पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार बने असम में मुख्यमंत्री
सर्वानंद सोनोवाल के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत लगभग समूचे
एनडीए ने गुवाहाटी में अपनी ताकत और एकजुटता का प्रदर्शन किया। असम में या यूं कहें
पूर्वोत्तर में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी है।
सर्वानंद सोनोवाल के रूप में एक ऐसा मुख्यमंत्री भी मिला है, जो अपेक्षाकृत युवा है और राज्य की
जमीनी हकीकत से भी अच्छी तरह वाकिफ है। असम में भाजपा को मिली इस ऐतिहासिक जीत का जहां
श्रेय पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति को जाता है वहीं इसका श्रेय मोदी सरकार में
मंत्री रह चुके सोनोवाल के लंबे राजनीतिक संघर्ष और उनकी लोकप्रियता को भी दिया जाना
चाहिए। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी मौजूद थे। चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस
से भाजपा में शामिल हुए हेमंत शर्मा को मंत्री बनाया गया है। राज्य के 14वें सीएम के रूप में पदभार संभालने वाले सोनोवाल के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी और एनडीए शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही सारे प्रमुख
केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी दर्शाता है कि भाजपा के लिए
असम कितना महत्वपूर्ण राज्य है। खुद पीएम ने जताया कि असम का उनके लिए सिर्प राजनीतिक
महत्व नहीं है, बल्कि वह उसे पूर्व के ऐसे दरवाजे के रूप में
भी देख रहे हैं, जहां से न सिर्प पूर्वोत्तर के विकास का रास्ता
खुलेगा, बल्कि इसके जरिये पूर्वी देशों तक भी सकारात्मक संदेश
जाएगा। शपथ ग्रहण समारोह के बाद सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि केंद्र एक्ट
ईस्ट नीति के तहत पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के साथ असम का त्वरित विकास सुनिश्चित
करने के लिए भी सहायता उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहाöएक्ट ईस्ट
पॉलिसी के तहत असम पूरे पूर्वोत्तर का प्रभावी सर्वांगीण विकास करने के लिए केंद्रबिंदु
होगा और यह देश के प्रभावशाली विकसित हिस्से के रूप में उभरेगा। सोनोवाल ने अपने भाषण
में कहाöआने वाले दिनों में असम को अवैध विदेशियों एवं भ्रष्टाचार
से मुक्त कराना हमारी कटिबद्धता है। हम कटिबद्ध हैं कि हम सफल होंगे। पूर्वोत्तर के
राज्यों की भौगोलिक स्थितियां और जनजातीय समूहों की वजह से प्राथमिकताएं अलग रही हैं,
लेकिन कटु सत्य यह भी है कि अतीत की सरकारों के प्रयासों के बावजूद आज
भी यह हिस्सा विकास की कहानी में कहीं न कहीं उपेक्षित रह जाता है। ऐसे में पूर्वोत्तर
के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते सोनोवाल पर पूर्वोत्तर
के बाकी राज्यों के साथ संतुलन बनाने की जिम्मेदारी होगी। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए
कि सोनोवाल को विरासत में एक ऐसा राज्य मिला है, जहां विगत डेढ़
दशक से कांग्रेस सत्ता में थी और बेशक यहां अलगाववादी गतिविधियां कम हुई हों मगर घुसपैठ
एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। खुद सोनोवाल ने कहा कि अगले दो वर्षों में बांग्लादेश
की सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया जाएगा। भाजपा का असम में सत्ता के आने का मतलब
यह भी निकाला जा सकता है कि अवैध बांग्लादेशियों के मुद्दे पर स्थानीय मुस्लिम वर्ग
का भी सोनोवाल को समर्थन मिला है। वह भी इन अवैध बांग्लादेशियों से परेशान हैं। मगर
बड़ा सवाल यह भी है कि राज्य में मौजूद प्रवासियों के मामले में सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स
फ्रंट की राय भाजपा से मेल नहीं खाती। वैसे असम में संसाधनों की कमी नहीं है और प्रधानमंत्री
ने सहकारी संघवाद की बात भी दोहराई है, ऐसे में सोनोवाल के पास
पूरा मौका है कि वह असम को अग्रणी राज्यों की लाइन में लाकर खड़ा कर दिखाएं। हम श्री
सोनोवाल को असम का मुख्यमंत्री बनने पर बधाई देते हैं।
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