ज्यादा से ज्यादा नियंत्रण कैसे रखा जाए। ऐसे ही बाल को साधते-साधते नेमार 9 साल की उम्र तक असाधारण फुटबालर बन गए। अच्छी फुटबाल खेलने के कारण उन्हें साओ पाओलो के एक प्राइवेट स्कूल ने स्कॉलरशिप दे दी। 16 साल की उम्र में ही नेमार को सांतोष फुटबाल क्लब ने प्रोफेशनल के रूप में मान्यता दे दी। 19 साल की उम्र तक वह दुनिया के महान फुटबालरों में गिने जाने लगे। उन्हें फीफा प्लेयर ऑफ साउथ अमेरिका चुना गया। अब तक यह मुकाम मैराडोना और पैले ही हासिल कर पाए थे। नेमार की इस उपलब्धि की खास बात यह थी कि उन्होंने ऐसा बिना यूरोप में खेले ही हासिल किया था। उनकी जीनियस को टीवी पर देख-देखकर ही मैनचेस्टर यूनाइटेड, चेलसी, रियाल मैड्रिक और बार्सिलोना जैसे क्लबों में होड़ लग गई उन्हें धनी टीम में शामिल करने की। पिछले साल मई में 190 मिलियन यूरो की भारी-भरकम रकम चुकाकर बार्सिलोना क्लब ने अपनी टीम में शामिल किया। महज 22 साल के नेमार को आज मैसी और रोनाल्डो के बराबर दर्जा दिया जाता है। इन तीन महान फुटबालरों की जीवनी से यह साबित होता है कि अगर आपमें लग्न और हुनर है, दृढ़ इच्छाशक्ति है तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हो।

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