Wednesday, 25 June 2014

इराक में फंसे भारतीयों को सुरक्षित कैसे निकालें?

छावनी कलां गांव का परमिन्दर भगवान का शुक्रिया अदा कर रहा है कि इराक में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड अलशाम आतंकवादियों द्वारा अगवा किए जाने से बाल-बाल बच गया। तेहराक नूर अल हुदा नाम की कंस्ट्रक्शन कम्पनी में काम करने वाला परमिन्दर छुट्टी पर आया था और किसी कारण से वापस नहीं जा पाया। इराक में काम कर रहे 17 हजार भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के हैं। आईएसआईएस के कब्जे में फंसे भारतीयों की संख्या 300 के करीब है जिन्हें बंदूक की नोंक पर बंधक बना लिया गया है। एक अन्य अनुमान के अनुसार पंजाब और हरियाणा के करीब 700 लोग संघर्षरत इराक में फंसे हुए हैं। यह जानकारी दोनों राज्यों ने ही दी है। पंजाब सरकार ने 574 लोगों की सूची सौंपी है जबकि हरियाणा के अधिकारियों ने बताया कि इराक में फंसे 147 लोगों के परिजनों ने उनका ब्यौरा सौंपा है। इराक में फंसे भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मोसुल में अगवा किए गए 40 भारतीयों में से एक भले ही चरमपंथियों के कब्जे से निकल भागा है पर वह अब भी इराक में है। इस बीच इक्का-दुक्का लोगों के इराक से लौटकर आने की सुखद सूचनाएं भी हैं पर उनके बारे में अभी सिर्प उम्मीद की जा सकती है जो वतन लौटने के लिए व्याकुल तो हैं पर फिलहाल उनके लौटने की कोई सूरत नहीं दिख रही है। इराक के मोसुल शहर में बंधक 39 भारतीयों की सांसें अब भी अटकी हैं। उन्हें छुड़ाने के लिए पर्दे के पीछे से किए जा रहे प्रयास लगातार जारी हैं। इस बीच हमले की दशा में आतंकवादी संगठन आईएसआईएल द्वारा बंधक भारतीयों को ढाल बनाए जाने की खबरों ने भारतीय खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है। आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका द्वारा हवाई हमले शुरू करने पर यह आतंकी भारतीयों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। हिंसाग्रस्त क्षेत्र में केरल की 46 नर्सों समेत फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने की योजना भी फिलहाल परवान नहीं चढ़ पाई है। इस बीच इराक छोड़कर वापस आने वालों को पासपोर्ट न देकर स्थानीय कम्पनियों ने सरकार के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। विदेश मंत्रालय ने जानकारी देने के लिए 24 घंटे चलने वाला कंट्रोल रूम बनाया है। यहां ज्यादातर लोग स्थानीय कम्पनी द्वारा स्वदेश वापसी के लिए पासपोर्ट न देने की शिकायत कर रहे हैं। इराक के शहर मोसुल पर कब्जा किए हुए इराकी विद्रोहियों को दो हफ्ते का वक्त बीत चुका है। वहां के निवासियों का कहना है कि विद्रोही समाज को एक सदी पुराने कठमुल्लापन के हालात में धकेल रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने फोन पर बताया कि शहर पर कब्जे के दिन से ही जेहादियों ने यहां इस्लामिक कानूनों को अतिवादी ढंग से लागू करना शुरू कर दिया है। शहर पर नियंत्रण के तुरन्त बाद विद्रोहियों ने इसे इस्लामिक राष्ट्र का हिस्सा घोषित करते हुए नए कानून लागू करने वाले दस्तावेज जारी कर दिए थे। 16 पन्नों वाले इन दस्तावेजों के अनुसार शराब, नशे की दवा और सिगरेट की बिक्री के साथ ही समूह में इकट्ठा होने और हथियार रखने पर भी रोक लगाई गई है। महिलाओं को पूरा शरीर ढंकने वाले कपड़े पहनने और घर के अन्दर रहने की हिदायत दी गई है। तीर्थस्थलों को ध्वस्त किया जा रहा है। मोसुल के एक ईसाई अबु रामर्जी ने बताया कि विद्रोहियों ने चर्च के सामने लगी वर्जिन मेरी की प्रतिमा भी तोड़ दी है। इराक में छिड़ी जंग में शामिल होने के लिए भारत के शिया समुदाय की ओर से भी मुहिम छेड़ दी गई है। ऑल इंडिया शिया हुसैनी फंड की तरफ से शहादत के लिए फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। इसके लिए युवाओं को 40 लाख तक के पैकेज की बात कही गई है। जोन के 8 जिलों में इस तरह की गतिविधियां मिलने पर पुलिस और एलआईयू की नजर है। रिपोर्ट से पता चला है कि इस्लामाबाद, कौराबी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, हमीरपुर, बास समेत अन्य जिलों में शहादत के लिए फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। हॉस्टलों और मुस्लिम युवाओं में फॉर्म बांटे जा रहे हैं। कुल मिलाकर इराक की स्थिति बहुत तनावपूर्ण बनी हुई है। भारत की प्राथमिकता इराक में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने की है।

-अनिल नरेन्द्र

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