पाकिस्तान के कराची शहर में स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई है। पाकिस्तान की वाणिज्यिक माने जाने वाली राजधानी में पिछले पांच-छह दिनों से जारी हिंसा में हजारों परिवार फंस गए हैं। कई स्थानों पर फंसे लोगों को अर्द्धसैनिक बलों की मदद से बाहर निकाला गया है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि शुक्रवार को सरकार ने शूट ऑन साइट का हुक्म जारी कर दिया यानि दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश। बावजूद इसके हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही। अब तक मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुंच चुकी है। हिंसाग्रस्त इलाकों में हजारों लोग अपने घरों में बन्द हैं और वे सुरक्षित स्थानों के लिए बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उपद्रवियों द्वारा रॉकेट दागने और गोलाबारी से देश की वाणिज्यिक राजधानी पांच दिनों से ठप है। कई स्थानों पर फंसे हुए लोगों ने स्थानीय टेलीविजन चैनलों को बताया कि उन्होंने चार दिनों से कुछ नहीं खाया है और सड़कें बन्द होने से, लगातार गोलीबारी होने से वे सुरक्षित स्थानों की ओर नहीं जा पा रहे हैं। पुलिस ने कहा कि एमक्यूएम (मुहाजिर कौमी मूवमेंट) ने हिंसा के विरोध में एक दिन का शोक दिवस की घोषणा की थी। इसके बावजूद अधिकतर दुकानें बन्द रहीं और लोग घरों से नहीं निकले। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की हाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष जून तक कराची में 1138 लोग मारे गए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने हिंसा को नियंत्रित कर पाने में विफल रहने के लिए पाक सरकार की निन्दा की है।
कराची में ताजा हिंसा के कई कारण हैं। एमक्यूएम द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन छोड़ने के बाद सत्ताऱूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ तनाव बढ़ गया है। इसके बाद सत्ता में शामिल पश्तोभाषी एएनपी समर्थकों और उर्दूभाषी एमक्यूएम समर्थकों में जातीय संघर्ष शुरू हो गया। 1947 में भारत से शरणार्थी के रूप में पाकिस्तान गए उर्दूभाषी मुसलमानों को पाक में मुहाजिर कहा जाता है। इतने वर्ष होने के बावजूद आज भी उन्हें मुहाजिर ही कहा जाता है। मुहाजिरों का नेतृत्व एमक्यूएम करता है। मुहाजिर अपने साथ दोहरे बर्ताव के कारण शुरू से ही पख्तूनों और पंजाबियों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। उधर पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने पिछले पांच दिनों से कराची को दहला देने वाली हिंसा की घटनाओं के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया है। इन घटनाओं में कम से कम 108 लोग मारे जा चुके हैं। मलिक ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर कहा कि लोगों को दहशत और तनाव में पहुंचाने वाली हिंसा के लिए कम से कम तालिबान जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, `तालिबान ने अपने खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियान के दौरान कुछ स्थानों को खाली करा दिया लेकिन पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियां उनकी तलाश कर रही हैं।' मलिक ने दावा किया कि कराची के उत्तरी हिस्से में तालिबान का नेटवर्प सक्रिय है। वह देश के सबसे बड़े शहर में आतंकवाद की गतिविधियों में शामिल है। आज अगर कराची जल रहा है तो इसके लिए पाक सरकार और उसकी नीतियां हैं। हिंसा के चलते पाकिस्तान के सबसे बड़े कारोबारी शहर कराची को जबरदस्त आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। जियो न्यूज ने खबर दी है कि कराची में व्यावसायिक प्रतिष्ठान बन्द रहने से हर दिन 10 अरब रुपये का घाटा हो रहा है। जैसे बीज बोओगे वैसी ही फसल काटोगे। अगर कराची का हाल बद से बदतर होता जा रहा है तो इसके लिए खुद पाकिस्तान जिम्मेदार है।
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