इराक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकियों
द्वारा यजीदी समुदाय के कत्लेआम की खबरें आ रही हैं। आईएस के आतंकियों ने कम से कम
500 लोगों की हत्या कर दी है। इराक के मानवाधिकार मंत्री मोहम्मद शिया
उल सुदानी ने बताया कि आतंकियों ने देश के उत्तरी हिस्से में जातीय अल्पसंख्यक यजीदियों
में से कई को तो जिन्दा ही कब्र में डाल दिया और उनके पास इसके सबूत हैं। उन्होंने
कहा कि आतंकियों ने महिलाओं और बच्चों समेत कई लोगों को जिन्दा दफन किया और कम से कम
500 लोगों की हत्या कर दी है। सुदानी ने यह भी बताया कि आतंकियों ने
करीब 300 महिलाओं को गिरफ्तार कर गुलाम बना लिया। यह यजीदी कौन
हैं? यजीदी उत्तरी इराक में रहने वाले एक कुर्द भाषी लोग हैं।
दुनिया के अन्य भागों में बसे दो लाख से छह लाख की संख्या वाले यजीदी ज्यादातर गरीब
और हीन लोग हैं। वह दुनिया के सबसे पुराने समुदायों में से एक हैं। यजीदी लोगों को
यह आईएस के सुन्नी आतंकी खत्म करने पर तुले हुए हैं। यजीदी इराक-सीरिया सीमा पर स्थित सिंजार पर्वत पर 1920 के दशक में
आए माने जाते हैं। यजीदी हमेशा एक घनी आबादी में समुदाय के रूप में रहते हैं। यजीदी
अल्पसंख्यक धार्मिक समूह के लोग हैं जो भोजन-पानी के बिना इराक
की सिंजार पहाड़ियों पर इस्लामिक स्टेट के आतंकियों से भागकर पिछले कुछ दिनों से छिपे
हुए हैं। पिछले हफ्ते अमेरिका ने यजीदियों की मदद के लिए सिंजार पहाड़ी पर मानवीय सहायता
भेजी थी। यजीदी जैसा मैंने बताया कि एक कुर्द समूह है, जिसका
विश्वास पारसी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्मों में है। यह मुख्य
रूप से उत्तरी इराक में केंद्रित हैं। लेकिन कुछ सीरिया, तुर्की
और अन्य देशों में भी रहते हैं। इस्लामिक स्टेट यजीदियों को इराक में खतरे का संकेत
मानते हैं। 1980 के दशक में सद्दाम हुसैन के दौर में यजीदी आंतरिक
विस्थापन एवं बेरोजगारी के कारण काफी खराब स्थिति में रह रहे थे। यजीदी के खिलाफ सद्दाम
हुसैन तो थे ही अब इस्लामिक स्टेट उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गया है। उल्लेखनीय है कि
सुन्नी मुस्लिमों के संगठन इस्लामिक स्टेट ने यजीदी समुदाय से कहा था या तो वह इस्लाम
कबूल कर लें या फिर मरने के लिए तैयार रहें। इसी वजह से हजारों यजीदियों को भागने पर
मजबूर होना पड़ा है। इससे कुर्दों के स्वायत्तशासी क्षेत्र की राजधानी पर भी खतरा बढ़
गया है। हाल ही में अमेरिका को वर्ष 2011 के अंत में अपनी सेनाओं की वापसी के बाद पहली बार विमानों
से बम बरसाने पड़े हैं। इराक के मानवाधिकार मंत्री सुदानी ने बताया कि यजीदियों के
नरसंहार की खबरें यजीदी समुदाय के पुराने गढ़ सिंजार से भागकर आए ऐसे लोगों से मिली
हैं जिनकी जान मुश्किल से बच पाई है और जिन्होंने यह मंजर देखे हैं। यजीदी कुर्दिश
बोलते हैं और इनका धर्म मुस्लिम और अन्य मत मानने वालों से अलग है। मंत्री ने कहा कि
आईएस आतंकियों ने महिलाओं और बच्चों सहित कुछ लोगों को कब्रों में सामूहिक रूप से जिन्दा
दफना दिया है। आतंकी कम से कम 300 यजीदी महिलाओं को बतौर सेक्स
वर्पर बनाने के लिए अपने साथ ले गए हैं। कुछ ऐसी तस्वीरें मिली हैं जिनमें मारे गए
यजीदी लोगों की लाइन लगी हुई है जिनकी हत्या उनके सिर में गोली मारकर की गई है और आईएस
उनके शवों पर खड़े होकर खुशी से अपने हथियार हवा में लहरा रहे हैं। यजीदी छठी शताब्दी
में फारस में प्रचलित पारसी धर्म से प्रभावित धर्म मानते हैं। अमेरिकी सैन्य विमानों
ने यजीदी समुदाय के उन हजारों लोगों के लिए राहत सामग्री बेशक गिराई है पर इससे कुछ
लोगों को राहत तो मिलेगी पर हजारों की संख्या में जब लोग फंसे हों तो भूख-प्यास से मरने की आशंका बढ़ जाती है। वेटिकन में पोप फ्रांसिस ने इराक में
मारे गए लोगों के लिए मौन रहकर प्रार्थना की और इस समस्या का राजनीतिक हल निकालने की
अपील की। यजीदियों के कुछ कस्टम भारतीयों से भी मिलते हैं। अमेरिका ने ड्रोन और लड़ाकू
विमानों से इरबिल के पास आईएस के आतंकियों पर बम गिराए। इराक में बहुत सारे ईसाइयों
समेत हजारों लोग अपने घरों से भाग गए हैं। उनके बच्चे भूख-प्यास
से मर रहे हैं। आतंकियों ने न तो रमजान के पवित्र पर्व की परवाह की न ही मानवता की।
वह ईश्वर और मानवता के प्रति घोर अपराध कर रहे हैं। चिन्ता इस बात की है कि अगर जल्द
पहाड़ियों में शरण लेने वाले यजीदियों को सुरक्षित नहीं निकाला गया तो हजारों लोगों
का जीवन समाप्त होने का खतरा पैदा हो जाएगा।
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