सुप्रीम कोर्ट ने सात सदस्यीय समिति को तिरुवंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के तहखानों को खोलने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति आरवी रवीन्द्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता त्रावण कोर के राजा रहे राजा मार्तण्ड वर्मा और केरल सरकार से कहा है कि वे प्राचीन मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उचित सुझावों के साथ अदालत आएं। राजा मार्तण्ड वर्मा के वकील ने जिरह के दौरान कहा कि मंदिर सार्वजनिक सम्पत्ति है और राज परिवार के किसी भी सदस्य ने अकूत धन सम्पदा पर किसी स्वामित्व या अधिकार का दावा नहीं किया है और इसका कोई भी हिस्सा परिवार के किसी सदस्य से संबंधित नहीं है। सम्पत्ति भगवान पद्मनाभ स्वामी मंदिर की है। मंदिर की सम्पत्ति के बारे में इतिहासकारों का कहना है कि इस खजाने के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए तो इसका मूल्य लगाना मुश्किल होगा। फिर भी कहा जा रहा है कि इसकी मार्केट वैल्यू एक लाख करोड़ से 10 गुणा ज्यादा होगी।
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर को त्रावणकोर के रॉयल फैमिली ने बनवाया था। भगवान विष्णु का यह मंदिर केरल के किले के अन्दर ही बना है। इस मंदिर को `108 दिव्य देसम में से एक माना जाता है। दिव्य देसम यानि विष्णु जी का घर। यहां भगवान विष्णु की सोती हुई मूर्ति है। त्रावणकोर के राजा अपने आपको विष्णु भक्त व सेवक मानते हैं। इस मंदिर के बनने की कई कहानियां हैं। इनमें से एक जो सबसे प्रचलित है, वह यह है क Sिक बार दिवाकर मुनि ने भगवान कृष्ण की तपस्या की और उन्हें दर्शन देने को कहा। भगवान एक शरारती बच्चे के रूप में उन्हें दर्शन देने आए और पूजा के लिए रखे शिवलिंग को निगल गए। मुनि ने गुस्से में उस बच्चे का पीछा किया लेकिन वह जाकर एक बड़े से पेड़ के पीछे छिप गए। अचानक वह पेड़ गिर गया और भगवान विष्णु की मूर्ति में बदल गया। मुनि समझ गए कि वह भगवान विष्णु का ही अवतार था। मुनि ने भगवान से कहा कि यह मूर्ति बहुत लम्बी है, इसे थोड़ा छोटा करें ताकि मैं और दूसरे भक्त एक बार इसके दर्शन कर सकें। इतना कहते ही वह मूर्ति छोटी हो गई, लेकिन फिर भी उसका कद काफी बड़ा रहा। आज भी इस मूर्ति को तीन गेट वाले मंदिर में रखा गया है, जिसके दरवाजे से विष्णु जी का सिर दिखाई देता है। इसे शिवजी की तरह पूजा जाता है। दूसरे दरवाजे से पैर देखते हैं, जिसकी नाभि में से कमल का फूल निकल रहा है। इसे ब्रह्मा का स्वरूप कहते हैं और तीसरे दरवाजे से भगवान विष्णु के पैर दिखाई देते हैं, जिसे मोक्ष का द्वारा माना जाता है। केरल का यह मंदिर खजुराहो के मंदिरों जैसी कलाकृतियों और मूर्तियों से भरा है। इसी वजह से तिरुवनंतपुरम को नाम मिला ः तिरु अनंत पुरम यानि भगवान का पवित्र घर।
केरल के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर से सोने की अब तक की बड़ी बरामदगी हुई है। एक लाख करोड़ से ज्यादा खजाने की इस बरामदगी ने एक बहस छेड़ दी है कि पूजा स्थलों पर ईश्वर को क्या वास्तव में गोल्ड की जरूरत है? लोग पीले चमकदार धातु की पूजा कर रहे हैं या फिर अपने ईष्ट की? अब यह मंदिर दुनिया का सबसे अमीर धार्मिक स्थल बन गया है। वेटिकन के बाद शायद पिछले हफ्ते से इस बहस ने भी जोर पकड़ा है कि आखिर यह सोना किसका है? भगवान का या फिर केरल के लोगों का?
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