Thursday, 12 May 2016

एमएलसी पुत्र ने पास न देने पर गोली मारी

सत्तारूढ़ जेडीयू एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव द्वारा कथित तौर पर अपनी नई लैंड रोवर कार से 19 वर्षीय छात्र आदित्य की हत्या पर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है। बीजेपी ने नीतीश कुमार पर जंगलराज-2 का आरोप लगाते हुए सोमवार की इस घटना के विरोध में गया बंद का आयोजन किया। बिहार में एक बार फिर बढ़ते अपराध को लेकर सुशासन कुमार पर विपक्ष हमलावर है। राज्य में सत्ता की बागडोर संभालने के कुछ दिनों बाद ही गठबंधन सरकार लगातार घटित अपराधों को लेकर बैकफुट पर आ गई थी। हालात उस वक्त इतने खराब हो गए थे कि विपक्ष के साथ ही जनता के मन में भी जंगलराज की वापसी का डर समा गया था। बिहार के गया में एक विधायक के बेटे द्वारा एक कार चालक की महज इसलिए हत्या दबंगई और गुंडई का शर्मनाक उदाहरण है उसने उसकी गाड़ी को ओवरटेक किया था। ऐसा लगता है कि सत्ता का नशा नेताओं से अधिक उनके परिजनों पर सवार रहता है और ऐसा लगता है कि वे पहले दिन से यह मान लेते हैं कि उनके लिए कोई नियम-कानून नहीं हैं और वे कुछ भी करके पाक-साफ निकल जाएंगे? और यह पवृत्ति सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है। दुर्भाग्य तो यह है कि इस तरह की घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों में रह-रहकर होती ही रहती हैं। कुछ घटनाओं में तो सीधे विधायक, सांसद और मंत्री भी शामिल होते हैं और कुछ में उनके परिजन अथवा समर्थक। चूंकि बिहार ने अपराध का चरम पिछले शासन में बखूबी झेला और महसूस किया है  और कारण है कि सत्ता में भागीदार लाग या उनके परिवार के हाथों हुए अपराध निश्चित ही डराने वाला अनुभव हैं। वैसे नीतीश ने विपक्ष के आकामक रुख को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए नपे-तुले शब्दों में कानून की ताकत का जिक किया है। कानून के लंबे हाथ होने और उसकी पकड़ से कोई जरायम पेशा बच नहीं सकता, ऐसी बातें भी कहीं। लेकिन लाख टके का सवाल अब भी यही है कि कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर बिहार में बहार कब बहाल होगी? कानून का राज होने की बात तो सुशासन कुमार उर्फ नीतीश कुमार हमेशा से करते हैं किंतु दुख से कहना पड़ता है कि व्यवस्था में सुधार करने का संजीदा पयास भी तो होना चाहिए। और यह तभी हो सकता है जब ऐसे अपने आप को कानून से ऊपर समझने वाले नेताओं, उनके रिश्तेदारों पर सख्त कार्रवाई हो और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई खासकर विभिन्न तरह की आपराधिक वारदातों में संलिप्त सत्तारूढ़ नेताओं को भी सलाखों के पीछे डालने का साहस दिखाएं। यह कार्रवाई उन सदनों की ओर से भी हेनी चाहिए जिसके वे सदस्य हों। नीतीश के लिए कानून का राज लाने की बात वाकई चुनौतीपूर्ण है।
अनिल नरेन्द्र



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