Saturday, 9 August 2014

क्या अमर सिंह और मुलायम की दोस्ती परवान चढ़ पाएगी

कभी समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे अमर सिंह चार साल बाद मंगलवार को एक बार फिर पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ एक मंच पर दिखे। मंगलवार को लखनऊ में छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र पार्प के उद्घाटन के मौके पर यह पुराने साथी एक बार फिर दिखे। चार साल बाद मुलायम के साथ अमर सिंह की मौजूदगी ने सूबे के सियासी गलियारों में अटकलों को हवा देनी शुरू कर दी है। चार साल बाद दिखी मुलायम और अमर की दोस्ती पहले की तरह परवान चढ़ेगी या इसी समारोह तक सिमट कर रह जाएगी यह भी समय ही बताएगा पर सियासी गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई है। इस मौके पर अमर सिंह ने मुलायम सिंह यादव की तारीफ की और उन्हें अपना बड़ा भाई बताया। अमर सिंह ने इतने दिन बाद एक बार फिर मुलायम सिंह के प्रति अपना प्रेम झलकाते हुए कहाöमैं मुलायम वादी हूं। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहाöबीच रास्ते में मुझे कोई छोड़ गया। पिछले चार सालों में अमर सिंह ने अपनी सियासत जमाने के लिए कई जगह हाथ-पांव मारे। समाजवादी पार्टी से बाहर जाने के बाद अजीत सिंह के नेतृत्व वाली आरएलडी के टिकट पर फतेहपुर सीकरी से पिछला चुनाव (लोकसभा) लड़ा था लेकिन हार गए थे। इस साल उनका राज्यसभा सांसदी कार्यकाल भी खत्म होने वाला है और पिछले कुछ दिनों से अमर सिंह के समाजवादी पार्टी में फिर से शामिल होने की अटकलें चल रही हैं। हालांकि मुलायम के साथ मंच साझा करने के बारे में पूछे जाने पर अमर सिंह ने कहाöमेरे यहां आने को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। जनेश्वर मिश्र हमारे पुराने दिनों के साथी थे। मैं इस निमंत्रण को नहीं ठुकरा सकता था। अगर मेरे यहां आने से किसी को नाराजगी होती है तो यह मुलायम को सोचना चाहिए। समारोह में सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव और नगर विकास व अल्पसंख्यक मंत्री आजम खान की गैर-मौजूदगी ने उनकी नाराजगी का इजहार मौके पर ही कर दिया तो बाकी कई नेता भी इस अमर-प्रेम को पचा नहीं पा रहे। मुलायम के समाजवाद को कभी परिवारवाद कहकर कोसने वाले अमर सिंह ने समारोह में खुद को मुलायमवादी घोषित जब किया तो वहां मौजूद सपाई चौंक गए। मुलायम के अमर प्रेम से समाजवादी पार्टी के अन्दर सियासी भूचाल-सा आ गया है। आजम खान और अमर सिंह में छत्तीस का आंकड़ा है। आजम फिर नाराज हो गए हैं। ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि आजम एक  बार फिर पार्टी का दामन छोड़ सकते हैं। सपा में यह चर्चा आम है कि अमर सिंह को राज्यसभा की सदस्यता चाहिए तो मुलायम को एक ऐसा साथी जो उनकी राष्ट्रीय नेता की भूमिका में मददगार बन सके। इसलिए दोस्ती परवान चढ़ेगी पर कुछ इसके यहीं तक रह जाने की बात भी कर रहे हैं। इनका तर्प है कि अमर सिंह की मौजूदगी के बाद आजम खाम और प्रो. रामगोपाल जैसे नेताओं ने जिस तरह समारोह से दूरी बनाई है उसके चलते मुलायम और अमर दोस्ती की दूसरी पारी के `अमर' होने की कोई संभावना नहीं है। अमर सिंह के मुखर विरोधी आजम खान, प्रो. रामगोपाल यादव व नरेश अग्रवाल की गैर-मौजूदगी बहुत कुछ कहती है। समारोह में चर्चा थी कि जनेश्वर के बहाने ही सही `दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके'

-अनिल नरेन्द्र

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