Wednesday 13 July 2011

डोपिंग प्रकरण ने हमारी ओलंपिक उम्मीदों पर पानी फेरा


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 13th July 2011
अनिल नरेन्द्र
कॉमनवेल्थ खेलों में जब भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर मेडलों की झड़ी लगा दी थी तो सभी को लगने लगा कि इस बार जब ओलंपिक्स आएगा तो उसमें भी भारत शानदार प्रदर्शन कर सकेगा पर पिछले एक पखवाड़े में जो हुआ उससे हर खेल प्रेमी को भारी झटका लगा है। एक पखवाड़े के अन्दर चोटी के आठ एथलीटों के डोपिंग में पकड़े जाने से पूरे भारतीय खेल जगत को हिलाकर रख दिया और इसका असर अब दिल्ली से लेकर एनआईएस पटियाला तक दिखाई दे रहा है। देश की प्रतिष्ठा दाव पर है, क्योंकि दागी खिलाड़ियों के मेडल छीनने से भारत की मेडल सूची छोटी हो सकती है। डोपिंग के लिए केवल विदेशी कोच को जिम्मेदार ठहराना समस्या का समाधान नहीं है। आखिर जब खेल मंत्री इस प्रकरण के लिए अधिकारी, खिलाड़ी और कोच को भी जिम्मेदार मान रहे हैं तो कार्रवाई सब पर क्यों नहीं? केवल कोच पर ही क्यों? क्या इसलिए कि वे विदेशी है जिससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है और ज्यादा सवाल जवाब भी न हो। निसंदेह इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है। इसमें संदेह है कि इस तरह की जांच समिति से शायद ही कुछ हासिल हो। संदेह इसलिए भी है कि 2009 में जब अनेक भारोत्तोलक डोपिंग में पकड़े गए थे तब भारोत्तोलक महासंघ के अधिकारियों से त्यागपत्र लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया था। यदि उसी समय इस समस्या की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की जाती तो शायद देश को आज जो शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है उससे बच जाते।
डोपिंग स्कैंडल से देश के ओलंपिक पदक के सपनों पर पानी फिर गया है। अश्विनी अपुंजी, मनदीप कौर, सिनी जोस और मंजीत की जिस रिले चौकड़ी से ओलंपिक में कम से कम एक पदक की उम्मीद थी, टूट चुकी है। डोप के जाल में आठ एथलीट फंसे हैं। इनमें से तीन सिनी, जौना और रियाना के बी नमूने भी शुक्रवार को पॉजिटिव घोषित किए गए हैं। इन तीनों पर दो-दो साल का प्रतिबंध लग सकता है। डोपिंग के इस दंश का असर अन्य एथलीट्स के मनोबल पर पड़ सकता है। आशंका जताई जा रही है कि 2012 ओलंपिक से पहले खेलों की तैयारियां कहीं पटरी से न उतर जाएं। करीब एक दशक की मशक्कत के बाद तैयार रिले टीम के साथ कोच, विशेषज्ञ और डाक्टर जुड़े हुए थे, जो भविष्य में मध्यम दूरी के अन्य एथलीट्स के लिए भी उपयोगी साबित होते। अब वह कड़ी साफ हो चुकी है। खेल कैम्पों में उत्साह का माहौल गायब हो चुका है। खिलाड़ी इस आशंका से ग्रस्त हैं कि इंटरनेशनल खेल से पहले उन्हें डोपिंग की निगेटिव इमेज से गुजरना पड़ेगा।
खिलाड़ी शायद ही जानते हों कि किस दवा का क्या असर होता है। कई विशेषज्ञ और नामी खिलाड़ी अरसे से इसके लिए फैडरेशन और डाक्टरों के अलावा मुख्य रूप से कोच को ही जिम्मेदार बताते रहे हैं। खिलाड़ियों को स्टेरॉयड लेने के लिए प्रेरित करने के मामले में अक्सर कोच ही जिम्मेदार पाए गए हैं। खासतौर पर विदेशी कोच जो खुद को सिर्प रिजल्ट तक सीमित रखते हैं और जिन्हें देश की बदनामी से कोई मतलब नहीं होता। डोपिंग का ताजा मामला यह बताता है कि अभी ऐसी व्यवस्था नहीं बन सकी है कि खिलाड़ी प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन न कर सकें। जिस तरह डोपिंग के मामले रह-रहकर सामने आ रहे हैं उन्हें देखते हुए यह दावा करना हास्यास्पद ही होगा कि भारत एक खेल शक्ति के रूप में दुनिया में उभर रहा है?
Tags: Anil Narendra, Athlete, Daily Pratap, Doping Test, Vir Arjun

No comments:

Post a Comment