Thursday 26 May 2016

क्रिकेट, प्यार और फिक्सिंग की कहानी `अजहर'

भाग मिल्खा भाग और मैरीकॉम के बाद कई निर्देशक बायोपिक फिल्मों पर हाथ आजमा रहे हैं। ब्लू और बॉस जैसी मसाला एक्शन फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर टोनी डिसूजा की इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान रहे बहुचर्चित स्टाइलिस्ट बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन की फिल्म को देखने के लिए मैं उत्सुक था और मैंने देखी भी। उम्मीद तो यह थी कि इस बार हमें एक ईमानदार बायोपिक फिल्म देखने को मिलेगी और पता चलेगा कि अजहर पर मैच फिक्सिंग के आरोपों की सच्चाई क्या है? पर फिल्म देखने के बाद ऐसा लगा कि डायरेक्टर डिसूजा ने मोहम्मद अजहरुद्दीन के उसी पक्ष को ही अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया जो अजहर शायद अपने फैंस के साथ शेयर करना चाहते थे। उन्होंने अजहर से जुड़े कई गंभीर पक्षों को फिल्म में शामिल करने की कोशिश नहीं की जो मेरे जैसे दर्शक देखना चाहते थे। शायद यही इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी भी है। स्टार्ट से अंत तक फिल्म अजहर के किरदार में नजर आ रहे इमरान हाशमी पर टिकी है और उन्होंने ईमानदारी से यह भूमिका निभाने का प्रयास भी किया है। अजहर का रोल करने के लिए इमरान ने निश्चित रूप से बड़ी मेहनत की होगी, करीब पांच महीने तक क्रिकेट की बारीकियां सीखीं और क्रिकेट ग्राउंड में जमकर पसीना बहाया। इमरान ने अजहर के किरदार को जानने की ईमानदार कोशिश की है और इसमें काफी हद तक सफल भी रहे हैं। पहले प्राची और बाद में नरगिस के साथ उनके बहुचर्चित किस सीन भी फिल्म में मौजूद हैं। एक्ट्रेस संगीता के किरदार में नरगिस फाकरी अजहर की दूसरी बीवी के किरदार में नजर आती है। अजहर के नाना बने कुलभूषण खरबंदा अपनी छाप व पहचान छोड़ने में कामयाब रहे तो वकील बनी लारा दत्ता ने ठीक भूमिका निभाई। अजहर का केस लड़ रहे वकील के किरदार में कुणाल रॉय कपूर की एक्टिंग काबिले तारीफ है। लगातार कामयाबियों की ओर बढ़ रहे अजहर के करियर में टर्न उस वक्त आया जब उसकी खुशहाल जिन्दगी में मैच फिक्सिंग के आरोप के साथ ही एक्ट्रेस संगीता बिजलानी की एंट्री होती है। खूबसूरत बेगम नौरीन (प्राची देसाई) को तलाक देने के बाद अजहर एक्ट्रेस संगीता के साथ दूसरा निकाह कर लेता है। इसी दौरान अजहर का नाम मैच फिक्सिंग के साथ जुड़ता है और इंडियन क्रिकेट टीम से अजहर को बाहर कर दिया जाता है। कल तक अजहर की एक झलक पाने को बेताब उनके फैंस अब उनके पुतले जलाते नजर आते हैं। मैच फिक्सिंग के आरोप के बाद अजहर की लोकप्रियता खत्म हो चुकी है। ऐसे में खुद को बेगुनाह साबित करने और अपनी इमेज को बेदाग साबित करने के लिए अजहर इस आरोप को कोर्ट में चैलेंज करते हैं। बता दें कि वर्ष 2000 में मैच फिक्सिंग की जांच करने वाली सीबीआई टीम के सदस्य 1986 बैच के आईपीएस एमए गणपति ने पुष्टि की है कि दो घंटे से ज्यादा की पूछताछ में अजहर ने आरोप स्वीकार किए थे। जांच रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी गई थी। पूछताछ की रिकार्डिंग भी है। साथ ही गैंगस्टर अबु सलेम से बातचीत का वह टेप भी मौजूद है, जिसमें वह मैच हारने की बात कर रहे हैं। लेकिन उस समय फिक्सिंग को लेकर कानून नहीं होने की वजह से केस आगे नहीं बढ़ा। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोनिए ने बयान दिया था कि अजहर ने उन्हें फिक्सरों से मिलवाया था। इस मामले में भारत के अजय शर्मा, अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर पर भी प्रतिबंध लगा था। 99 टेस्ट खेले अजहर ने 22 शतक, 6215 रन बनाए। उन्होंने 334 वन डे में 9378 रन बनाए, जिसमें सात शतक शामिल थे। सबूतों के अभाव में आठ नवम्बर 2012 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अजहर पर लगे आजीवन प्रतिबंध को हटा दिया था। अदालत ने प्रतिबंध को गैर कानूनी ठहराया था, साथ ही जांच एजेंसी के काम पर भी सवाल उठाए। 2013 में केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने भारतीय दंड संहिता में फिक्सिंग को लेकर नया कानून बनाने का प्रस्ताव रखा था। अनुराग ठाकुर ने राष्ट्रीय खेल आचार आयोग को लेकर बिल पेश किया, जिसमें 10 साल जेल का प्रस्ताव है। अजहरुद्दीन ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहाöउस समय लोग मेरा पक्ष सुनने को तैयार नहीं थे। अब यह फिल्म देश के सामने मेरा पक्ष रखेगी। मैं उस समय निर्दोष था।
-अनिल नरेन्द्र



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