सउदी अरब में शनिवार-रविवार की मध्यरात्रि का नजारा बिलकुल अलग था। बड़ी संख्या
पर महिलाएं सड़कें पर जश्न मना रही थीं। रात बारह बजते ही महिलाएं अपनी-अपनी गाड़ियां लेकर सड़कों पर निकल पड़ीं, रास्ते में
लोग उन्हें शुभकामनाएं दे रहे थे। चैक प्वाइंट पर पुलिस वालों ने इन्हें गुलाब के फूल
देकर इनका स्वागत किया। यह वही पुलिस वाले थे जो इससे पहले उन्हें गाड़ी चलाने पर जेल
भेज देते थे। उन पर आतंक से जुड़ी धाराएं लगाते थे। इसी के साथ सउदी में 24
जून, 2018 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया। इस दिन
सउदी अरब में महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति मिल गई। पूरी दुनिया में सिर्प सउदी
अरब में महिलाओं पर इस तरह की पाबंदी थी। इस आजादी को पाने के लिए इन्हें
28 साल का संघर्ष करना पड़ा। सउदी अरब में पहली बार किसी महिला को ड्राइविंग
लाइसेंस जारी किया गया है। यहां के 32 वर्षीय काउन पिंस मोहम्मद
बिन सलमान देश को आधुनिक बनाने के लिए विजन 2030 के तहत महिलाओं
को हर मोर्चे पर आगे लाने की पहल कर रहे हैं। महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना
इसी कड़ी का हिस्सा है। इस तरह के दोयम दर्जे की जिंदगी जी रही वहां की महिलाओं के
लिए यह पाबंदी हटना अहम माना जा रहा है। हालांकि अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां महिलाओं
को आजादी मिलना बाकी है। काउन पिंस मोहम्मद बिन सलमान देश में कई बदलाव ला रहे हैं।
पिछले साल वहां मनोरंजन के लिए कंसर्ट कार्मिक कॉन का आयोजन किया गया। 35 साल बाद अपैल में सउदी अरब में फिल्म थिएटर खुला। जल्द ही वीजा जारी करने की
योजना है। दरअसल ड्राइविंग करने पर पाबंदी के कारण महिलाएं अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने
से लेकर बाजार और दोस्तों से मिलने जाने तक के लिए अपने पति, भाई या ड्राइवर पर निर्भर थीं। ड्राइवर रखना सउदी में आसान वैसे भी नहीं है।
रविवार से सउदी की महिलाएं भी दुनिया भर की महिलाओं की तरह स्टियरिंग व्हील के पीछे
बैठकर कही भी आने-जाने के लिए आजाद हो गईं। पिंस सलमान के विजन
2030 के मद्देनजर देश में महिलाओं को कई और क्षेत्रों में भी अधिकार
दिए जा रहे हैं। ड्राइविंग का अधिकार भी उसी का हिस्सा है। हाल में यहां महिलाओं को
कारोबार शुरू करने का अधिकार देने के साथ ही स्टेडियम में जाने पर भी पतिबंध भी हटा
लिया गया है। वहीं कट्टरपंथी संगठनों का कहना था कि महिलाओं को ड्राइविंग की छूट देने
में पाप को बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना था कि इससे महिला उत्पीड़न के मामले भी बढ़ेंगे।
इसको ध्यान में रखते हुए सउदी शासन ने यौन उत्पीड़न के मामलों में पांच साल की कैद
का कानून भी पास कर दिया है। बेशक सउदी में महिलाओं को कार चलाने की आजादी तो मिल गई
है, लेकिन अब भी उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। आज भी कई ऐसी
मुश्किलें हैं, जिनसे पार पाने के लिए उन्हें नए सिरे से मैदान
में उतरना होगा।
-अनिल नरेन्द्र
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