Thursday 14 June 2018

दिल्ली सरकार की टकराव की रणनीति

देश के इतिहास में पहली बार कोई मुख्यमंत्री अपनी मांगों के लेकर पूरी रात धरने पर बैठा रहा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपनी मांगों को मनवाने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के घर पर धरने पर बैठे हैं। एलजी हाउस के बाहर उनके विधायक धरने पर बैठ चुके हैं। सारा झगड़ा या विवाद अधिकारियों को लेकर ज्यादा है। अरविन्द केजरीवाल ने सोमवार को एलजी को उनके घर में ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि दिल्ली में अराजकता की स्थिति है। अधिकारी बीते चार महीने से कोई काम नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी जो कर रहे हैं वह उनके सर्विसेज रूल के खिलाफ है। चूंकि सर्विसेज एलजी के पास हैं तो आप दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें। एलजी अधिकारियों को लिखित आदेश जारी करें। अगर वह तब भी नहीं मानते तो एस्मा लागू कर उनके खिलाफ कार्रवाई हो। इसके उलट उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए सोमवार को कहा कि बिना किसी कारण एक और धरना दिया जा रहा है। राजनिवास ने साफ किया है कि राशन की डोर स्टैप डिलीवरी सिस्टम को लागू करने के लिए सरकार की योजना को तीन माह पहले ही खाद्य आपूर्ति मंत्री के पास भेजा जा चुका है। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से हुई मारपीट की घटना के बाद से दिल्ली सरकार का कोई भी आईएएस अधिकारी हड़ताल पर नहीं है। सभी अधिकारी अपने कार्य को सही प्रकार से अंजाम दे रहे हैं। दिल्ली सरकार के आईएएस अधिकारियों ने सोमवार को यह बयान जारी किया। उन्होनें कहा कि 19 फरवरी की देर रात को मुख्य सचिव से हुई हाथापाई की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। इसके बाद विभिन्न तरीकों जैसे कैंडल मार्च व मौन प्रदर्शन के माध्यम से विरोध दर्ज किया गया है। छुट्टी के दिन भी जाकर सभी सरकारी दफ्तरों में कार्य किया। सोमवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा से कहा कि वह तीन नौकरशाहों के खिलाफ 13 जून तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। विधानसभा अध्यक्ष ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को लिखित सवालों का जवाब नहीं देने पर तीनों नौकरशाहों को सदन में पेश होने का निर्देश दिया था। बेशक आम आदमी पार्टी की सरकार की कुछ मांगें जायज हों पर इस तरह का आंदोलन चलाना सरकार का काम नहीं है। उसका काम है प्रशासन चलाना। आंदोलन पार्टी का काम है। पिछले दिनों केजरीवाल ने कई मामलों में माफी मांगकर मुकदमेबाजी से बचने का रास्ता अपनाया था ताकि सरकार चलाने पर ध्यान केंद्रित कर सकें। इसका अगला चरण अगर टकरावों का दायरा कम करने के रूप में दिखे तो दिल्ली के लिए राहत की बात होगी। दुख से कहना पड़ता है कि दिल्ली सरकार को काम करने में दिलचस्पी कम है, झगड़ा, आंदोलन करने में ज्यादा है।

-अनिल नरेन्द्र

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