Wednesday 18 May 2016

एक और कलम का सिपाही शहीद हो गया

बिहार में जंगल राज नहीं महाजंगल राज है। सीवान में हिन्दुस्तान समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पहला मौका नहीं जब किसी पत्रकार की आवाज को यूं खामोश कर दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय संस्था `कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट' के शोध के अनुसार देश में साल 1992 से अब तक 91 पत्रकारों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। विडंबना यह है कि सिर्प चार फीसदी मामलों में ही इंसाफ मिला। वह भी आधा-अधूरा। 96 फीसदी मामलों में अपराधियों को माफी मिल गई। 23 मामलों में हत्या के पीछे छिपा मंसूबा नहीं पता चल सका। सिर्प 38 मामलों में मोटिव स्पष्ट हो पाया। जिनकी मौत का कारण स्पष्ट हुआ उनमें कई को इंसाफ नहीं मिला। कुछ को मिला भी तो वह भी आधा-अधूरा। 88 फीसदी पत्रकार जो अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, जो मारे गए वह प्रिन्ट मीडिया से जुड़े थे। नौ फीसदी रेडियो पत्रकार थे। बेखौफ अपराधियों ने 13 मई की रात को सीवान में हिन्दुस्तान के ब्यूरो चीफ पत्रकार राजदेव रंजन को गोली मारकर हत्या कर दी। उन्हें करीब से गोली मारी गई। रंजन कार्यालय से लौट रहे थे। रात आठ बजे के करीब टाऊन थाना क्षेत्र के ओवरब्रिज के समीप अज्ञात अपराधियों ने उन्हें गोली मारी। अपराधी मोटर साइकिल पर थे और घटना को अंजाम देकर भागने में सफल रहे। 46 वर्षीय राजदेव रंजन की मौत से एक दिन पहले अपराधियों ने झारखंड के चतरा में पत्रकार इंद्रदेव यादव की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। राजदेव रंजन और इंद्रदेव यादव की सरेआम नृशंस हत्या को लेकर बिहार और झारखंड में ही नहीं, देशभर में हर ओर गम और गुस्सा है। सोशल मीडिया से सड़क तक विरोध की आवाज साफ सुनाई दे रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हत्यारों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि हत्यारा कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और सीवान के सांसद ओम प्रकाश यादव ने इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। राजदेव की हत्या के विरोध में पूरा सीवान स्वस्फूर्त बंद रहा। राजदेव रंजन के बेटे आशीष रंजन ने भी हत्याकांड की सीबीआई से जांच की मांग की है। वित्तमंत्री और केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने ट्विट कर कहाöमैं सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन और चतरा में इंद्रदेव यादव की हत्या की कड़ी निन्दा करता हूं। इसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए और दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। राजदेव रंजन की पत्नी ने हत्यारों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग करते हुए अपने पति को अपनी अंतिम सांस तक न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने का प्रण लिया। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मंगल पांडे और अन्य भाजपा नेताओं ने सीवान शहर में धरना दिया। पांडे ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मृतक पत्रकार के परिजनों ने आरोप लगाया है कि राजदेव की हत्या राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के गुर्गों द्वारा की गई है और बिहार पुलिस के पास इस मामले की निष्पक्ष जांच करने की हिम्मत नहीं है, ऐसे में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए। उन्होंने मृतक के आश्रितों को 25 लाख रुपए मुआवजा के तौर पर दिए जाने की भी मांग की। राजदेव की पत्नी आशा देवी ने अपने पति की हत्या अज्ञात अपराधियों द्वारा व्यक्तिगत कारणों से नहीं, बल्कि उनके पेशे के कारण किए जाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि उनके पति की किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। पत्रकार की हत्या लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला है। क्या नीतीश कुमार का यही सुशासन है? कहने की जरूरत नहीं कि पत्रकारिता संसार के सबसे खतरनाक व्यवसायों में शामिल है। लोग पत्रकारिता सिर्प इसलिए करते हैं ताकि समाज के सच को सामने ला सकें। सत्य को सामने लाने का सबसे सशक्त माध्यम है पत्रकार। हम पत्रकार शहादत देते आए हैं और आगे भी देते रहेंगे पर अपने फर्ज से पीछे नहीं हटेंगे। पंजाबी के महान कवि `पाशा' के शब्दों में कहूं तो हम लड़ेंगे साथी क्योकि लड़ने की जरूरत है। फिलहाल इस जंग का पहला मुकाम राजदेव रंजन के हत्यारों को इंसाफ की चौखट तक पहुंचाना है। हम राजदेव व इंद्रदेव के परिवारों के साथ दुख की बेला में साथ खड़े हैं और दोनों शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।

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