Wednesday 4 June 2014

रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई

बड़े अफसोस की बात है कि लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी के हाई कमान का न तो अहंकार खत्म हुआ है और न ही सही प्रकार का आत्मचिन्तन हुआ है। जहां पार्टी कार्यकर्ता कांग्रेस की दारुण पराजय के बाद बिलख रहा है वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पुत्र मोह के कारण पार्टी में कोई बदलाव करने को तैयार नहीं हैं। जिन घिसे-पिटे चेहरों को लोकसभा चुनाव में जनता ने ठेंगा दिखा दिया उन्हीं फ्लॉप प्यादों के सहारे सोनिया पार्टी को फिर से खड़ा करने की उम्मीद पाले हुए हैं। इसका नतीजा यह हो रहा है कि लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमले तेज हो रहे हैं। अब राजस्थान के एक कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा ने राहुल गांधी पर यह कहते हुए हमला किया कि वह जोकरों की टीम के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) हैं। उनके पास न तो दिशा है और न ही कोई नीति। इससे पहले राहुल को जोकर कहने वाले केरल के पूर्व मंत्री टीएम मुस्तफा को कांग्रेस से निलम्बित किया जा चुका है। भंवर लाल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पुत्र मोह छोड़कर पार्टी को लोकतांत्रिक तरीके से मजबूत करना चाहिए। शर्मा ने कहा कि राहुल और उनके सलाहकार पार्टी की शर्मिंदगी और चुनाव हार के लिए सीधे जिम्मेदार हैं क्योंकि उनका न कोई जनाधार है और न ही उनमें राजनीतिक समझ है। राहुल इन जोकरों की टीम के एमडी हैं। लेकिन पार्टी किसी की भी निजी सम्पत्ति नहीं है। दो-तीन लोग राहुल को सलाह देते हैं जो जमीनी हकीकत नहीं समझते। नाम पूछने पर शर्मा ने कहा कि कौन जोकर नहीं है? दिग्विजय सिंह और सीपी जोशी ने कभी सही बयान दिए ही नहीं? उन्होंने सवाल उठाया कि चुनावी हार के बाद मंथन का क्या फायदा। मंथन तो टिकट वितरण से पहले होना था लेकिन टिकट बांटने का महत्वपूर्ण काम ऐसे जनाधारविहीन नेताओं को सौंप दिया गया। कांग्रेस से निकाले जाने की आशंका को खारिज करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि सच्चाई बतानी जरूरी थी और पार्टी की कार्रवाई से कोई फर्प उन पर नहीं पड़ता। हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की वाले पार्टी के नारे की खिल्ली उड़ाते हुए कहा जा रहा है कि एक हाथ शक्ति और हाई कमान की तरक्की। इसे कहते हैं कि रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब भी हाई कमान को बोध नहीं हुआ तो कांग्रेस को फिर से खड़ा करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। कांग्रेस से प्राप्त खबरों से लगता है कि उपाध्यक्ष पर हो रहे हमलों को पार्टी तवज्जो देने के मूड में नहीं है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह कोई गम्भीर मुद्दा नहीं है, राज्य इकाइयां इससे निपट लेंगी। वहीं तमिलनाडु में कांग्रेस में मचे अंदरूनी घमासान को शांत करने की कोशिश हो रही है। 29 मई को पूर्व वित्त मंत्री के बेटे कार्ती चिदम्बरम, पूर्व सांसद केएस अलागिरी और पी. चिदम्बरम के कई अन्य समर्थकों ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में पार्टी की अप्रत्याशित हार हुई क्योंकि नेतृत्व ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा था। उन्होंने पी. चिदम्बरम पर सीधा आरोप लगाया कि कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह चिदम्बरम हैं जो महंगाई पर काबू पाने में विफल रहे। चुनाव में करारी हार की वजह से कांग्रेस में राहुल गांधी को निशाने पर लिए जाने के बाद अब पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी हमला हुआ है। बिहार में किशनगंज से सांसद असरारुल हक ने नेतृत्व के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी से मुलाकात नहीं करनी चाहिए थी। इस मुलाकात का सही संदेश नहीं गया। हर तरफ गलत संदेश गया और इसकी वजह से मुस्लिम वोट उल्टे कट गए। हमें संदेह है कि पार्टी नेतृत्व इन आलोचनाओं को गम्भीरता से लेगा और लीपापोती करके सभी आलोचनाओं को दबा दिया जाएगा। जैसे मैंने कहाöरस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई।

-अनिल नरेन्द्र

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