मोदी सरकार को सत्ता संभाले हुए महज कुछ ही दिन हुए
हैं लेकिन सत्ता के गलियारों में एक दम नए किस्म की तस्वीर दिखाई देने लगी है। मंत्रालयों
के बड़े-बड़े अफसर भी डरे और सहमे हुए
दिखाई पड़ रहे हैं। आलम यह है कि लेट-लतीफ आने के आदी हो चुके
बड़े साहब भी अब आधा घंटा पहले आकर अपनी कुर्सियों पर जम जाते हैं। प्रधानमंत्री के
आकस्मिक दौरे के खौफ से हलकान है। क्योकि पीएम ने सचिवों की बैठक में आगाह कर दिया
है कि वे मंत्रालयों में कभी भी दौरा करने के लिए आ सकते हैं। उन्हें यह पसंद नहीं
है कि सरकार का कोई भी कार्यालय अव्यवस्थित अवस्था में मिले। सहमे हुए कई अधिकारी गुजरात
कैडर के आला अफसरों से यह जानकारी ले रहे हैं कि मोदी जी के दौरे का तौर-तरीका गांधी नगर में किस तरह का रहता है। इन लोगों को बताया गया कि मोदी जी कार्यालयों
के टायलेट तक का भी निरीक्षण कर लेते हैं। यदि वहां गंदगी मिली तो खफा हो जाते हैं।
मेनका गांधी के मंत्रालय ने तो बाकायदा एक सर्पुलर जारी कर दिया है जिसमें कहा गया
है कि कार्यालय के समय में कोई भी पान या गुटखा नहीं खाएगा। सिगरेट भी कार्यालय के
अंदर नहीं पी सकता। ऐसे में मुश्किल उन अफसरों को आ रही है जो धुआंधार सिगरेट पीने
के आदी हो चुके हैं, वे मौका देखकर सिगरेट का कश लगाने के लिए
बाहर का कोई कोना ढूंढते दिखाई पड़ते हैं। आलम यह है कि मोदी की धमकी ही मंत्रालयों
में अनुशासन लाने के लिए काफी है। मंत्रिपरिषद की बैठक में भी प्रधानमंत्री अपनी टीम
को नसीहत दे चुके हैं कि वे मीडिया के स्टिंग ऑपरेशन से बच कर रहें। यह तभी संभव है
जबकि वे किसी तरह की गड़बड़ी का इरादा नहीं रखते हों। इसके साथ ही यह भी तय कर लें
कि अनजान लोगों के साथ किसी तरह की बात नहीं करें वरना उनकी जीरो टालरेंस की नीति सब
पर भारी पड़ेगी। मोदी का सारा जोर गुड गवर्नेंस पर है। इसलिए कैबिनेट सचिव ने सभी मंत्रालयों
को निर्देश दिए हैं कि सभी तरह के फार्म छोटे किए जाएं। इनमें गैर जरूरी सूचनाएं न मांगी जाएं। फाइलें जल्द
निपटाने के लिए भी कई तरह के फार्मूले बने हैं। इसी कड़ी में कैबिनेट सचिव ने निर्देश
दिए हैं कि सभी फाइलें केवल चार स्तरों पर ही निपटाई जाएं ताकि जरूरी फाइलों में कोई
देरी न हो। यह खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महंगाई को कम करने
की अपनी सरकार की पहली प्राथमिकता बनाई है। इस मुद्दे पर वित्तमंत्री अरुण जेटली भी
लगातार सक्रिय हैं। उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र मोदी खुद सुबह 9 बजे से पहले ही साउथ ब्लाक स्थित कार्यालय में पहुंच जाते हैं। एक दिन तो मोदी
ने कैबिनेट सचिव के दफ्तर में ही कम्प्यूटर की क्रीन पर अंगुली लगाई तो उनकी अंगुली
पर धूल के कुछ कण आ गए। यह देखकर कैबिनेट सचिव भी हिचकिचा गए। इस पर मोदी मुस्कुराए
और बोले यदि आपके भी कम्प्यूटर पर धूल जमेगी तो इस देश के नौकरशाहों पर धूल की तमाम
परतें जम जाएंगी। मोदी लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों से चढ़ना पसंद करते हैं। मतलब साफ है
कि सीढ़ियां साफ होनी चाहिए। लोकसभा चुनाव प्रचार में भाजपा की तरफ से अच्छे दिन आने
वाले हैं का नारा काफी लोकप्रिय हुआ था। प्रधानमंत्री ने अपना कार्यभार संभालते ही
इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए मंत्रालयों
में कवायद तेज हो गई है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में
रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय
के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे
20 जून तक कार्मिक मंत्रालय को अपने मंत्रालय में रिक्त पदों की सूचना
भेज दें। दिशानिर्देश से रेलवे से लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सक्रियता देखी
जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पिछले पांच
सालों से 200 पद रिक्त पड़े हैं। वित्तीय संसाधनों की कमी के
कारण वित्त मंत्रालय इन पदों को भरने की मंजूरी नहीं दे रहा था। रेलवे मंत्रालय के
अधिकारी बातचीत में स्वीकारते हैं कि रिटायरमेंट हर साल हो रहे हैं लेकिन उस हिसाब
से भर्ती नहीं हो रही। इससे कामकाज प्रभावित हो रहा है। नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने
के बाद अब लगने लगा है
कि सरकार नाम की कोई चीज है पर पिछले 10 सालों में आई गिरावट
से उभरने में थोड़ा समय तो लगेगा। मोदी ने शुरुआत तो अच्छी की है। देखें, इसके परिणाम कब और कितने आते हैं।
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