Sunday 24 August 2014

सहारनपुर दंगा रिपोर्ट लीपापोती के सिवाय कुछ नहीं है

सहारनपुर में पिछले महीने हुए दंगों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित शिवपाल यादव कमेटी की रिपोर्ट के जो ब्यौरे सामने आए हैं उससे लगता है कि अखिलेश यादव सरकार अपनी जवाबदेही से बच निकलना चाहती है। कमेटी की यह रिपोर्ट लीपापोती से ज्यादा और कुछ नहीं है। राज्य सरकार दिखाना चाहती है कि दंगों से निपटने को लेकर वह गंभीर है लेकिन शायद ही कोई इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेगा। शिवपाल यादव की अगुवाई वाली सपा नेताओं की जांच रिपोर्ट को सरकारी रिपोर्ट बताने से भड़की भाजपा ने इसे मानने से इंकार कर दिया है। पार्टी ने कहाöराजनीतिक रूप से प्रेरित इस रिपोर्ट में प्रदेश सरकार अपनी नाकामियों पर परदा डालने के लिए भाजपा को कठघरे में खड़ा कर रही है। रिपोर्ट पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जवाब मांगा है जबकि मायावती ने भाजपा व सपा दोनों को सांप्रदायिक तनाव के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस कमेटी की निष्पक्षता ही संदेह के घेरे में है क्योंकि इसमें सिर्प सरकार और समाजवादी पार्टी के लोग शामिल हैं। इस रिपोर्ट की सिफारिशें राजनीतिक रंग में रंगी हैं। सच्चाई तो यह है कि यह रिपोर्ट दंगा पीड़ितों और कानून व्यवस्था की बदहाली झेल रही यूपी की जनता को कोई राहत पहुंचाने या उम्मीद बांधने के बजाय उनके जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि देश के सबसे बड़े राज्य की सरकार को भी इस सस्ते सियासी ड्रॉमे का हिस्सा बना दिया गया है। राज्य सरकार दंगों के लिए भाजपा को तो जिम्मेदार ठहराती है लेकिन अपने प्रशासन को मुस्तैद करने की कोशिश नहीं करती। मुजफ्फरनगर की घटना से अगर उसने कोई सबक लिया होता तो सहारनपुर की घटना नहीं होती और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगातार सांप्रदायिक तनाव की स्थिति भी नहीं  बनी रहती। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल जुलाई तक उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की तकरीबन 65 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सहारनपुर दंगे की जांच के लिए एक स्वतंत्र हाई पॉवर कमेटी का गठन होना चाहिए ताकि सच सामने आए। अगर अखिलेश सरकार को राज्य की थोड़ी भी चिन्ता है तो उसे दंगों की निष्पक्ष जांच करवा कर दोषियों को सजा दिलानी चाहिए। लेकिन फिलहाल इससे भी ज्यादा चिन्ता उसे अपनी साख की करनी चाहिए क्योंकि उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार अब सिर्प राजनीति करने वाली सरकार बनती जा रही है जो भाई-भाई को अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए लड़वा रही है। मुझे नहीं लगता कि उत्तर प्रदेश की जनता के दिल में इस सरकार के कुछ इज्जत बची है।

-अनिल नरेन्द्र

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