मई में थोक महंगाई का
चार फीसदी से ऊपर यानि 4.3 प्रतिशत पर पहुंचने से आम
आदमी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। खुदरा महंगाई इससे अधिक ही होगी और उपभोक्ताओं का
वास्ता खुदरा कीमतों से ही पड़ता है। गत गुरुवार को जारी हुए थोक मुद्रास्फीति के आंकड़े
बता रहे हैं कि थोक महंगाई की यह दर पिछले 14 महीनों में सबसे
ज्यादा है। पिछले साल मई में थोक महंगाई की यह दर 2.26 प्रतिशत
रही थी। चीनी की 14 महीनों में थोक महंगाई दोगुनी हो गई। इस साल
अप्रैल से मई के बीच महंगाई का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की
महंगाई दर 0.87 प्रतिशत थी, जो अगले महीने
यानि मई में 1.60 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसी तरह ईंधन,
बिजली क्षेत्र में महंगाई दर मई में 11.22 प्रतिशत
दर्ज रही थी। मई महीने में ही फलों और सब्जियों के दामों ने भी लोगों का बजट बिगाड़ा।
आलू की महंगाई दर 18.93 प्रतिशत रही। फलों की महंगाई दर भी
15.40 प्रतिशत दर्ज हुई। एक क्षेत्र जहां इस महंगाई की मार ने उपभोक्ताओं
की कमर तोड़ दी है वह है दवाओं की बेतहाशा कीमतें बढ़ना। देश में इस समय दवाएं
1500 प्रतिशत तक ज्यादा दामों में बेची जा रही हैं। यह खुलासा देश की
सबसे बड़ी निजी दवा निर्माता कंपनी की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक यूरिन
संबंधी बीमारी की नौ रुपए की दवा सिडनेफिल 149 रुपए में बेची
जा रही है। वहीं हड्डियों को मजबूत करने वाली सात रुपए की दवा कैल्शियम कार्बोनोट
120 में, डायबिटीज की सात रुपए की दवा ग्लियप्राइड
97 रुपए में, हृदय रोग में इस्तेमाल होने वाली
11 रुपए की एटोरवस्टेटिन दवा 131 रुपए में बेची
जा रही है। दवाओं की यह सूची लंबी है। रिपोर्ट तैयार करने वाली निजी कंपनी देश में
कुल खपत का 15 प्रतिशत दवा बनाती है। देश में सिर्प
850 तरह की दवाइयां ऐसी हैं, जिन्हें सरकार ने
जरूरी दवा की श्रेणी में रखा है और इन्हीं दवाइयों की कीमतों पर सरकारी नियंत्रण होता
है। दवा निर्माता कंपनी ने बताया कि 12 प्रतिशत जीएसटी और
20 प्रतिशत लाभ के बाद जिस दवा की कीमत नौ रुपए होती है उसी दवा को बाजार
में दवा की मार्केटिंग करने वाली कंपनियां 150 रुपए तक में बेचती
हैं। देश में ढाई लाख करोड़ रुपए का दवा कारोबार है और दवाइयों की बिक्री के मामले
में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है। चौतरफा महंगाई की मार से आम आदमी की कमर टूट
गई है। न वो ढंग से जी सकता है और न ही बीमारी में ढंग से सही इलाज करवा सकता है। उम्मीद
है कि भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकारें आम आदमी की इस मुश्किलों को दूर करने का
अविलंब प्रयास करेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
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