दिल्ली नगर निगम के रिक्त पड़े 13 वार्डों के 15 मई को उपचुनाव होंगे। इन 13 वार्डों में होने वाले उपचुनाव
के लिए तीनों पमुख राजनीतिक दलों आम आदमी पार्टी, भाजपा व कांग्रेस
ने पूरी ताकत झोंक दी है। तीनों दलें के वरिष्ठ नेता चुनाव पचार में उतर गए हैं और
अपने पत्याशियों को जिताने के लिए हर संभव पयास कर रहे हैं। इन 13 वार्डें के उपचुनाव में 94 उम्मीदवार अब मैदान में हैं।
चुनावी मैदान में 102 लोगों ने नामांकन किया था लेfिकन आठ लोगों ने नामांकन वापस ले लिया। सर्वाधिक 12 उम्मीदवार
कमरुद्दीन नगर वार्ड में हैं, जबकि सबसे कम 4-4 उम्मीदवार मुनिरका और मटियाला से चुनाव लड़ रहे हैं। 15 मई को इन वार्डों में उपचुनाव होगा और 17 मई को इसके
परिणाम आ जाएंगे। 15 मई को होने वाला उपचुनाव मुख्य रूप से आम
आदमी पार्टी के उन विधायकों के लिए चैलेंज है जो पहले निगम पार्षद थे, लेकिन अरविंद केजरीवाल की लोकपियता पर सवार होकर विधायक बन गए। चूंकि इन पार्षदों
को विधायक बने 15 महीने होने जा रहे हैं, ऐसे में इन विधायकों द्वारा क्षेत्र में किए गए कामकाज की भी परीक्षा होगी
और जनता अपने वोट से जवाब देगी। इसके अलावा कुछ ऐसे भी वार्ड हैं जो उन विधानसभा क्षेत्रों
के अंतर्गत हैं, जहां से जीता हुआ आम आदमी का विधायक दिल्ली सरकार
अथवा किसी महत्वपूर्ण पद पर विराजमान है। अत इन महत्वपूर्ण पदों पर बैठे इन नेताओं
पर भी उनके विधानसभा क्षेत्र के वार्ड में होने वाले चुनाव में अपने उम्मीदवारों को
जिताने के लिए आम आदमी पार्टी पूरी कोfिशश कर रही है। अपने पत्याशियों
को जिताने के लिए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास, मंत्री सतेन्द्र जैन, विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल,
उपाध्यक्ष वंदना कुमारी विभिन्न वार्डों में घूम-घूम कर चुनाव पचार कर रहे हैं। उधर भाजपा भी पूरा दमखम लगा रही है। सांसद पवेश
वर्मा, महेश गिरि, भोजपुरी फिल्मों के कलाकार
मनोज तिवारी जैसे सांसद भी चुनाव पचार में जुट गए हैं। इसके अलावा पार्टी के पदेश अध्यक्ष
सतीश उपाध्याय और उनकी टीम सभी 13 वार्डों में पचार कर रही है।
सतीश उपाध्याय की कुछ हद तक एक बार फिर पतिष्ठा दांव पर है। वहीं कांग्रेस भी कोई कसर
नहीं छोड़ना चाहती है। पदेश अध्यक्ष अजय माकन और पूर्व अध्यक्ष जयपकाश अग्रवाल जैसे
वरिष्ठ नेता भी चुनाव पचार में कूद पड़े हैं। कांग्रेस नेता माहौल बनाने के लिए पदयात्रा
भी कर रहे हैं। बता दें कि यह चुनाव कांग्रेस के लिए काफी मायने रखते हैं। यह सही है
कि नगर निगम चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं और इनके परिणाम से राष्ट्रीय राजनीति
पर कोई विशेष असर नहीं होता पर तब भी इससे यह तो पता चलता है कि दिल्ली की जनता का
मूड क्या है? हवा किस ओर चल रही है? कुछ
समय बाद नगर निगम के चुनाव होने हैं इसलिए भी इन उपचुनावों का विशेष महत्व है। पतिष्ठा
सबसे ज्यादा दांव पर है केजरीवाल की।
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