उत्तराखंड
के जंगलों में गर्मी के कारण भड़की आग चिन्ता का कारण बनती जा रही है। उत्तराखंड के
पहाड़ों में पिछले एक माह से धधक रहे जंगल ने राज्य में लगभग दो दशक पहले जंगलों में
इसी तरह की आग की याद ताजा कर दी है।
13 में से 11 जिले आग से प्रभावित हो रहे हैं।
शनिवार को आग कार्बेट रिजर्व के पास तक पहुंच गई। रामनगर में सुबह 11 बजे पार्प से सटे वन विकास निगम के डिपो के पास झाड़ियों में आग लगने से खलबली
मच गई। कार्बेट पार्प के बिजरानी जोन, रामनगर, तराई पश्चिमी वन प्रभाग और पवलगढ़ कर्जवेशन रिजर्व के जंगलों में आग से अभी
तक भारी मात्रा में वन सम्पदा जलकर राख हो चुकी हैं। वन्य जीव भी इस आग के खतरे की
जद में हैं। आपदा का रूप ले चुकी इस भयंकर आग को बुझाने के लिए शासन-प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है। बेकाबू आग को नियंत्रित करने के लिए अब वायुसेना
को भी मोर्चे पर उतार दिया गया है। वायुसेना के एमआई-17 हेलीकाप्टर
पानी की बौछार कर आग बुझाने के प्रयास में जुट गए हैं। हेलीकाप्टरों ने भीमताल से अपना
आपरेशन शुरू किया। भीमताल झील से पानी लेकर प्रभावित क्षेत्र पर डाला जा रहा है। एक
हेलीकाप्टर एक बार में 5000 लीटर पानी लिफ्ट कर सकता है। अधिकारियों
के अनुसार राज्य के अलमोड़ा, पौड़ी और गोचर में आग का प्रभाव
ज्यादा है। यहां एनडीआरएफ की एक-एक यूनिट लगाई गई है। प्रत्येक
यूनिट में 45 जवान शामिल हैं। मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया
कि राज्य के कुमाऊं तथा गड़वाल दोनों क्षेत्रों में करीब 2269.29 हैक्टेयर वन क्षेत्र आग की चपेट में आ चुका है, वहीं
प्रमुख वन संरक्षक बीपी गुप्ता ने बताया कि राज्य में फरवरी में आग लगने की शुरुआत
हुई थी। इस साल यहां के जंगलों में आग लगने की 1082 घटनाएं हो
चुकी हैं। बहरहाल धुएं से लोग बीमार भी पड़ने लगे हैं। बागेश्वर में परेशानी की शिकायत
लेकर 210 लोग अस्पताल पहुंच चुके हैं। फरवरी से धधक रहे जंगल
भूजल के लिए सबसे बड़ा खतरा हो सकते हैं। इससे प्राकृतिक स्रोतों के सूखने में तेजी
आएगी, जिससे गांवों से पलायन भी बढ़ सकता है। जंगलों से लगे रिहायशी
इलाके भी आग की चपेट में आ रहे हैं जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। आग का प्रचंड
रूप भविष्य में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों पर कई तरह का प्रभाव डाल सकता है। उत्तराखंड
के जंगलों में लगी आग के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्यपाल से विस्तृत जानकारी
मांगी है। पीएम ने उत्तराखंड को हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया है। अब तक करीब छह
लोगों की मौत हो चुकी है। उम्मीद करें कि जल्द इस भयंकर आग पर काबू पा लिया जाए। उत्तराखंड
में कोई न कोई प्राकृतिक आपदा होती ही रहती है।
-अनिल नरेन्द्र
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