Tuesday, 5 June 2018

आखिर क्यों है अन्नदाता सड़कों पर?

देश के छह राज्यों के किसान शुक्रवार से आंदोलन के तहत सड़कों पर उतर आए हैं। कर्जमाफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने सहित 32 भागों के समर्थन में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में किसानों ने सड़कों पर दूध बहाया और सब्जियां फेंकी। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने कहा कि आंदोलन को गांव बंद का नाम दिया गया है। सवाल यह है कि किसान बार-बार खेत छ़ोड़कर सड़कों पर क्यों आ रहा है? सीधा मतलब है कि उनकी समस्याओं के समाधान के प्रति उन्हें आश्वस्त नहीं किया जा सका है। किसान लगातार संकट में घिरता गया है और संसाधनों की महंगाई के दौर में खेती-किसानी पहले जैसी नहीं आ रही है। किसानों की स्थिति सुधारने के लिए 2004 में केंद्र सरकार ने जाने-माने अर्थशास्त्राr एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमिशन ऑन फार्मर्स बनाया था। आयोग ने 2006 में किसानों के समग्र और तार्पिक विकास के लिए कुछ सुझाव भी दिए थे। यह रिपोर्ट सत्ता के किस गलियारे में खो गई, पता नहीं। लगभग 50 साल पहले देश में हरित क्रांति लाने वाले प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 2004 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने यह आयोग गठित किया था। 2004 से 2006 (अक्तूबर) के बीच पांच रिपोर्ट पेश की गईं और बताया गया कि किसानों की आर्थिक समस्याओं की क्या वजह है और उनके निदान के लिए उपाय क्या होने चाहिए। आयोग ने भूमि सुधार के अधूरे एजेंडे, सिंचाई के लिए पानी की कमी, तकनीक का अभाव, समय पर संस्थागत कर्ज, बेहतर और उचित मूल्य दिलाने वाले बाजार का अभाव और मौसम की अनिश्चितता को समस्या का प्रमुख कारण बताया। किसान बस यही रिपोर्ट लागू करने, कर्जमाफी और अपनी फसल का उचित समर्थन मूल्य मांगते रहे हैं। इस बार भी यही मुद्दा है। अभी कुछ समय पहले ही किसानों के 68 संगठनों ने दिल्ली कूच किया था। तब भले ही सीमाएं बांधकर इन्हें वहां पहुंचने से रोक दिया गया हो, लेकिन किसान संगठनों ने उसी वक्त इसे प्रतीकात्मक प्रयास बताकर जता दिया था कि उनकी असली योजना तो अपने-अपने राज्य में आंदोलन को ऐसी गति देने की है, जिसकी आवाज दूर तक सुनाई दे। किसान देश का अन्नदाता है। जब देश का अन्नदाता ही इतना परेशान हो, आत्महत्या करने पर मजबूर हो तो देश में खुशहाली कैसे आ सकती है? इस आंदोलन के चार दिनों में ही तीन आत्महत्याएं हो चुकी हैं। दुख से कहना पड़ता है कि कोई भी सरकार किसानों की समस्याओं को जड़ से हल करने के प्रति ईमानदार नहीं। कर्जमाफी से हल नहीं होता। किसान को उसकी फसल के उचित दाम मिलने चाहिए, उसे अपनी खेती करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं मिलनी चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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