Thursday 21 June 2018

...और अब केजरीवाल के बहाने विपक्षी एकजुटता का पदर्शन

हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के धरने ने एक बार फिर विपक्षी दलों को एक मंच पर आने का  मौका दे दिया। विपक्षी एकता के पैरवीकार चंद्र बाबू नायडू, ममता बनर्जी और माकपा का साथ आना इसका संकेत था। इसलिए चार दलों के मुख्यमंत्रियों की मुहिम को भावी विपक्षी एकता के रूप में देखा जा सकता है। सामने जो भी रहा हो, लेकिन परदे के पीछे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तृणमूल कांग्रेस की पमुख ममता बनर्जी ही इन पयासों को आगे बढ़ा रही हैं। विपक्षी एकता को लेकर वह काफी दिनों से सकिय हैं। उनके पयास सिर्प केजरीवाल को समर्थन देने तक सीमित नहीं हैं। वह बीजद पमुख नवीन पटनायक, एनसीपी पमुख शरद पवार एवं कांगेस के वरिष्ठ नेताआंs से भी संपर्प  में हैं। दरअसल एनडीए सरकार की घेराबंदी के लिए विपक्ष दोहरी रणनीति अपना रहा है। पहली रणनीति यह है कि लोकसभा और उससे पहले होने वाले विधानसभा चुनाव पदेशों में क्षेत्रीय दल मिलकर लड़ें जिससे भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा न हो। रणनीति तो यह है कि चाहे वह विधानसभा चुनाव हो चाहे, लोकसभा जहां तक संभव हो सके वन टू वन फाइट हो। अगर विधानसभाओं में उन्हें सफलता मिलती है तो क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा मोर्चा या अन्य किसी वैकल्पिक गठबंधन का खाका तैयार करेंगे। इधर नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में शामिल होने आए बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अध्यक्ष नीतिश कुमार ने नीति आयोग की बैठक में पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जोरदार झटका देते हुए न केवल आंध्र पदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू का समर्थन किया बल्कि बिहार के लिए भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर डाली। इस बैठक में चंद्र बाबू नायडू ने राज्य विभाजन, राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने और पोलावरम परियोजना से संबंधित मुद्दों को उठाया। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी का मुद्दा भी नीति आयोग के सामने उठाया। नायडू के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई। उन्होंने आंध्र पदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू की मांग का समर्थन किया। ममता बनर्जी ने भी नायडू की मांग का समर्थन किया। उधर कांग्रेस ने कहा कि अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भाजपा का साथ छोड़ने का फैसला करते हैं तो महागठबंधन में वापस लेने के लिए वह सहयोगी दलों के साथ विचार करेगी। कांग्रेस का यह बयान उस वक्त आया है जब हाल के दिनों में अगले लोकसभा चुनाव में सीटों के तालमेल के संदर्भ में जदयू और भाजपा के बीच कुछ मनमुटाव चल रहा है जिस वजह से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों दलों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ एकजुटता का पदर्शन करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है।

-अनिल नरेन्द्र

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