बेहतरीन भव्य समापन समारोह के साथ ही 20वें राष्ट्रमंडल खेल यानि ग्लास्गो
खेल समाप्त हो गए जिसमें गायिका काइली मिनोग सहित कई सितारों ने अपना जलवा बिखेरा।
इसके साथ ही स्कॉटलैंड की मेजबानी में हुए इस सबसे बड़े खेल महाकुम्भ का भी समापन हो
गया। अब चार साल बाद आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 21वें राष्ट्रमंडल
खेलों के लिए फिर से एकजुट होंगे। स्कॉटलैंड के सबसे बड़े शहर ग्लास्गो में
11 दिन तक चले 20वें कॉमनवेल्थ गेम्स में
71 देशों के 4927 खिलाड़ी 261 स्वर्ण पदकों के लिए जूझे। इंग्लैंड 28 वर्षों के लम्बे
अंतराल के बाद आस्ट्रेलिया को चोटी के स्थान से अपदस्थ कर पदक तालिका में पहले नम्बर
पर रहा। इंग्लैंड ने 58 स्वर्ण, 59 रजत
और 57 कांस्य सहित कुल 174 पदक जीते। भारत
ने 15 स्वर्ण, 30 रजत और 19 कांस्य पदक सहित कुल 64 पदक जीते और वह पांचवें स्थान
पर रहा। चार साल पहले दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में पदकों का शतक लगाने वाले भारतीय खिलाड़ी
ग्लास्गो में सिर्प 64 पदक ही जीत सके। बेशक कुछ प्रतियोगिताओं
में भारतीय खिलाड़ी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके पर कुल मिलाकर मैं भारतीय टीम का
अच्छा प्रदर्शन मानता हूं। स्वर्ण पदक जीतने के लक्ष्य के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स में
रिंग में उतरे भारतीय मुक्केबाजों के सफर ने रजत तक पहुंचते-पहुंचते
दम तोड़ दिया। स्टार मुक्केबाज विजेन्द्र सिंह सहित फाइनल में पहुंचे चारों भारतीय
मुक्केबाजों को सबसे अहम मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। सुशील कुमार और योगेश्वर
दत्त की अगुवाई में भारतीय पहलवानों ने अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए 20वें कॉमनवेल्थ गेम्स में बेहतरीन प्रदर्शन करके पांच स्वर्ण सहित कुल
13 पदक जीते। दीपिका पल्लीकल और जोशना चिनप्पा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन
करते हुए एक ऐसे खेल में स्वर्ण पदक जीता जिसमें आज तक भारत पहले कभी नहीं जीता था।
मैं बात कर रहा हूं स्क्वाश की। भारतीय जोड़ी ने इंग्लैंड का वर्चस्व तोड़ते हुए फाइनल
में जैनी डुनकाफ और लाउटा मसारो की जोड़ी को लगातार गेमों में शिकस्त देकर न केवल स्वर्ण
पदक ही जीता बल्कि इस खेल में यह पहली बार था जब भारत ने स्वर्ण पदक जीता हो। कॉमनवेल्थ
गेम्स के अंतिम दिन पारूपल्ली कश्यप ने बैडमिंटन में सिंगल्स मुकाबले में भारत को
32 साल बाद गोल्ड दिलाया। कश्यप देश के तीसरे खिलाड़ी हैं जिन्हेंने
यह स्वर्ण हासिल किया। भारत ने इस बार एक ऐसे खेल में स्वर्ण जीता जो शायद पहले कभी
नहीं हुआ। भारत के डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा पांच जुलाई को 31 साल के हुए। विकास गौड़ा ने 63.64 मीटर के साथ स्वर्ण
पदक जीता। पहलवानों ने सर्वाधिक पांच स्वर्ण जीते जबकि निशानेबाजों ने चार और भारोत्तोलकों
के खाते में तीन पीले तमगे आए। मुक्केबाजों से भारत को सबसे ज्यादा उम्मीदें थी लेकिन
सभी ने निराश किया। लंदन ओलंपिक के रजत पदक और दिल्ली खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीतने
वाले निशानेबाज विजय कुमार और हिना सिद्धू का निशाना चूक गया तो गगन नारंग को भी रजत
और कांस्य से ही संतोष करना पड़ा। एथलीट कृष्णा पूनिया ने भी निराश किया। कॉमनवेल्थ
गेम्स में एक बार फिर हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा रहा। हरियाणा के खिलाड़ियों ने
इन खेलों में पांच स्वर्ण, 11 रजत और तीन कांस्य पदक सहित कुल
19 पदकों को अपनी झोली में डाला। इसका जहां श्रेय खिलाड़ियों को भी जाता
है वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के प्रोत्साहन योजनाओं को भी
जाता है। अब 2018 में आस्ट्रेलिया में मिलेंगे।
No comments:
Post a Comment