Sunday, 29 June 2014

नेशनल हेराल्ड सम्पत्ति हथियाने का सोनिया-राहुल पर आरोप

डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी भारतीय राजनीति में एक बेमिसाल किरदार के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। उनकी खासियत यह है कि जिसके पीछे वह पड़ गए उसका जल्दी से पीछा नहीं छोड़ते। अर्से से उनके निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी रहे हैं। कानून के मामलों के खासे जानकार हैं इसलिए अदालत जाने से वह कतराते भी नहीं। सोनिया गांधी के खिलाफ उन्होंने ही सबसे पहले विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था। लम्बे समय से उनका सोनिया गांधी को अदालतों में घसीटने का प्रयास रहा है। लेकिन अब तक उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली थी। पहली बार उन्हें गुरुवार को एक बड़ी सफलता मिली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड केस में डॉ. स्वामी की याचिका पर सोनिया गांधी और राहुल  गांधी को हाजिर होने के लिए समन जारी कर दिया है। इनके अलावा ऑस्कर फर्नांडीस, मोती लाल वोरा, सैम पित्रोदा और सुमन दूबे को भी कोर्ट में हाजिर होने के लिए समन जारी किए गए हैं। अदालत ने सात अगस्त को सभी को हाजिर होने को कहा है। मामला बन्द हो चुके अखबार नेशनल हेराल्ड की दिल्ली और उत्तर प्रदेश में स्थित करीब दो हजार करोड़ की सम्पत्ति से जुड़ा है। यह आदेश पटियाला हाउस कोर्ट मेट्रो पोलिटन मजिस्ट्रेट गोमती मनोचा ने दिया है। उल्लेखनीय है कि इसी जज महोदया ने अरविन्द केजरीवाल को बांड न भरने पर तिहाड़ पहुंचाया था। डॉ. स्वामी ने आरोप लगाया था कि नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की प्रकाशक कम्पनी द एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड की अरबों रुपए की सम्पत्ति को धोखाधड़ी कर हड़प लिया गया। इसके लिए कांग्रेस से बिना ब्याज के 90 करोड़ रुपए का ऋण भी लिया दिखाया गया। यह आयकर कानून का उल्लंघन था। कोई भी राजनीतिक दल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर्ज नहीं दे सकता। कांग्रेस ने 23 नवम्बर 2010 कानून के तहत यंग इंडियन कम्पनी बनाई। इसमें सोनिया-राहुल की 38-38 फीसदी की हिस्सेदारी है। पार्टी ने एजेएल की देनदारियां (खासकर 90.25 करोड़ का कर्ज) यंग इंडियन को बेच दिया। इसके एवज में उससे 50 लाख रुपए ले लिए। इस तरह दो हजार करोड़ रुपए की नेशनल हेराल्ड की सम्पत्तियां कांग्रेस नेतृत्व ने यंग इंडियन के मार्पत अपने कब्जे में कर लीं। कमाई के लिए नेशनल हेराल्ड की इमारत का एक हिस्सा पासपोर्ट ऑफिस को किराये पर दे दिया गया। यह भी गलत है। मजिस्ट्रेट ने समन जारी करते हुए कहा, `अब तक के सबूतों से ऐसा लगता है कि यंग इंडियन कम्पनी दो हजार करोड़ रुपए की सम्पत्ति अधिग्रहित करने के लिए मुखौटे के तौर पर काम कर रही थी। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के पर्याप्त आधार हैं।' कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमें जब दस्तावेज मिलेंगे तो उस पर व्यापक अध्ययन के बाद जवाब देंगे। हालांकि बताया जा रहा है कि कांग्रेस समन को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दे सकती है। इस बीच डॉ. स्वामी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर मामले की आयकर विभाग से जांच की मांग भी की है। यह  पहली बार है जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अदालत में घसीटा गया है और अदालत ने भी समन जारी कर दिए हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में जल्द ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके समन को ही खारिज कराने की कोशिश की जाएगी। क्योंकि मेट्रो पोलिटन मजिस्ट्रेट ने बगैर पुख्ता तथ्यों के समन जारी किए हैं। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व का मनोबल काफी कमजोर है। डॉ. स्वामी को यह सफलता मिली तो वह उत्साहित हो गए हैं। अब उन्हें भरोसा हो गया है कि वह कांग्रेस के प्रथम परिवार को तमाम झमेलों में फंसा देंगे, तो कई नए तथ्य दुनिया के सामने उजागर हो जाएंगे। वैसे भी डॉ. स्वामी अब भाजपा का हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में संघ परिवार भी सोनिया विरोधी मुहिम में उनका साथ देने को तैयार है। बड़ी चुनावी हार के बाद डॉ. स्वामी की याचिका की मार कम से कम फौरी तौर पर ही सही कांग्रेस के लिए एक नई सिरदर्द बन गई है। ऐसा लगता है कि अदालतों में अब लम्बी लड़ाई चलेगी। 7 जुलाई को जिस दिन सोनिया-राहुल को अदालत में पेश होने का समन दिया गया है उसी दिन संसद का बजट सत्र भी शुरू हो रहा है। गौरतलब है कि इस प्रकरण में कांग्रेस का कमजोर पहलू यह है कि एक तो उस पर जनता का फंड यंग इंडिया कम्पनी को बिना ब्याज के देने का आरोप है। दूसरा लीज नियमों के मुताबिक हेराल्ड भवन को बिना प्रेस चलाए किराये पर नहीं दिया जा सकता, जो अभी दिया जा रहा है। तीसरा पार्टी पर हेराल्ड की पूरी सम्पत्ति को मामूली रकम देकर हड़पने का आरोप है। यही चीजें कांग्रेस की गले की फांस बनी हुई हैं।

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