Saturday 7 May 2016

दलित महिला की बर्बर हत्या ने निर्भया की याद ताजा कर दी

केरल के एर्नाकुलम जिले में एक दलित युवती से बर्बर बलात्कार और फिर उसकी हत्या से दिल्ली के वसंत विहार इलाके में हुए निर्भया कांड की याद ताजा हो गई है। पेरुंबदूर में रहने वाली एर्नाकुलम लॉ कॉलेज में विधि पाठ्यक्रम के अंतिम दौर की पढ़ाई कर रही छात्रा के घर में घुसकर अपराधी ने बलात्कार और बेहद बर्बर तरीके से हत्या को अंजाम दिया, चाकू से उसकी आंतें बाहर निकाल दीं। इसका तो सिर्प अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि अपराधी किस बर्बर, अमानवीय प्रवृत्ति का होगा और उसके मन में युवती के खिलाफ किस कद्र पुंठा भरी रही होगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके साथ बर्बरतापूर्ण मारपीट किए जाने और बलात्कार की पुष्टि हुई है। पुलिस सूत्रों ने पोस्टमार्टम की जानकारी देते हुए बुधवार को कहा कि उसके शरीर पर 38 निशान थे चोटों के। रिपोर्ट में बलात्कार की भी पुष्टि हुई है। अलपुझा मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की है। इस मामले में हालांकि काफी दिन हो चुके हैं पर अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। 16 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में घटना को लेकर जनाक्रोश होना स्वाभाविक ही है। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी बीच केरल सरकार ने मृतका के परिजनों को 10 लाख रुपए अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। एक सरकारी बयान में बताया गया कि पीड़िता की बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। सरकार पीड़िता के परिवार को मदद देने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेगी क्योंकि आचार संहिता लागू हो चुकी है। विडंबना है कि करीब पांच बजे शाम को हुई इस वारदात को लेकर आसपास के तमाम लोग बेखबर रहे और किसी ने उस घर से निकलकर जाते हुए व्यक्ति के बारे में कुछ पूछना जरूरी नहीं समझा। जब युवती की मां आठ बजे घर आई और चीखने-चिल्लाने लगी तब भी उस परिवार से संबंध न ठीक होने का हवाला देकर पड़ोसियों ने मदद की गुहार नहीं सुनी। यही नहीं, प्रशासन ने पिछले गुरुवार को हुई इस वारदात के मामले में तब तक टालमटोल का रवैया अख्तियार किए रखा, जब तक इसने तूल नहीं पकड़ लिया। पीड़ित परिवार पहले ही बेहद गरीबी की हालत में जी रहा था, बेटी और मां अकेले एक कमरे के छोटे घर में रहते थे, युवती एक छोटी नौकरी के साथ पढ़ाई कर रही थी और उसकी मां घरेलू सहायिका का काम करती थी। लेकिन इतने सालों की तकलीफ झेलकर इस मुकाम पर पहुंच सकी युवती और उसके सपने को एक झटके में खत्म कर दिया गया। अगर ऐसे अपराधों के प्रति प्रशासन, पुलिस और समाज का रवैया इसी तरह संवेदनहीन और उपेक्षापूर्ण रहा तो जाहिर है कि इसका शिकार कमजोर तबकों की निर्भया की तरह महिलाएं होती रहेंगी। पता नहीं हम कब सुधरेंगे?

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