Friday, 1 July 2011

भाजपा के विधानसभा उपचुनाव में सफलता के कारण

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 1st July 2011
अनिल रेन्द्र
दो राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पाटा ने दोनों सीटों पर सफलता अर्जित की है। मध्य प्रादेश की जबेरा सीट पर भाजपा के दशरथ लोधी ने कांग्रोस की डॉ. तान्या सालोमन को 11,738 वोटों के अन्तर से हराया।
भाजपा ने यह सीट कांग्रोस से छीनी है। उधर बिहार में पूर्णिया सदर सीट पर भाजपा की किरण केसरी ने कांग्रोस के रामचरित्र यादव को 23,665 वोटों से पराजित किया। इस सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार है। इन शानदार सफलताओं से एक बार फिर साबित होता है कि कांग्रोस की छवि और स्थिति कितनी खराब हो गईं है। इसका एक और महत्वपूर्ण कारण है इन राज्यों में सशक्त नेतृत्व। भाजपा शासित राज्यों में अच्छी छवि का सबसे बड़ा कारण है वहां पाटा का नेता। पाटा के नेता की छवि स्वच्छ, ईंमानदार, जनता के प्राति संवेदनशील, नौकरशाह पर वंट्रोल और सही प्राथमिकताओं को रखना अति आवश्यक है। नेता कार्यंकर्ता को अपने पास रखे और सत्ता में उनसे भागीदारी करे। मुझे बीजेपी के कर्मठ और हार्ड कोर कायकर्ता ने एक पते की बात बताईं। उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रोस में एक बड़ा बुनियादी फर्व क्या है? कांग्रोस जब सत्ता में आती है, तो सत्ता का सुख, लाभ, पुरस्कार अपने कार्यंकर्ताओं से बांटते हैं यानि कार्यंकर्ता को सत्ता का लाभ मिलता है। दूसरी ओर भाजपा नेता चुनाव से पहले तो कार्यंकर्ता को माईं-बाप बना लेते हैं और चुनाव जीतने के बाद जब सत्ता सुख बांटने की बारी आती है तो वह अपने एयरवंडीशन ड्राइंग रूम में बन्द होकर रह जाते हैं, कार्यंकर्ता उनके घर, कार्यांलय में घुस भी नहीं सकता। वह सत्ता सुख, सत्ता के लाभ, प्रासाद खुद ही भोगना चाहते हैं, कार्यंकर्ताओं से बांटने को तैयार नहीं होते। यही वजह है कि अगले चुनाव में वह कार्यंकर्ता घर बैठ जाता है और कहता है कि हमारी बला से यह जीते या हारे, हमें क्या लेना-देना है? दूसरी ओर कांग्रोस का कार्यंकर्ता अगले चुनाव में पूरा दमखम लगा देता है। इसलिए क्योंकि अपने नेता को जिताने में उसका भी स्वार्थ जुड़ा होता है। जब तक भाजपा वेंद्रीय नेतृत्व को यह साधारणसी बात समझ नहीं आती वह शायद ही सत्ता में आ सवें। अगर मध्य प्रादेश, बिहार या गुजरात में भाजपा को इतनी सफलता मिल रही है तो उसका एक बड़ा कारण है वहां पाटा का मुख्यमंत्री। आम कार्यंकर्ता अपने आपको अपने नेता से आइडेंटीफाईं करता है और उसे मालूम है कि उसे कोईं भी समस्या होगी या उसका कोईं काम होगा तो वह अपने नेता पर भरोसा कर सकता है।
कांग्रोस में वुछ नेता चाहे जितनी भी विपरीत हवा हो, चुनाव जीत जाते हैं क्योंकि उनके कार्यंकर्ता उन्हें जिताने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं।
आज भारतीय जनता पाटा के वेंद्रीय नेतृत्व में इतनी गुटबाजी है, प्राधानमंत्री बनने की होड़ लगी हुईं कि उन्हें सिवाय अपना जोड़तोड़ करने की किसी को पुर्सत नहीं है। एक-दूसरे की टांग खींचना, नम्बर घटाने के खेल में यह दिन-रात जुटे हुए हैं। यह बात मैं अकेला नहीं कह रहा, खुद पाटा के दिग्गज नेता श्री लाल वृष्ण आडवाणी ने हाल ही में कही है। पूर्व उपप्राधानमंत्री और भारतीय जनता पाटा संसदीय दल के अध्यक्ष लाल वृष्ण आडवाणी ने कहा है कि ईंमानदारी के मामले में पाटा की साख गिरी है। उन्होंने कहा कि पाटा में गुटबाजी अब तेजी से बढ़ रही है। इससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। भाजपा के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार आडवाणी ने दिल्ली नगर निगम के भाजपा पार्षदों के लिए दिल्ली के छतरपुर मंदिर में आयोजित प्राशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र में कहा कि पाटा का निगम के कामों में तो प्रादर्शन अच्छा नहीं रहा है, ईंमानदारी के मामले में पाटा की साख गिरी है। इस मामले में उन्होंने अहमदाबाद नगर निगम की तारीफ करते हुए कहा कि वहां ईंमानदारी से काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रादेश भाजपा में पहले भी गुटबाजी थी, अब यह गुटबाजी और बढ़ रही है। उन्होंने साफ कहा कि पाटा की साख गिराने के लिए खुद पाटा के वुछ नेता जिम्मेदार हैं। आडवाणी जी ने बेशक यह बातें दिल्ली प्रादेश भाजपा नेताओं के लिए कही हों पर इशारे- इशारे में वे एक तीर से कईं शिकार कर गए हैं। आज की आवश्यकता यह है कि भाजपा के वेंद्रीय नेतृत्व के दूसरी पंक्ति के नेता प्राधानमंत्री बनने का सपना छोड़े और भाजपा ऐसे व्यक्ति को पीएम के तौर पर प्राोजेक्ट करे जो पूरी पाटा को साथ लेकर चल सके। वर्तमान नेतृत्व में मुझे तो ऐसे तीन ही विकल्प नजर आते हैं जिन्हें अनुभव है, जो ईंमानदार छवि के हैं, जो पाटा कार्यंकर्ताओं को साथ लेकर चला सकते हैं, जिनमें अहंकार इतना नहीं आया कि वह अपनी जमीन ही भूल जाएं—ये हैं श्री लाल वृष्ण आडवाणी, श्री मुरली मनोहर जोशी और श्री नरेन्द्र मोदी।
Tags: Anil Narendra, Bihar, BJP, Daily Pratap, L K Advani, Madhya Pradesh, Murli Manohar Joshi, Narender Modi, Vir Arjun

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