ब्रिटेन के सनसनीखेज खबरों का पर्याय बन चुका `न्यूज ऑफ द वर्ल्ड' रविवार को इतिहास बन गया। इस इतिहास में कुछ वाकया खबरनवीसों के लिए फिक्र करने वाले हैं तो कुछ शर्म से सिर झुका देने वाले। लेकिन यह अन्त वाकई अफसोसजनक है। आखिरी वक्त में टेबलॉयड ने भी माना कि वह अपनी राह से भटका, जहां से वापस आना नामुमकिन था। सालों तक दुनिया के कई देशों में शासन करने वाले ब्रिटेन में `न्यूज ऑफ द वर्ल्ड' उन चुनिन्दा प्रकाशनों में था, जिसने उपनिवेशवाद की लौ देखी तो इसके बुझने का भी गवाह बना। 168 साल के इतिहास का गवाह रहा यह अखबार आज खुद हमेशा के लिए तारीख का हिस्सा बन गया। इस टेबलॉयड का संचालन करने वाली कम्पनी `न्यूज इंटरनेशनल' के अध्यक्ष जेम्स मकोर्ड ने फोन हैकिंग प्रकरण में फंसने के बाद इसे बन्द करने का फैसला किया। मकोर्ड ने फोन हैकिंग प्रकरण के कारण इस 168 साल पुराने और करीब 75 लाख पाठक संख्या होने के बावजूद इस अखबार को बन्द करना ही बेहतर समझा। टेबलॉयड के अंतिम संस्करण के मुख्य पृष्ठ पर शीर्षक था, शुक्रिया और अलविदा। सम्पादकीय में कहा गया कि पिछले डेढ़ दशक से यह टेबलॉयड ब्रिटेन के लोगों की जरूरत का हिस्सा बन गया था। इस अखबार ने 168 वर्षों में छह राजाओं का दौर देखा। इसमें कहा गया कि हमने इतिहास को जिया है। हमने इतिहास देखा और हमने इतिहास बनाया, पुराने जमाने से लेकर डिजिटल युग तक। अंतिम सम्पादकीय में कहा गया कि हमने महारानी विक्टोरिया के निधन, टाइटैनिक जहाज के डूबने, दो विश्व युद्ध, 1996 विश्व कप जीत, चन्द्रमा पर पहला व्यक्ति, डायना की मौत सहित कई मुद्दों को रिकार्ड किया। इसमें कहा गया कि इस टेबलॉयड ने कई प्रकरण और सैलेब्रिटी के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए। सम्पादकीय में कहा गया कि सीधी बात है, हम राह से भटक गए। मीडिया युगल रुपर्ट मकोर्ड की मशहूर शख्सियत ने 80 साल की उम्र में वाकई चुनौतीपूर्ण फैसला किया है। इतने सफल प्रकाशन के बाद छोटी-छोटी गलतियों के लिए टेबलॉयड को इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा। यह फैसला तमाम प्रिंट मीडिया के लिए सबक है कि खोजी पत्रकार की भी सीमा होती है, उन सीमाओं को लांघने के परिणाम घातक भी हो सकते हैं।
Tags: Anil Narendra, Daily Pratap, News Of The World, Rupert Murdoc, Vir Arjun
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