मध्य प्रदेश के इंदौर जिले से एक चौंकाने वाली खबर आई है। यहां सर्जरी करके बच्चियों को लड़का बनाए जाने की खबर आई है। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार इंदौर में हर साल सैकड़ों की तादाद में पांच साल तक की बच्चियों को जैनिटोप्लास्टी नामक सर्जरी से बेटों में तब्दील किया जा रहा है। एनसीपीसीआर ने इंदौर में किए जा रहे इस कुकृत्य को सरासर बाल अधिकारिकता का हनन माना। आयोग का मानना है कि इससे समाज में लिंगभेद की भावना को बढ़ावा मिलेगा। आयोग ने मध्य प्रदेश से न सिर्प इन सारे मामलों की जांच की रिपोर्ट मांगी है बल्कि इन कामों में शामिल डाक्टरों की लिस्ट के साथ-साथ उनके खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी मांगी है। इंदौर के चीफ मेडिकल एण्ड हैल्थ ऑफिसर डॉ. शारदा पंडित के हवाले से बच्चों पर लिंग परिवर्तन के लिए किसी भी तरह की सर्जरी किए जाने की बात से हालांकि इंकार किया है। उन्होंने कहा कि शहर में ऐसे 10 अस्पताल हैं जहां पर बच्चों के अविकसित यौन अंगों के इलाज के लिए प्लास्टिक सर्जरी की जा सकती हैं। यहां ऐसा कोई सरकारी अस्पताल नहीं जहां मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम के तहत ऐसी कोई सर्जरी की जा सके। वैसे भी एक स्वस्थ और सामान्य बच्चे या बच्ची का सेक्स चेंज नहीं किया जा सकता। यह मुमकिन नहीं है।
बेटियों के खिलाफ सामाजिक दुराग्रह और चिकित्सा विज्ञान का दुरुपयोग किस तरह हो सकता है, इस रिपोर्ट से पता चलता है। इंदौर के कुछ प्लास्टिक सर्जन हर साल ऐसे सैकड़ों ऑपरेशन करते हैं जिनमें एक से पांच साल की बच्चियों के जननांगों को पुरुष जननांगों में बदला जाता है। जाहिर तौर पर इसमें कोई नैतिक या कानूनी दिक्कत नहीं है। नैतिक इसलिए, क्योंकि जिन बच्चियों का ऑपरेशन किया जाता है, वे कथित रूप से `इंटर सेक्स' होती हैं यानि उनके अंदरुनी जननांग पुरुषों के होते हैं और बाह्य जननांग स्त्रियों के। डाक्टरों का दावा यह है कि वे तो बच्चे को उसकी असली पहचान दे रहे हैं ताकि भविष्य में वह अपने लिंग के बारे में भ्रम और उलझन में न रहें। इसमें कानूनी दिक्कत इसलिए नहीं है, क्योंकि भारत में इसके बारे में कोई कानून नहीं बना है।
हमारी राय में इस तरह के ऑपरेशन अगर धड़ल्ले से वाकई ही हो रहे हैं तो यह न तो सामाजिक दृष्टि से, न नैतिक दृष्टि से और न ही वैधानिक दृष्टि से जायज हैं। फिर यह कुदरत को एक तरह से चुनौती देने वाले भी हैं पर अगर यह हो रहे हैं तो जाहिर-सी बात है कि माता-पिता की स्वीकृति के बाद ही हो रहे हैं। इसलिए उनका भी दोष कम नहीं है। हमारे समाज में बच्चियों को पैदा होते ही कई जगह मार दिया जाता है। दोष समाज का भी है। फिर अब तक तो सिर्प पूर्व लिंग निर्धारण और गर्भपात की ही समस्या सामने आती थी, अब यह चिकित्सा विज्ञान का उतना ही भयावह दुरुपयोग है। इन ऑपरेशनों के लिए अपनी बेटियों को ले जाने वाले मां-बाप बेटा पाने की लालच में अपनी संतानों का जीवन नरक कर रहे हैं और पैसा कमाने के लिए डाक्टरों ने भी सारी हदें पार कर दी हैं। यह जरूरी है कि ऐसे ऑपरेशनों पर अविलम्ब कानूनी पाबंदी लगे और समाज में ऐसे मां-बाप व डाक्टरों, अस्पतालों के खिलाफ माहौल बनाया जाए और बच्चियों को बचाया जाए।
Tags: Anil Narendra, Daily Pratap, Sex Change, Vir Arjun
बेटियों के खिलाफ सामाजिक दुराग्रह और चिकित्सा विज्ञान का दुरुपयोग किस तरह हो सकता है, इस रिपोर्ट से पता चलता है। इंदौर के कुछ प्लास्टिक सर्जन हर साल ऐसे सैकड़ों ऑपरेशन करते हैं जिनमें एक से पांच साल की बच्चियों के जननांगों को पुरुष जननांगों में बदला जाता है। जाहिर तौर पर इसमें कोई नैतिक या कानूनी दिक्कत नहीं है। नैतिक इसलिए, क्योंकि जिन बच्चियों का ऑपरेशन किया जाता है, वे कथित रूप से `इंटर सेक्स' होती हैं यानि उनके अंदरुनी जननांग पुरुषों के होते हैं और बाह्य जननांग स्त्रियों के। डाक्टरों का दावा यह है कि वे तो बच्चे को उसकी असली पहचान दे रहे हैं ताकि भविष्य में वह अपने लिंग के बारे में भ्रम और उलझन में न रहें। इसमें कानूनी दिक्कत इसलिए नहीं है, क्योंकि भारत में इसके बारे में कोई कानून नहीं बना है।
हमारी राय में इस तरह के ऑपरेशन अगर धड़ल्ले से वाकई ही हो रहे हैं तो यह न तो सामाजिक दृष्टि से, न नैतिक दृष्टि से और न ही वैधानिक दृष्टि से जायज हैं। फिर यह कुदरत को एक तरह से चुनौती देने वाले भी हैं पर अगर यह हो रहे हैं तो जाहिर-सी बात है कि माता-पिता की स्वीकृति के बाद ही हो रहे हैं। इसलिए उनका भी दोष कम नहीं है। हमारे समाज में बच्चियों को पैदा होते ही कई जगह मार दिया जाता है। दोष समाज का भी है। फिर अब तक तो सिर्प पूर्व लिंग निर्धारण और गर्भपात की ही समस्या सामने आती थी, अब यह चिकित्सा विज्ञान का उतना ही भयावह दुरुपयोग है। इन ऑपरेशनों के लिए अपनी बेटियों को ले जाने वाले मां-बाप बेटा पाने की लालच में अपनी संतानों का जीवन नरक कर रहे हैं और पैसा कमाने के लिए डाक्टरों ने भी सारी हदें पार कर दी हैं। यह जरूरी है कि ऐसे ऑपरेशनों पर अविलम्ब कानूनी पाबंदी लगे और समाज में ऐसे मां-बाप व डाक्टरों, अस्पतालों के खिलाफ माहौल बनाया जाए और बच्चियों को बचाया जाए।
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