Thursday 7 June 2018

क्या 2019 लोकसभा चुनाव आप और कांग्रेस मिलकर लड़ेंगे?

दिल्ली में एक-दूसरे की घोर विरोधी रही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कुछ पक जरूर रहा है। दोनों पार्टियों के नेताओं ने ऐसे संकेत दिए हैं जिससे लगता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 सीटों पर दोनों के बीच बंटवारा हो सकता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की बात कही है। हालांकि दिल्ली पदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने साफ कर दिया है कि पदेश कांग्रेस कार्यकर्ता और कांग्रेस के सभी नेता आम आदमी पार्टी के साथ अपने 2019 के संसदीय चुनाव में कोई समझौता नहीं करेंगे। दिल्ली का चुनावी रिकार्ड रहा है कि त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को हराना दोनों के लिए आसान नहीं रहा। 2015 का विधानसभा उपचुनाव था, जब मोदी लहर के बाद भी आप ने दिल्ली में बीजेपी को बुरी तरह हराया था। लोकसभा और एमसीडी चुनाव के आंकड़े देखें तो बीजेपी का वोट पतिशत हमेशा उससे ज्यादा रहा है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होने पर बीजेपी का पलड़ा भारी हो सकता है। पिछले दो चुनावों की बात करें तो 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 32.2 पतिशत वोट मिले थे जबकि आप को 54.3 पतिशत और कांग्रेस को केवल 9.7 पतिशत वोट मिले थे। आप को 67 सीटों पर जीत मिली थी और बीजेपी को तीन और कांग्रेस तो खाता भी नहीं खोल पाई थी। इसके बाद 2017 में हुए एमसीडी चुनाव में स्थिति बदल गई। कांग्रेस के जोर लगाने से पार्टी के वोट बैंक में 11 पतिशत का इजाफा हुआ और आप के वोट बैंक में 26 पर्सेंट की कमी आई। चुनावी जानकारों का कहना है कि इस गणित से साफ है कि बीजेपी का वोट पतिशत लगभग अपनी जगह कायम है। वोट का बंटवारा कांग्रेस और आप के बीच है। आप ने दिल्ली में एंट्री के बाद कांग्रेस के वोट बैंक पर निशाना साधा और पार्टी कमजोर हुई, जिससे बीजेपी को 32 फीसदी वोट मिलने के बावजूद भी केवल तीन सीटें ही मिलीं। पदेश अध्यक्ष अजय माकन और कुछ दिल्ली के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी का बयान नेशनल परिपेक्ष्य में है न कि दिल्ली को लेकर। उनका कहना है कि पार्टी दिल्ली में मजबूत हो रही है और हमारी टक्कर आप से है, ऐसे में अगर कांग्रेस आप से गठबंधन करती है तो बाकी राज्यों की तरह यहां भी कांग्रेस का जनाधार खत्म हो जाएगा। दूसरी ओर कर्नाटक विधानसभा चुनाव ने बहुत हद तक तमाम विपक्षी पार्टियों को पभावित किया है। इसके बाद विपक्ष एकजुट हुआ और कांग्रेस-जनता दल (एस) ने सरकार बनाई, इससे पूरे देश के साथ ही दिल्ली में भी विपक्षी दलों के गठबंधन की संभावनाओं को बल मिला और दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में समझौते की गुंजाइश बनने लगी है। आप के राष्ट्रीय पवक्ता दिलीप पांडे ने ट्वीट में लिखा है कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता आप पार्टी के संपर्प में हैं और वे हरियाणा, दिल्ली और पंजाब में हमारा साथ/सहयोग चाहते हैं और दिल्ली में हमसे वे एक सीट मांग रहे हैं। यह भी अहम है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की पांच लोकसभा सीटों पर पभारी नियुक्त किए हैं। लेकिन दो सीटों की नियुक्ति क्यों नहीं हुई? इसे लेकर सियासी गलियारों में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बची दो सीटों पर अपने पभारी नियुक्त क्यों नहीं किए? बताया तो यह भी जा रहा है कि 2019 लोकसभा के मद्देनजर दिल्ली में सीटों के बंटवारे पर भी बात हुई, जिससे आप ने 5 सीटें खुद रखने और दो कांग्रेस को देने का पस्ताव दिया है, इसके पीछे तर्प यह दिया जा रहा है कि कांग्रेस के मुकाबले दिल्ली में आप का वोट फीसद बहुत ज्यादा है। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 46.6 फीसदी वोट मिले थे, आप को 33.1 फीसदी और कांग्रेस को 15.2 फीसदी। अगर आप और कांग्रेस के वोटों को जोड़ा जाए तो यह बनता है 48.3 पतिशत इसके मुकाबले बीजेपी का वोट पतिशत बनता है 46.6 पतिशत।

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