Friday 8 July 2011

देवड़ा के सामने कुर्सी छोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 8th July 2011
अनिल रेन्द्र
कम्पनी मामले के मंत्री मुरली देवड़ा ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर मनमोहन मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने की पेशकश की है। उन्होंने अपनी पेशकश में कहा है कि वह अब पार्टी की सेवा करना चाहते हैं और उनकी जगह उनके सुपुत्र मिलिन देवड़ा को मंत्रिमंडल में स्टेट मिनिस्टर की हैसियत से शामिल किया जाए। मुरली देवड़ा के इस्तीफे के पीछे असल कारण और ही हैं। उन्होंने यूं ही इस्तीफा नहीं दिया। बतौर पेट्रोलियम मंत्री रिलायंस पेट्रोलियम को लाभ पहुंचाने की उनकी भूमिका पर नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ओर से सवाल के बाद उनका जाना तय था। उसके संकेत उन्हें मिल चुके थे। 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले की तरह कैग ने रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित किए जा रहे केजीडी-6 तेल क्षेत्र की लागत बेतहाशा बढ़ाकर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने पर अंगुली उठाई है। कैग रिपोर्ट के अनुसार सरकार को अम्बानी बंधु चला रहे हैं, संप्रग नहीं। यह इस सरकार में खुलेआम हो रही लूट का परिचायक है। कैग रिपोर्ट में लागत बढ़ने की अवधि के दौरान पेट्रोलियम मंत्रालय में अम्बानी समर्थक मुरली देवड़ा मंत्री थे। सरकार इस मामले में किसी भी कार्रवाई से बचने अथवा देरी करने की पूरी कोशिश कर रही है और इस सरकार के बचे हुए तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान अम्बानी बंधुओं को पूर्ण संरक्षण मिलता रहना तय है। कैग ने केजीडी-6 क्षेत्र की लागत में भारी-भरकम बढ़ोतरी पर आपत्ति उठाई है। सीबीआई ने भी 2009 में आरोप लगाए थे कि हाइड्रोकार्बन महानिदेशक वीके सिब्बल ने आरआईएल को फायदा पहुंचाते हुए केजीडी-6 क्षेत्र की लागत 2.4 बिलियन डालर से बढ़ाकर 8.8 बिलियन डालर की अनुमति दी थी। सितम्बर और दिसम्बर 2006 में यह अनुमति दी गई थी और सीबीआई पीआर संख्या 6(ए) 2009 के जरिये सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक यूनिट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को व्यक्तिगत फायदा, सेवाओं के सन्दर्भ में दायर की गई थी। इन सबके बावजूद मनमोहन सिंह में अम्बानी या फिर किसी उद्योगपति के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है। इसलिए अम्बानी कैग की रिपोर्ट या किसी अन्य एजेंसी की रिपोर्ट से नहीं डरते, उनके हाथ बहुत लम्बे हैं।
कैग की जिस रिपोर्ट में मुरली देवड़ा पर अंगुली उठाई गई है, सरकार संसद के आगामी सत्र में उसे अपने लिए नई मुसीबत के रूप में देख रही है। बताते हैं कि उसे यह डर सता रहा है कि विपक्ष उसे जरूर मुद्दा बनाएगा और संसद में सरकार की फजीहत हो सकती है। लिहाजा पार्टी ने उन्हें (मुरली देवड़ा को) खुद ही हटने के संकेत पहले ही दे दिए थे। गौरतलब है कि मुरली देवड़ा ने मंत्री पद उस समय छोड़ा है जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देने में लगे हैं। मुरली देवड़ा ने जो कुछ करना था, कर लिया है, अब उनके बेटे को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है या नहीं यह बहुत-सी अन्य बातों पर निर्भर करता है। मुरली देवड़ा के कार्यकाल में अम्बानी बंधुओं का टकराव, तेल की रिकार्ड कीमतें, केयर्न-वेदांता सौदे में देरी खास बातें रहीं। जब अम्बानी बंधुओं के बीच टकराव चरम पर था तब अनिल अम्बानी ने बतौर पेट्रोलियम मंत्री देवड़ा पर रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था। बताते हैं कि देवड़ा ने कुछ हफ्ते पहले कांग्रेस आलाकमान के सामने अपना इस्तीफा रखा था। इस्तीफा स्वीकार किया गया है या नहीं, इसको लेकर अभी संशय की स्थिति है। अब दयानिधि मारन का नम्बर है।
Tags: Anil Narendra, CAG, Congress, Daily Pratap, Manmohan Singh, Mukesh Ambani, Murli Deora, Sonia Gandhi, Vir Arjun

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