Wednesday, 6 June 2018

अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम से मसला हल नहीं होगा

एक बार फिर सीमा पर शांति के लिए सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। कोशिश तो पाकिस्तान से बातचीत की भी हो रही है। पर हमारे सुरक्षाबलों को केवल अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर युद्धविराम नहीं चाहिए। कहने का मतलब यह है कि बेशक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सीजफायर से थोड़ी राहत सैनिकों और सीमा पर रहने वाले नागरिकों को तो मिलेगी पर यह समस्या का पूरा हल नहीं है। हमारी सेना इस समय तीन मोर्चों पर एकसाथ लड़ रही है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर, जम्मू-कश्मीर के अंदर घुसपैठिये आतंकियों से और पत्थरबाजों से। जब तक इन तीनों मोर्चों पर पाकिस्तान से कोई ठोस बातचीत नहीं होती तब तक हमारी राय में समस्या का कोई स्थायी हल नहीं निकलेगा। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर गोलाबारी रुक जाएगी पर प्रदेश के अंदर इन आतंकियों और उनके समर्थकों का क्या होगा? पाकिस्तान पर कितना विश्वास किया जा सकता है यह अलग मुद्दा है। पाकिस्तान आए दिन अपनी बात से मुकरता है। पांच दिन पहले ही दोनों देशों की डीजीएमओ (महानिदेशक सैन्य अभियान) स्तरीय बातचीत में 2003 के संघर्षविराम समझौते को पूरी तरह लागू करने पर सहमति जताने के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने शनिवार रात अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगी भारतीय चौकियों और गांवों पर भारी गोलाबारी की। इसमें बीएसएफ के दो जवान शहीद हो गए। एक महिला समेत 14 लोग घायल भी हुए। बीएसएफ ने भी पाकिस्तान की गोलाबारी का कड़ा जवाब दिया। सीमा पर हाई अलर्ट है। दहशत के मारे स्थानीय निवासी घर-बार छोड़कर सुरक्षित जगहों पर शरण लेने पर मजबूर हैं। दो दिन की गोलाबारी के बाद सोमवार को बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स सीमा पर शांति बनाए रखने पर फिर एक बार सहमत हुए हैं। जम्मू में हुई इस मीटिंग के बाद बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा कि हमने साफ कर दिया है कि अगर गोलाबारी हुई तो माकूल जवाब दिया जाएगा। वहीं पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि भारत-पाक के बीच जंग का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि दोनों ही मुल्क एटमी पॉवर हैं। एक तरफ तो पाकिस्तान शांतिवार्ता की बात कर रहा है उधर दूसरी तरफ उसके द्वारा भेजे गए आतंकवादी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। कश्मीर के शोपियां में आतंकियों ने बम फेंक कर चार जवानों को घायल कर दिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने बरपोरा के समीप शोपियां थाने की पुलिस वाहन पर ग्रेनेड फेंका। हमले में चार पुलिस जवान और 10 नागरिक घायल हो गए। पुलिस वैन पर कश्मीरी युवकों ने जमकर पत्थरबाजी भी की। लाठियों से गाड़ी पर हमले किए। वह तो शुक्र है कि पुलिस जिप्सी का दरवाजा नहीं खुला नहीं तो अनर्थ हो जाता। यह आए दिन का सिलसिला है। जैसा मैंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हमारे सुरक्षाबल और पुलिस तीनों मोर्चों पर इस समय लड़ रही है। जम्मू-कश्मीर में रमजान के पवित्र माह में एकतरफा सीजफायर कर रखा है। सवाल यह है कि क्या यह सीजफायर सिर्प हमारे सुरक्षाबलों पर लागू होता है? क्योंकि न तो आतंकी हमले करने से बाज आ रहे हैं और न ही पत्थरबाजी रुकी है? कुल मिलाकर हमारी राय में एकतरफा सीजफायर या अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर गोलाबारी बंद करने पर सहमति का प्रयास वह परिणाम नहीं दे सकता जिससे जम्मू-कश्मीर में हिंसा रुके और सौहार्द का वातावरण बने। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम पाकिस्तान को सूट करता है क्योंकि यहां पाक सैनिक मरते हैं जबकि जम्मू-कश्मीर में या तो आतंकी मरते हैं या फिर पत्थरबाज युवक। पर हमें तो यह देखना चाहिए कि जब तक तीनों मोर्चों पर सहमति नहीं बनती तब तक एकतरफा सीजफायर हमें सूट नहीं करता।

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