पत्रकार
और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की निर्मम हत्या ने न केवल पत्रकार बिरादरी को ही
हिला दिया था बल्कि सामाजिक कार्यकर्ताओं व महिला बिरादरी को भी चौंका दिया था। शुक्रवार
को मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल
(एसआईटी) ने कहा कि परशुराम वाघमोरे ने गौरी की
हत्या को अंजाम दिया था। परशुराम वाघमोरे गौरी लंकेश की हत्या के संबंध में गिरफ्तार
किए गएठ छह संदिग्धों में से एक है। एसआईटी ने बताया कि वाघमोरे ने गौरी को गोली मारी
और फोरेंसिक जांच से पुष्टि होती है कि (तर्पवादी) गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी की हत्या एक ही
हथियार से की गई। उन्होंने कहा कि हथियार का अभी पता नहीं लगाया जा सका है। फोरेंसिक
जांच से इस नतीजे पर तब पहुंचा जाता है जब बंदूक के ट्रिगर से गोली के पिछले हिस्से
पर एक ही तरह का निशान बना हुआ मिलता है फिर चाहे बंदूक की बरामदगी हो या न हो। एसआईटी
के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वाघमोरे दक्षिणपंथी गुटों के लोगों को शामिल कर बनाए
एक गिरोह से जुड़ा है। बिना नाम के इस गिरोह में 60 सदस्य हैं,
जो कम से कम पांच राज्यों में फैले हैं। अधिकारी ने कहाöमध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र,
गोवा और कर्नाटक में इसका नेटवर्प है। अधिकारी ने कहा कि इस गिरोह ने
महाराष्ट्र की हिन्दू जागृति समिति और सनातन संस्था जैसे कट्टरपंथी हिन्दुत्ववादी संगठनों
से लोग भर्ती किए थे। जरूरी नहीं कि यह संस्थाएं सीधे तौर पर हत्या में शामिल हों।
26 वर्षीय परशुराम वाघमोरे ने दावा किया है कि वह गोलियां चलाते समय
यह नहीं जानते थे कि वह किसकी हत्या कर रहे हैं। उसने गौरी को उनके घर आरआर नगर,
बेंगलुरु में पांच सितम्बर 2017 को चार गोलियां
मारी थीं। मुझे मई 2017 में कहा गया था कि तुम्हें अपना धर्म
बचाने के लिए किसी की हत्या करनी है। मैं मान गया। अब मुझे लगता है कि मुझे उस महिला
को नहीं मारना चाहिए था, ऐसा दावा एसआईटी कर रही है। आगे परशुराम
ने बताया कि उन्हें तीन सितम्बर को बेंगलुरु लाया गया था। उन्हें बेलागावी में बंदूक
चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। मुझे गौरी का घर दिखाया गया और एक बाइकर अगले दिन फिर
गौरी के घर लेकर गया और कहा कि अब तुम गौरी का काम तमाम कर दो। यह संतोष की बात है
कि पत्रकार और समाज सेविका गौरी लंकेश का हत्यारा आखिर पकड़ा गया। अब कोर्ट में जब
केस चलेगा तो और जानकारियां मिलेंगी। यह भी पता चलेगा कि (तर्पवादी)
गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी की हत्या
एक ही हथियार से की गई?
-अनिल नरेन्द्र
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