Saturday, 14 May 2016

26/11 मुंबई आतंकी हमले में हमारे लोग शामिल थे

पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है और बेनकाब करने वाला भी और कोई नहीं बल्कि खुद पाक कुख्यात खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख हैं। यह बात अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कही है। हक्कानी ने कहा है कि पाकिस्तान की आईएसआई के पूर्व प्रमुख ने स्वीकार किया है कि मुंबई में 26/11 को हुए हमले में पाकिस्तानी सेना के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल थे। 26/11 के मुंबई आतंकी मामले में भले ही पाकिस्तान अपने यहां के लोगों के हाथ होने से इंकार करता रहा हो, मगर एक नए खुलासे ने उसकी फिर पोल खोलकर रख दी है। लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा तब पाकिस्तान की आईएसआई के प्रमुख थे। उन्होंने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के अपने समकक्ष जनरल माइकल हेडन के साथ 2008 के दिसम्बर में हुई बैठक में यह बात स्वीकार की थी। इस खुलासे का जिक्र अमेरिका में पाक के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने अपनी किताब `इंडिया वर्सेस पाकिस्तान ः वाई कांट वी जस्ट बी फ्रेंड्स' में किया है। इस खुलासे से भारत के उस दावे की भी पुष्टि होती है कि मुंबई हमले को पाक की सरजमीं से अंजाम दिया गया था, जिसमें पाक के लोगों का ही हाथ था। अपनी किताब में हक्कानी ने जनरल पाशा के 24-25 दिसम्बर 2008 की अमेरिका यात्रा का जिक्र किया है। इसी दौरान पाशा ने यह बात कबूल की थी। हालांकि आईएसआई और सीआईए प्रमुखों की इस बातचीत का जिक्र तीन किताबों में हो चुका है लेकिन पाशा ने यह सनसनीखेज रहस्योद्घाटन पहली बार किया है। वैसे तो अमेरिका की तत्कालीन सुरक्षा सलाहकार कोंडालीजा राइस और खुद जनरल हेडन भी अपनी किताबों में इस मुलाकात का जिक्र कर चुके हैं। हक्कानी पर 2011 में देशद्रोह का मुकदमा चल चुका है। हक्कानी ने यह भी कहा है कि भारत से पाक काफी छोटा है और पारंपरिक सैन्य ताकत के बूते आतंकवाद से लोहा नहीं ले पाएगा। हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान का हर स्कूली बच्चा सीखता है कि कश्मीर पाकिस्तान की गर्दन की नस है। वह फिर सवाल करता है कि क्या वास्तव में ऐसा है? यदि ऐसा होता तो पाकिस्तान 69 सालों तक बिना गर्दन की नस के ही जिन्दा कैसे रहा? हक्कानी बेनजीर भुट्टो सहित पाकिस्तान के चार प्रधानमंत्रियों के सलाहकार रह चुके हैं। किताब में हक्कानी ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के अब तक अप्रकाशित एक गोपनीय पत्र का भी हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री को शिकायत भी की कि कश्मीर और पंजाब में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान को आरोपी बनाने और भारत सरकार द्वारा कश्मीर में आतंकवाद चलाने पर अमेरिका को समझ पाना कठिन है। हक्कानी इसका भी खुलासा करते हैं कि किस तरह से एक भारतीय की फोन पर गुप्त सूचना पकड़ी गई जिससे 15 दिसम्बर 2001 को परवेज मुशर्रफ की जान बची।

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