Sunday 3 August 2014

नटवर की किताबी बम ने लगाया सोनिया की साख पर बट्टा

एक समय गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे और बाद में कांग्रेस से निकाले गए नटवर सिंह आज गांधी परिवार के लिए सिरदर्द बन गए हैं। उनकी एक चर्चित किताब हालांकि अभी ऑफिशियल रिलीज नहीं हुई है पर बाजार में आने से पहले ही इसके राजनीतिक साइड इफैक्ट शुरू हो गए हैं। असली बम और गोले भले मैदान--जंग में चलते हों लेकिन बात जब किताबी बम की हो तो इसका विस्फोट तभी होता है जब सिपाही मैदान से बाहर आता है। पिछले दिनों ऐसे दो किताबी बमों के विस्फोट ने देश की पढ़ी-लिखी आबादी खासकर राजनीतिक हलकों में खासी सनसनी फैलाई है। पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रेस सलाहकार रह चुके संजय बारू अपने बॉस का कच्चा चिट्ठा अपनी किताब के पन्नों में बिखेरते नजर आए थे और अब पुंवर नटवर सिंह अपने उस रिसते घाव की टीस लेकर आए हैं जो उन्हें गांधी-नेहरू परिवार से मिला है जिसके कभी वह अभिन्न अंग हुआ करते थे। 83 वर्षीय पुंवर नटवर सिंह लम्बे समय तक नेहरू-गांधी परिवार के खास वफादार रहे। लेकिन 2005 में वह  बहुचर्चित फूड फॉर ऑयल घोटाले में फंस गए थे। इसमें उनकी कुर्सी चली गई। वह पार्टी से भी बाहर चले गए। उस दौर से ही वह सोनिया गांधी और उनकी टोली से नाराज चल रहे हैं। अब उन्होंने आत्मकथानुमा एक मोटी किताब लिख डाली है जिसमें दस जनपथ की तमाम अनजानी गतिविधियों का खुलासा किया है। सोनिया गांधी और प्रियंका ने नटवर के घर जाकर मिन्नतें भी की थी लेकिन बात नहीं बनी। नटवर सिंह ने अपनी किताब में दावा किया है कि 2004 में सोनिया गांधी ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर नहीं बल्कि बेटे राहुल गांधी की वजह से प्रधानमंत्री का पद ठुकराया था कि अगर उनकी मां सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी की तरह उनकी भी हत्या कर दी जाएगी। इसलिए राहुल ने बेटा होने की दुहाई देते हुए सोनिया को पीएम नहीं बनने दिया। नटवर सिंह लिखते हैं कि इसी कारण सोनिया गांधी ने इरादा बदला था जबकि कांग्रेस ने इसे महान त्याग बताया था। त्याग की मूर्ति की छवि दागदार होते देख रही सोनिया आक्रोश से भर गईं। बेहद भावुकता और तमतमाते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने उपर लगे एक-एक आरोप का जवाब खुद किताब लिखकर देंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह इस तरह के आरोपों की आदी हो चुकी हैं और अब पहले की तरह वह आहत भी नहीं होती। एक और गंभीर आरोप जो नटवर सिंह ने लगाया है जिसे संजय बारू भी लिख चुके हैं कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह सत्ता का चेहरा भर थे, असल सत्ता सोनिया गांधी के हाथों में थी और सरकार के अत्यंत वरिष्ठ अधिकारी तमाम विभागों की संवेदनशील फाइलें लेकर सोनिया गांधी की मंजूरी के लिए दस जनपथ ले जाया करते थे। यह देशहित से जुड़ा अत्यंत गंभीर मामला है क्योंकि एक पार्टी अध्यक्ष के रूप में सोनिया संवैधानिक रूप से इसकी हकदार नहीं थीं। मैडम की अनुमति पर ही यूपीए सरकार में फैसले होते रहे हैं। यह सब बातें किताब में दर्ज हैं। इसको लेकर दस जनपथ के वफादार कांग्रेसी हैरान-परेशान हैं। उन्होंने पलटवार की रणनीति अपनानी शुरू कर दी है। डैमेज कंट्रोल में यह गैंग जुट गया है। इससे नाराज नटवर सिंह ने कहा है कि अभी तो उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार के पुराने रिश्तों को ख्याल में रखकर कई खुलासे नहीं किए हैं। यदि उन्हें दस जनपथ के चापलूसों ने  ज्यादा सताया तो फिर वह बहुत कुछ बताने की स्थिति में हैं। बहरहाल नटवरी किताब बम सोनिया गांधी और कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द जरूर बनता नजर आ रहा है। नटवर सिंह ने अब सोनिया गांधी के इटली मूल के मुद्दे को भी हवा देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इटली मूल की होने की वजह से मेरे साथ निर्दयता की। क्योंकि कोई भारतीय अपने परिवार के साथ 45 साल तक वफादारी करने वाले व्यक्ति के संग ऐसा बर्ताव नहीं कर सकता जैसा सोनिया गांधी ने मेरे साथ किया।

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