Friday, 15 July 2011

एक बार फिर मुंबई बनी आतंकियों का निशाना

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 15th July 2011
अनिल नरेन्द्र
पिछले काफी समय से भारत पर कोई आतंकी हमला नहीं हुआ था। हमले तो होते रहे पर कोई सीरियल टाइप के ब्लास्ट नहीं हुए थे। यूं तो तीन दिन पहले असम के कामरूप (ग्रामीण) जिले के रांगिया के पास एक विस्फोट के बाद गुवाहाटी-पुरी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी पर उसके पीछे स्थानीय विद्रोहियों का हाथ था। इस दुर्घटना में 50 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे पर बुधवार को मुंबई में जैसा आतंकी हमला हुआ, ऐसा हमला काफी दिनों के बाद हुआ है। हम भूल गए थे कि ऐसे हमले हो सकते हैं। शायद यही वजह थी कि हमारी खुफिया एजेंसियों को इस सिलसिलेवार धमाकों के बारे में कोई भनक न लग सकी। गृह मंत्रालय ने माना है कि मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बारे में केंद्र या राज्य सरकार के खुफिया तंत्र को जरा भी भनक नहीं लग सकी। बुधवार शाम मुंबई की भीड़ भरी जगहों पर हुए इन तीन धमाकों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पिछले छह महीने के दौरान देश में कोई आतंकी वारदात नहीं होने के बाद सुरक्षा-खुफिया तंत्र काफी हद तक शिथिल हो गया था। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बुधवार की शाम भीड़भाड़ वाले तीन स्थानों पर 10 मिनट के अन्दर तीन धमाके हुए जिसमें 21 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। सांताकूज में एक जिन्दा बम भी मिला जो फटा नहीं था। पिछले 18 साल में बुधवार को 14वीं बार मुंबई आतंकी हमले का शिकार हुई। शाम करीब 6ः15 बजे झावेरी बाजार स्थित चांदी के आभूषणों के व्यापारी दीपक सेन ने अपने नौकर से भेल मंगवाई। वह भेल की पुड़िया खोल ही रहा था कि एक जोरदार धमाके ने उनकी दुकान की ट्यूबलाइटें एवं शोकेस के कांच को झनझना कर तोड़ दिया। सेन ने आग का एक बड़ा-सा गोला ऊपर की ओर जाते देखा, सामने की खान-पान की दुकानें आग पकड़ चुकी थीं। सामने सड़क पर खड़े पापड़ बेच रहे खोमचे वाले के परखच्चे उड़ गए थे। तीन दर्जन से ज्यादा लोग बुरी तरह झुलसकर जमीन पर गिर पड़े थे। लोक इधर-उधर भाग रहे थे। लेकिन कुछ ही पलों में लोग फिर सजग हो गए और जमीन पर पड़े घायलों को लेकर उपलब्ध साधनों से ही निकट के जीटी अस्पताल की ओर ले जाने लगे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार झावेरी बाजार में सिर्प कुछ पलों के अन्तर से दो धमाके हुए। बताया जाता है कि ये दोनों धमाके एक मोटरसाइकिल एवं एक स्कूटर में रखे विस्फोट से हुए। लगभग यही दृश्य कुछ मिनटों के अन्दर पहले ऑपेरा हाउस पर फिर दादर रेलवे स्टेशन के पास दोहराया गया। ऑपेरा हाउस हीरों के कारोबार का न सिर्प भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रमुख केंद्र है। यहां हुआ विस्फोट पंचरत्न बिल्डिंग एवं प्रसाद चैम्बर के बीच टाटा रोड के खाऊ गली में हुआ जबकि दादर का विस्फोट बेस्ट के एक बस स्टॉप की छत पर विस्फोट रखकर किया गया। झावेरी बाजार को पिछले 18 वर्षों में तीसरी बार आतंकी हमले का शिकार होना पड़ा है जबकि दादर और ऑपेरा हाउस में पहली बार विस्फोट किया गया है। बुधवार के विस्फोट में झावेरी बाजार में हुए विस्फोट में सबसे ज्यादा लोग मारे गए एवं घायल हुए हैं। ऐसे मौकों पर जब एक शहर में धमाके हों तो दूसरे बड़े शहरों में दहशत फैल जाती है। मेरे पास कई एसएमएस आए कि दिल्ली के साकेत और डिफेंस कॉलोनी में भी बम मिले हैं। यह सब एक अफवाह थी और दिल्ली में उपर वाले की कृपा से कहीं भी कोई बम नहीं मिला।
अब सवाल आता है कि यह विस्फोट किसने करवाए और क्यों करवाए? जहां तक किसने करवाए इसकी सही जानकारी तो बाद में मिले या शायद कभी भी निश्चित रूप से न मिल सके पर मकसद का थोड़ा अन्दाजा जरूर हो सकता है। जिस तरह से बार-बार झावेरी बाजार को टारगेट बनाया जा रहा है उससे तो लगता है कि बिजनेस को प्रभावित करने का उद्देश्य है। ऑपेरा हाउस भी एक ऐसा ही बिजनेस सेंटर है। दोनों ही जगहों पर भीड़ होती है। विस्फोटों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाने का इरादा साफ झलकता है। मुंबई में सीरियल ब्लास्ट में जैसी तबाही पहले मचती रही है, वैसी इस बार नहीं हो सकी। इसकी वजह विस्फोटों का उतना शक्तिशाली न होना है। इसमें खराब प्लानिंग भी हो सकती है पर चूंकि इन विस्फोटों में आईईडी तकनीक का इस्तेमाल हुआ इसलिए यह कहा जा सकता है कि इसके पीछे किसी बड़े आतंकी संगठन का हाथ है। यह स्थानीय अंडरवर्ल्ड का खेल नहीं है। हो सकता है कि इसके पीछे आईएसआई, लश्कर-ए-तोयबा व दाऊद इब्राहिम गिरोह का हाथ हो? यह किसी ऐसे संगठन ने भी करवाया हो जो भारत-पाक वार्ता में बाधा डालना चाहता हो। पाक से रिश्ते सुधारने के लिए बातचीत का दौर लम्बे वक्त के बाद शुरू हो चुका है, यह हमला उसे तोड़ने की साजिश भी हो सकती है।
अखबारों में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इसके पीछे दाऊद इब्राहिम का हाथ हो सकता है। आईएसआई के इशारे पर हुए इस विस्फोट में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद ने इस काम को अंजाम देने का बीड़ा उठाया। इसमें हिजबुल मुजाहिद्दीन और इंडियन मुजाहिद्दीन ने साथ दिया। सूत्रों के अनुसार बुधवार को मुंबई में हुए आतंकी हमले ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद भारत में कुछ करने के लिए आईएसआई ने दाऊद से कहा। आईएसआई की पहल पर ही दाऊद अपने गुर्गों के साथ चार माह पहले ही लश्कर-ए-तोयबा में सम्मिलित हो गया था। सूत्रों के अनुसार आईएसआई ने दाऊद के कई लोगों को लाहौर के बहावलपुर में हथियार चलाने और कमांडो प्रशिक्षण भी दिलवाया है और प्रशिक्षण अभी भी जारी है। जिस प्रकार मुंबई में विस्फोट हुआ है उसमें कम और मध्यम क्षमता वाले बम का प्रयोग किया गया। इसमें आईईडी का भी इस्तेमाल हुआ है। इस तरह के बम का प्रयोग इंडियन मुजाहिद्दीन करते हैं। हिजबुल की आदत है कि वह बम विस्फोट में किसी हिन्दू धार्मिक स्थल पर मध्यम क्षमता के बम का प्रयोग करता है। मुंबई में झावेरी बाजार में मुंबा बेबी के पास बम फटा है। इसके अलावा हिजबुल प्राय बम विस्फोट में गाड़ी का इस्तेमाल करता है जो मुंबई में हुआ। इंडियन मुजाहिद्दीन एक प्रकार से लश्कर के स्लीपर सेल की तरह काम करता है। आने वाले दिनों में शायद इस पर और जानकारी मिले। भारत की खुफिया और सुरक्षा तंत्र को चुस्त-दुरुस्त करना होगा। ऐसे हमले और भी हो सकते हैं। हमें पूरी तरह से तैयार रहना होगा।
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