Sunday 10 July 2011

आमिर खान तुमने डेल्ही बेली फिल्म क्या सोच कर बनाई?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 10th July 2011
अनिल नरेन्द्र
पिछले कई दिनों से आमिर खान की फिल्म `डेल्ही बेली' काफी चर्चा में है। फिल्म के डायलॉग, सीन और गाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। मैंने आखिर इस फिल्म को देखने, समझने के लिए हिम्मत जुटाई। मैंने फिल्म देखी और मुझे फिल्म देखकर बहुत दुख हुआ। मुझे आमिर खान से ऐसी बेहूदा फिल्म बनाने की कभी उम्मीद नहीं थी। फिल्म में बैठना मुश्किल हो गया। फिल्म की न तो कोई कहानी है और न ही कोई तुक। न तो यह कामेडी है, न गैंगस्टर फिल्म और न ही पारिवारिक फिल्म। कहा जा रहा है कि इसीलिए इसे एडल्ट फिल्म का सर्टिफिकेट दिया गया है ताकि युवा और बच्चे इसे न देख सकें पर सभी जानते हैं कि कितने सिनेमा हॉलों में यह कानून सख्ती से लागू होता है? क्या कानपुर, पटना, रिवाड़ी या पटियाला जैसे शहरों में सिनेमाघरों में युवाओं को जाने से कोई रोकता है? इसका एडल्ट फिल्म होने का कोई बहाना नहीं है। फिल्म के कुछ सीन किसी पोर्नोग्राफी फिल्म से मिलते हैं। डायलॉगों में इतनी गालियां हैं कि दर्शक को शर्म आ जाती है। हो सकता है कि आज की युवा पीढ़ी को यह सब अच्छा लगता हो पर सवाल यह उठता है कि हम ऐसी फिल्में दिखाकर आखिर कहां ले जाना चाहते हैं युवा पीढ़ी को? कहा यह भी जा रहा है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस से तो प्रड्यूसर, डिस्ट्रीब्यूटर का संबंध होता है। मैंने कभी भी फिल्म को इसलिए नहीं देखा कि वह बॉक्स ऑफिस में सुपर हिट है। युवा पीढ़ी को यह फिल्म बहुत भा रही है। आमिर खान अगर पूरी पोर्नो फिल्म बना देते तो शायद इससे भी ज्यादा हिट होती और ज्यादा पसंद की जाती। सवाल उन्हें यह पूछना चाहिए कि कहां तो उन्होंने लगाने, रंग दे बसंती जैसी महान फिल्में बनाईं और कहां यह कूड़ा-करकट? आमिर खान जी आप अपने बच्चों को क्या संस्कार देना चाहते हैं?
विद्यार्थी जीवन निर्णायक भूमिका अदा करता है, लेकिन आज भी छात्र-छात्राओं के मामले में वातावरण, सिनेमा, टीवी अपना अलग-अलग प्रभाव रखते हैं। इस दौर में शक्ति, ऊर्जा, योग्यता की सम्भावनाएं भरपूर रहती हैं और माता-पिता के साथ समाज तथा राष्ट्र भी इस युवा पीढ़ी को देखकर सजग होता है। इस निर्णायक दौर में पढ़ाई-लिखाई के साथ श्रेष्ठ विचार, श्रेष्ठ प्रवृत्ति और संस्कार सोने पर सुहागा जैसे हैं, लेकिन इनके लिए माहौल मिलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। सिनेमा युवाओं पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। डेल्ही बेली जैसी फिल्मों से हम अपनी युवा पीढ़ी को आखिर क्या संस्कार देना चाहते हैं? यह संस्कार ही युवा के जीवन के अन्त तक काम आते हैं। क्या हमें इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिए? या फिर केवल फिल्म हिट होने से ही आपका संबंध रह गया है? अगर केवल बॉक्स ऑफिस को ही देखा जाए तो शायद डेल्ही बेली फिल्म में डीके बोस गाने, गालियों के इस्तेमाल और अश्लीलता फैलाने का आरोप बेमानी नजर आएगा। आमिर खान ने दिल्ली में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में जब यह कहा कि पिछले तीन दिनों में फिल्म ने 26 करोड़ का व्यवसाय किया है, तो उनका यही मतलब रहा होगा। मैं भारत के सेंसर बोर्ड से सवाल करना चाहता हूं कि आपने इस फिल्म को सर्टिफिकेट क्यों दिया? डीके बोस भाग-गाना इतना भागा है कि बोल अश्लील और भद्दे होने के बावजूद अब रुकने वाला नहीं। सूचना प्रसारण मंत्रालय ने भी सेंसर बोर्ड से पूछा है कि आखिर कैसे इस गाने को पास कर दिया गया जबकि इस गाने में साफतौर पर गालियों की भरमार है। सूचना प्रसारण मंत्रालय को सेंसर बोर्ड से यह भी पूछना चाहिए कि उसने इस फिल्म को किस आधार पर, क्या सोचकर सर्टिफिकेट दिया। हो सकता है कि वह जवाब दे कि इसीलिए हमने इसे एडल्ट फिल्म का सर्टिफिकेट दिया है पर देश के कितने एडल्ट फिल्म देख रहे हैं? सेंसर बोर्ड के सदस्य, पत्रकार और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव पंकज शर्मा भी इस फिल्म और आमिर खान से नाराज हैं। नाराजगी का आलम यह है कि वह खुद के सेंसर बोर्ड के सदस्य होने पर अफसोस जता रहे हैं। वह कहते हैं कि समाज में कई सामाजिक बुराइयां भी हैं तो क्या हम उन्हें भी फिल्मों के जरिये प्रचारित करेंगे। जैसे आमिर खान इस फिल्म के माध्यम से गालियों और अश्लीलता का प्रचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि मैंने इस फिल्म पर अपनी लिखित आपत्ति सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के सामने रखी है। मैं मांग करता हूं कि इस फिल्म पर सेंसर बोर्ड और सूचना प्रसारण मंत्रालय को फिर से सोचना चाहिए। यह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
फिल्मों का युवाओं पर सीधा असर पड़ता है। फिल्म की बात तो छोड़िए टीवी सीरियलों का भी असर पड़ता है। पिछले दिनों दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने सीआईडी सीरियल देखकर प्रेमी को रास्ते से हटाने के लिए ऐसी खूनी साजिश रची कि पुलिस भी चकरा गई। महिला की शिनाख्त कृष्णा (43) के रूप में हुई। कृष्णा ने अपने प्रेमी की डेढ़ लाख में सुपारी दी, उसे अपने साथ मुंबई से दिल्ली लेकर आई। यहां भाड़े के हत्यारे को कमरा दिलवाया। प्रेमी को उसके यहां लेकर गई और शराब में नशे की गोलियां मिलाकर पिलाने के बाद उसका कत्ल कर वहां से फरार हो गई। यह पूरा एपीसोड उसने सीआईडी सीरियल में देखा था जिस पर अमल कर दिया। जिस समय डेल्ही बेली रिलीज हुई थी उसी समय अमिताभ बच्चन की बुड्ढा होगा तेरा बाप भी रिलीज हुई थी। यह कितनी साफ-सुथरी फिल्म है। उनके एंग्री यंग मैन वाली पुराने अन्दाज को नए रूप में दिखाने का अच्छा प्रयास है। जरा स्टारडम के दायरे से बाहर निकलकर देखें तो इस फिल्म में नई सोच को, एक नई दृष्टि को हमारे सामने रखा है। आमतौर पर फिल्मी कहानियां अतिरंजना में जाकर यथार्थ को छूने की कोशिश करती हैं और इसी में उनका सौंदर्य भी है, लेकिन इस फिल्म में वह कई बार हमारे जीवन के ऐसे किसी पहलू को उजागर कर देती हैं, जो सामान्य जरिये से हमें नहीं दिखता। `बुड्ढा होगा तेरा बाप' में एक बुजुर्ग अपराधियों से निपटता है, समाज को गलत तत्वों से बचाने की कोशिश करता है। एक तरह से फिल्म एक बुजुर्ग के आत्मविश्वास और उसकी जवाबदेही के भाव को दिखाती है। डेल्ही बेली आमिर खान की क्या जवाबदेही दर्शाती है? डबल मीनिंग डायलॉग हॉट सीन और गालियों भरे गाने को लेकर इस फिल्म पर बैन लगाने की मांग को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आमिर खान को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नोटिस का जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक का वक्त दिया है। याचिका दाखिल करने वाले डाक्टर अजय सेठ का कहना है कि लोग, खासतौर से यूथ, आमिर को एक्टिंग की दुनिया का भगवान मानते हैं और उन्होंने कई प्रेरणादायक फिल्में भी बनाई हैं। लेकिन उनकी प्रोड्यूस की गई फिल्म डेल्ही बेली अश्लील है और इसमें गालियों का भी इस्तेमाल किया गया है जो कि इंडियन कल्चर के खिलाफ है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इसमें कुछ `ब्लू फिल्म' जैसे सीन होने के बावजूद सेंसर बोर्ड ने इसे क्लीयर कर दिया। इससे पहले भारी विरोध के कारण नेपाल में भी इस फिल्म को बैन कर दिया गया था। मैं युवा पीढ़ी से क्षमा चाहूंगा, मेरे दकियानूसी विचारों से वह शायद सहमत न हों।
Tags: Aamir Khan, Anil Narendra, Daily Pratap, Delhi Belly, Vir Arjun

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