Sunday 10 June 2018

क्या कांग्रेसमुक्त नारा भाजपा पर भारी पड़ने लगा है?

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले दिनों कहा था कि पार्टी 2019 में 400 सीटें जीतेगी और 50 प्रतिशत वोट हासिल करेगी। लेकिन अगर हाल के 14 उपचुनावों के नतीजों को देखें तो यह टारगेट मुश्किल दिख रहा है। नेताओं को अंदरखाते इस बात की चिन्ता जरूर सता रही होगी कि उनकी तो लोकप्रियता घट रही है और विपक्ष लगातार संगठित होता जा रहा है। इन उपचुनावों में भाजपा की हार ने विपक्ष में यह उम्मीद पैदा कर दी है कि हम अगर एकजुट होकर लड़ें तो भाजपा को 2019 में हराया जा सकता है। कर्नाटक और उसके बाद के घटनाक्रम ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को पुख्ता कर दिया है। राहुल लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रहे हैं। कुछ दिन पहले राहुल ने पीएम मोदी पर सीधा हमला करते हुए मंदसौर में कहा कि उन्होंने 15 लोगों का ढाई लाख करोड़ रुपए माफ किया, लेकिन किसानों को कुछ नहीं दिया। राहुल ने मंदसौर जिले के पिपलियमंडी में किसान गोलीकांड की बरसी पर आयोजित किसान समृद्धि संकल्प रैली को संबोधित करते हुए उद्योगपतियों के पैसे माफ करने और किसानों के कर्ज माफ नहीं करने को लेकर यह बात कही। लोकसभा की चार तथा विधानसभा की 10 सीटों के उपचुनावों में विपक्षी एकता से आए परिणामों से उत्साहित कांग्रेस ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न दल भाजपा विरोधी वोटों को बिखरने से रोकने की रणनीति मिलकर बनाएं। विपक्षी एकता का मकसद भाजपा को हराना है और इसके लिए कांग्रेस भाजपा विरोधी वोटों को बंटने से रोकने की रणनीति पर सबसे मिलकर काम करेगी। मोदी सरकार को किसानों के लिए अत्याधिक असंवेदनशील करार देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसान को उसकी लागत का डेढ़ गुना भुगतान करने का वादा किया था लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की बात करते हैं लेकिन यह काम 2052 तक भी पूरा नहीं होगा। राहुल ने बिना किसी का नाम लिए पार्टी की मध्यप्रदेश इकाई के नेताओं को जमीनी स्तर पर काम करने की नसीहत देते हुए कहा कि जो जनता से जुड़ेगा उसी की अगली सरकार बनेगी। नरेंद्र मोदी के जादुई आकर्षण के रथ पर सवार भाजपा ने 2014 का युद्ध फतेह करने के बाद अपना जो पहला पॉलिटिकल एजेंडा सेट किया था, वह थाöकांग्रेसमुक्त भारत। शुरुआत में तो लगा कि उन्होंने अपने विरोधियों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली है और जब पार्टी इसे अमली जामा पहनाने उतरी तो डर का माहौल सिर्प विरोधी खेमे में ही नहीं पांव पसारता दिखा बल्कि खुद एनडीए के घटक दलों को भी बेचैन करने लगा है, जहां तक कांग्रेसमुक्त नारे का संबंध है कांग्रेस को कर्नाटक व उपचुनावों ने नई संजीवनी दी है और राहुल गांधी नए अवतार में दिखने लगे हैं। भाजपा की आक्रामक रणनीति का एक नतीजा यह कहा जा सकता है कि उसने अपने दोस्त कम किए और दुश्मन ज्यादा तैयार कर लिए हैं। इस सूरत में उसे राजनीतिक फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता दिख रहा है। इस तरह एक तरफ तो खुद भाजपा ने कांग्रेस को पुन जीवित कर दिया है और दूसरी ओर पूरे देश में विपक्ष को एकजुट होने का मौका दे दिया है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में 50 प्रतिशत वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि आज तक के इतिहास में भाजपा इस आंकड़े को कभी छू नहीं पाई है। विधानसभा चुनावों में भी नहीं। दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा चुनावों में गुजरात की जनता ने चार बार किसी पार्टी को आधे से ज्यादा वोट दिए मगर हर बार यह पार्टी कांग्रेस रही।

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