Friday, 6 May 2016

पूर्व सूचना के बावजूद आतंकी एयरबेस में कैसे घुसे?

देश को झकझोर देने वाले पठानकोट आतकी हमले की समीक्षा कर रही गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने इस हमले पर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। सटीक खुफिया जानकारी के बावजूद पठानकोट हमला रोकने में नाकाम रही सरकार की समिति ने जमकर खिंचाई की है। मंगलवार को सामने आई रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा एजेंसियां समय रहते खतरे को भांपने और उससे तेजी से निपटने के लिए तैयार नहीं थी। समिति ने कहा कि दो जनवरी को आतंकी हमला मामले में पंजाब पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है और संदिग्ध है। संसद में पेश गृह मंत्रालय से जुड़ी इस स्थायी समिति ने 197वीं रिपोर्ट में कहा कि वह इस बात को समझने में विफल रही है कि आतंकी हमले के आशंका के बारे में पूर्व में ही सतर्प किए जाने के बाद भी आतंकवादी किस प्रकार से उच्च सुरक्षा वाले वायुसेना हवाई अड्डे में सुरक्षा घेरे को तोड़ने में सफल रहे और हमले को अंजाम दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चिन्ता का विषय है कि अपहृत और बाद में छोड़े गए पठानकोट के एसपी और उसके मित्रों से ठोस, विश्वसनीय खुफिया सूचना प्राप्त होने, आतंकियों और उनके आकाओं के बीच हुई बातचीत को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बीच में सुने जाने के बाद भी सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी इतनी खराब थी कि वे समय पर खतरे को भांप नहीं सके और उनका त्वरित एवं निर्णायक ढंग से जवाब नहीं दे सके। हालांकि अपने आकाओं से बात कर रहे थे कि वे रक्षा प्रतिष्ठान पर हमला करने वाले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएफ की गश्त, फ्लड लाइट और सीमा पर लगे कंटीले तार जैसे संसाधनों के बावजूद आतंकवादियों की घुसैपठ नहीं रोकी जा सकी। कांग्रेस नेता पी. भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति ने जांच में भारत द्वारा पाक सरकार से मदद मांगने और पाक संयुक्त जांच दल को आने की अनुमति देने पर भी सवाल उठाया। कहाöइसमें दो राय नहीं कि पाक आधारित जैश--मोहम्मद ही हमले के पीछे है। जब्त किए हथियारों व अन्य चीजों पर मेड इन पाकिस्तान लिखा है। पाक सुरक्षा एजेंसियों की मदद के बिना हथियारों से लैस लोग आसानी से सीमा पार नहीं कर सकते। फिर भी केंद्र ने उन्हें इजाजत दी। सरकार इस फैसले का कारण बताए? पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल ने मामले की जांच के लिए मार्च के अंत में भारत का दौरा किया था। एसपी पठानकोट के अगवा होकर छूटने के बाद भी पंजाब पुलिस ने इस नतीजे पर पहुंचने में काफी समय लिया कि यह सामान्य लूट की घटना नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए बड़े खतरे का संकेत है। समिति ने सवाल उठाया कि आखिर आतंकियों ने एसपी और उसके साथी को कैसे जीवित छोड़ दिया, इसकी एनआईए को पूरी जांच करनी चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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