Friday, 13 May 2016

क्या विजय माल्या से कर्ज की रिकवरी कभी होगी?

बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण देश छोड़कर जा चुके उद्योगपति विजय माल्या ने आखिरकार राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना यह इस्तीफा संसद की एथिक्स कमेटी के नोटिस के जवाब में राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को भेजा है। वैसे इसका कोई महत्व नहीं है, क्योंकि कमेटी माल्या की सदस्यता रद्द कर रही है। फरार उद्योगपति विजय माल्या के राज्यसभा से इस्तीफे को स्वीकार करना उन दलों के लिए भी संदेश है जो अपना समर्थन कर उन्हें राज्यसभा भेजते रहे। भाजपा, कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) से समर्थन लेकर ही माल्या दो बार राज्यसभा पहुंचे थे। अरबों की सम्पत्ति के मालिक रहे माल्या पहली बार 2002 में राज्यसभा पहुंचे थे तो उन्हें कांग्रेस और जद (एस) की बैसाखी मिली थी। माल्या का प्रभाव इतना था कि जीत के लिए 45 वोट चाहिए थे, लेकिन उन्हें 50 से ज्यादा वोट मिले थे। 2010 में जब माल्या ने दोबारा राज्यसभा की उम्मीदवारी की दावेदारी की तो उन्हें भाजपा और जद (एस) का समर्थन था। गौरतलब है कि 116 सीटों के साथ कर्नाटक की सत्ता में रही भाजपा के पास उस वक्त अपने दो उम्मीदवारों को भेजने के बावजूद लगभग दो दर्जन वोट अतिरिक्त थे। जबकि जद (एस) के पास 27 वोट थे। हालांकि भाजपा की ओर से खुलेआम समर्थन की बात को लेकर चुप्पी थी लेकिन अंदरुनी तौर पर स्पष्ट था कि उनके अतिरिक्त विधायक माल्या को वोट देंगे। हुआ भी यही और माल्या दोबारा राज्यसभा पहुंच गए थे। माल्या अब हर किसी के निशाने पर हैं। कांग्रेस उनके देश छोड़कर भागने के लिए राजग सरकार को दोषी ठहरा रही है तो भाजपा कांग्रेस से यह पूछ रही है कि उनकी आर्थिक हालत जानते हुए भी कांग्रेस काल में उन्हें क्यों हजारों करोड़ का लोन दिलाया गया। केवल जद (एस) माल्या के समर्थन में आज भी है। ऐसे में खासकर कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों को आत्मचिन्तन करना पड़ेगा कि राज्यसभा या विधान परिषद में किसी स्वतंत्र उम्मीदवार को वोट दें तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी भी लें। सरकार जानबूझ कर बैंक कर्ज नहीं  लौटाने वालों (विल फुल डिफॉल्टर) की विदेशी सम्पत्ति भी जब्त कर सकेगी। गुरुवार को लोकसभा में पारित नए बैंकरप्सी बिल में यह प्रावधान है। हालांकि इसके लिए सरकार को दूसरे देशों से संधि करनी पड़ेगी, उसके बाद ही सम्पत्ति जब्त की जा सकेगी। बिल पर चर्चा के दौरान सांसदों ने विजय माल्या जैसे विल फुल डिफॉल्टरों की बढ़ती संख्या पर चिन्ता जताई। जवाब में वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि नए कानून में ऐसे लोगों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई आसान होगी। नया कानून 12 पुराने कानूनों की जगह लेगा। माल्या-किंगफिशर जैसे मामलों में पहला अधिकार कर्मचारियों का होता है। सरकार के बकाये की अदायगी का नम्बर इसके बाद आता है। देश-दुनिया के कारपोरेट जगत में विजय माल्या एक बड़ा नाम है। विजय माल्या ने अपने बेटे सिद्धार्थ माल्या के जन्म दिवस पर किंगफिशर एयरलाइंस गिफ्ट की थी। माल्या आज कारपोरेट जगत में विलासिता और लापरवाह प्रबंधन के पर्याय बन चुके हैं। विमानन सेवा के क्षेत्र में देश और दुनिया में नाम कमा चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या देश के सबसे बड़े डिफॉल्टरों में से एक हैं। उनके ऊपर विभिन्न बैंकों की 2673 करोड़ रुपए (एनपीए) की देनदारी है। इतना ही नहीं, उनके ऊपर 17 बैंकों का बकाया लगभग 7000 करोड़ रुपए है। दिलचस्प पहलू यह है कि लंदन में बैठे विजय माल्या भारत सरकार व सरकारी एजेंसियों को उलटा धमका रहे हैं कि अगर मुझे जेल में डालने का प्रयास किया तो एक फूटी कौड़ी की रिकवरी नहीं होगी। खबर आई है कि ब्रिटेन ने भारत से कहा है कि विजय माल्या को ब्रिटेन से निर्वासित नहीं कर सकते हां उन्हें प्रत्यार्पित करने के आग्रह पर विचार कर सकते हैं। भारत सरकार को लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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