Saturday 28 June 2014

अखिलेश यादव को `दुश्मन' राज्यपाल के आने का डर सता रहा है

बढ़ते अपराध के कारण उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग के बीच राज्यपाल बीएल जोशी के विदा होने से सपा सरकार की परेशानी पर परेशानी की कुछ और लकीरें खिंच गई हैं। पहले से ही चुनौतियों के बोझ तले दबी अखिलेश यादव सरकार के लिए जोशी द्वारा दिया गया इस्तीफा कोढ़ में खाज वाली कहावत को चरितार्थ करने जैसे साबित हो रहा है। सरकार को इस बात का डर है कि कहीं जोशी का उत्तराधिकारी उनकी समाजवादी सरकार के साथ दोस्ती न निभाए तो क्या होगा? बीएल जोशी (78) पुलिस अधिकारी रहे हैं। उनकी नियुक्ति केंद्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के जमाने में हुई थी और वह भिन्न प्रवृत्तियों वाले दो मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव के साथ मधुरता कायम रखने में कामयाब रहे। लखनऊ में पांच वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान जोशी वास्तविक राजनीति से दूर ही रहे। उन्होंने तभी सरकार को टोका जब स्थिति बिल्कुल पटरी से उतरती दिखी। राजभवन ने सरकार से संबंधित अपने विचारों को मीडिया के जरिये कभी व्यक्त  नहीं किया और जिन मुख्यमंत्रियों के साथ जोशी ने काम किया उनसे सीधी बातचीत की। समाजवादी पार्टी की सरकार को इस बात की आशंका है कि कहीं कानून व्यवस्था सहित तमाम मुद्दों को आधार बनाकर नए राज्यपाल आए दिन सवाल-जवाब न करें। राजभवन की तरफ से यदि ऐसा हुआ तो अखिलेश यादव के लिए नई परेशानी पैदा होगी, जिससे निपटना इतना आसान नहीं होगा। लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में सहयोगी अपना दल के साथ 73 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सरकार बनाने के बाद से लगातार अखिलेश यादव की सरकार की बर्खास्तगी की मांग करती आ रही है। अब तक आधा दर्जन से अधिक बार पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकान्त वाजपेयी अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ उत्तर प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था और बिजली कटौती को आधार बनाकर पूर्व राज्यपाल बीएल जोशी से मुलाकात कर सरकार को बर्खास्त करने संबंधी ज्ञापन दे चुके हैं।  सपा सरकार को इस बात का भय सता रहा है कि कहीं मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल में राज्यपाल रहे टीवी राजेश्वर सरीखा हाल उसका दोबारा न हो। उस दौर में राज्य सरकार और राजभवन कई मर्तबा आमने-सामने आ गए थे और दोनों के बीच टकराव के हालात पैदा हो गए थे। अभी अखिलेश सरकार की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश में  लगभग रोज हो रहीं सनसनीखेज वारदातें पहले ही मुख्यमंत्री को मुश्किलों में डाले हुए हैं। एक पखवाड़े के भीतर प्रदेश के दो प्रमुख सचिवों गृह सचिव डॉ. एके गुप्ता और दीपल सिंघल को बदलना इस बात की ओर इशारा करता है कि कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार किस तरह छटपटा रही है। हाल ही में बड़ी संख्या में जिलाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों के तबादले कर मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने का दांव चला है। अब बड़ा सवाल यह है कि ऐसे हालात से निपटने में नए राज्यपाल कौन-सी भूमिका अदा करते हैं? अब जोशी के विदा होने पर राज्य सरकार को दुश्मन राज्यपाल के आने का डर सता रहा है।
-अनिल नरेन्द्र


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