Friday 8 August 2014

कांग्रेस को हार के बाद जरूरत एक संजीवनी की

लोकसभा में करारी हार के सदमे से कांग्रेस पार्टी उभर नहीं पा रही है। करारी चुनावी हार के बाद राहुल के बारे में तरह-तरह की बातें चर्चा में हैं। यहां तक कहा गया कि पता नहीं राहुल राजनीति के प्रति गंभीर हैं भी या नहीं? शायद इस तरह के सवाल पार्टी के अन्दर इसलिए चर्चा में आए क्योंकि कई खास मौकों पर राहुल आमतौर पर गायब हो जाते हैं। हालांकि बुधवार को लोकसभा में राहुल ने खासा हंगामा किया। उनके बारे में पार्टी के अन्दर कोई भी यह बता नहीं पाता कि वह कहां हैं, किस काम से गए हैं और कब तक लौटेंगे? बीच-बीच में वह अचानक गायब हो जाते हैं। सो इस तरह की अटकलें तेज होती हैं कि राहुल कई-कई दिनों एक विदेशी धरती पर क्या करते हैं? इस बार कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में रिकार्ड हार का सामना करना पड़ा और पार्टी को महज 44 सीटें ही मिल पाईं। पार्टी जन इस करारी हार के लिए राहुल और उनकी मंडली को जिम्मेदार मानते हैं। गंभीर बात कांग्रेस के लिए यह है कि राहुल पर से कार्यकर्ताओं-नेताओं का विश्वास उठ चुका है। वह मानते हैं कि राहुल का नेतृत्व उन्हें पुन सत्ता में नहीं ला सकता। सोनिया गांधी को मजबूरन अब कमान संभालनी पड़ रही है पर उनकी शायद सेहत अब उन्हें ज्यादा सक्रिय होने की इजाजत नहीं देती। यह अलग बात है कि नेहरू-गांधी परिवार और पार्टी के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के चक्कर में ज्यादातर लोग मन की बात व्यक्त नहीं कर पाते। लेकिन कुछ हैं जो व्यक्त कर देते हैं। इनमें से एक हैं पार्टी के वरिष्ठ नेता जगमीत सिंह बराड़। बराड़ ने कांग्रेस नेतृत्व पर तीखा वार करते हुए कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दो साल का ब्रेक लेना चाहिए। बराड़ इस बयान से एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सामान्य पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आवारा कुत्तों जैसा व्यवहार किया जाता है। सोनिया और राहुल को भारत भ्रमण पर जाने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के संचालन की कमान कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा को संभालनी चाहिए क्योंकि अब पार्टी में सुधार की जरूरत है पर अधिकतर कांग्रेसियों का मानना है कि पार्टी का नेतृत्व अगर नेहरू-गांधी परिवार ने नहीं किया तो पार्टी बिखर जाएगी, टूट भी सकती है। इसलिए अब एक ही विकल्प बचा है और वह है प्रियंका को सामने लाया जाए। हालांकि जगमीत सिंह बराड़ प्रियंका को आगे लाने के खिलाफ हैं। उन्होंने सोनिया और राहुल के साथ ही प्रियंका वाड्रा पर भी निशाना साधा। प्रियंका को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देने के सवाल पर बराड़ ने कहा है कि सोनिया और राहुल बेहद चतुर हैं। जब भी कहीं राज्य और नेताओं के बीच संकट आता है तो पार्टी प्रियंका को आगे करती है और सोनिया पर्दे के पीछे रहकर संकट का समाधान करती हैं। बराड़ ने कहा कि खुद उन्हें इसका निजी अनुभव है लेकिन वह इसका खुलासा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों दिल और दिमाग से एक समान हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी ऐसे दल-दल में फंस गई है कि उसे बाहर निकलने का रास्ता समझ नहीं आ रहा है। कार्यकर्ता अलग परेशान हैं।
-अनिल नरेन्द्र


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