Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 26th July 2011
अनिल नरेन्द्र
`नोट के बदले वोट' मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने शुक्रवार को राज्यसभा सांसद अमर सिंह से लगभग साढ़े तीन घंटे पूछताछ की। इस मामले में पहले से ही गिरफ्तार दो आरोपियों संजीव सक्सेना और सुहेल हिन्दुस्तानी से भी आमना-सामना कराया गया। इस तीन घंटे की पूछताछ पर औपचारिक रूप से दिल्ली पुलिस द्वारा कोई ब्रीफिंग अभी तक नहीं हुई है, इसलिए इस दौरान क्या सवाल-जवाब हुए उनके बारे में दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता। हां, समाचार पत्रों में जो रिपोर्ट छपी है उससे थोड़ा अंदाजा हो सकता है कि सवालों की लाइन क्या रही होगी। अमर सिंह शुक्रवार सुबह ही 10ः45 बजे अपनी मर्सीडीज कार में चाणक्यपुरी स्थित अपराध शाखा के इंटर स्टेट सेल पहुंच गए। दोपहर लगभग 12ः50 बजे तक अपराध शाखा के पुलिस अधिकारी अमर सिंह से पूछताछ करते रहे। फिर स्पेशल सेल के अतिरिक्त उपायुक्त एलएन राव भी पहुंच गए। राव पूर्व में भी टेपिंग मामले में अमर सिंह से पूछताछ कर चुके हैं। दोपहर 2ः00 बजे पूछताछ समाप्त होने के बाद वे मीडिया कर्मियों के सवालों का जवाब दिए बिना निकल गए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान अमर सिंह का व्यवहार सामान्य रहा और वे आत्मविश्वास से भरे थे। अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान लगभग 1ः30 बजे सुहेल हिन्दुस्तानी और अमर सिंह का आमना-सामना भी कराया। अमर सिंह ने सुहेल के एक करोड़ रुपये देने के आरोपों समेत सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि संजीव सक्सेना मेरा निजी सचिव रह चुका है। लेकिन जब यह कांड हुआ तब वह एक बसपा नेता का निजी सचिव था। एक छपी रिपोर्ट के अनुसार अमर सिंह ने सभी सवालों का गोलमोल अंदाज में जवाब दिया। दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने अमर सिंह के लिए 15 सवालों की फेहरिस्त तैयार कर रखी थी। पहला सवाल था कि 22 जुलाई, 2008 को संसद में लाए गए एक करोड़ रुपये के सिलसिले में एक खास टेलीफोन पर बातचीत हुई। उस नम्बर वाले शख्स के बारे में वह कितना जानते हैं। दूसरा सवाल कुछ खातों के बारे में पूछा जिनसे कैश फॉर वोट के लिए एक करोड़ रुपये निकाले गए थे। तीसरा सवाल था, 22 जुलाई को सांसद अशोक अर्गल, महावीर सिंह भगोरा, फग्गन सिंह कुलस्ते उनके निवास पर आए थे या नहीं? चौथा सवाल कि सिंह ने अपने पीए संजीव सक्सेना की मुलाकात इन तीनों से करवाई थी या नहीं। सूत्रों के मुताबिक अमर सिंह का फरार ड्राइवर संजय इन मामलों की अहम कड़ी है। घटना के बाद से ही संजय गायब है। छठा सवाल कि क्या अमर सिंह ने 22 जुलाई की सुबह संजय को संजीव के साथ फिरोजशाह रोड भेजा था? अगला सवाल कि रिश्वत के एक करोड़ रुपये बैग में उनके घर पर भरे गए थे? सूत्रों ने बताया कि सवाल नम्बर आठ था, वह एक करोड़ रुपये किसके थे? अमर सिंह ने इसकी जानकारी से इंकार कर दिया तो अगला सवाल संजीव की पूछताछ में आए तथ्य पर दागा गया। पुलिस ने पूछा कि संजीव ने कहा है कि अमर सिंह का ड्राइवर संजय उसे लेकर गया था तो आपको (अमर सिंह) इसकी जानकारी कैसे नहीं है? यह कैसे हो सकता है? अभी तक पूरी तरह लड़खड़ा चुके अमर सिंह से हल्का सवाल करते हुए पुलिस ने पूछा कि वह संजीव सक्सेना को कब से जानते हैं और उसे घटना से संबंधित क्या काम सौंप रखा था। 13वां सवाल फिर सख्त था। पहले सवाल में पूछे गए फोन नम्बर पर वापस लौटते हुए पुलिस ने सवाल दागा कि 19 और 21 जुलाई, 2008 के बीच उस नम्बर पर उनकी कितनी बातचीत हुई, किससे हुई, क्यों और क्या हुई? कॉल डिटेल के मुताबिक अमर सिंह ने उस नम्बर पर उस बीच कई दफा बातचीत की। 15वां और आखिरी सवाल था कि कुलस्ते ने पुलिस को बयान दिया है कि अमर सिंह ने संजीव को सांसदों से मिलवाया। इसमें कितना सच्चाई है?उधर श्री अमर सिंह से चाणक्यपुरी थाने में पूछताछ हो रही थी इधर बहुत से नेताओं की सांसें अटकी हुई थीं। उन्हें यह डर सता रहा था कि पता नहीं अमर सिंह क्या कह दें। अमर सिंह उस्तादों के उस्ताद हैं, वे अपने को बचाने के लिए अंगुली किसी तरफ भी कर सकते हैं। खासकर कांग्रेसी नेताओं में काफी हलचल रही। पूछताछ के बाद कांग्रेसी नेता गम्भीर दिखे। कल तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कह रहे थे कि सुहेल हिन्दुस्तानी के बयान पर कांग्रेस और अमर सिंह जैसी शख्सियत से पूछताछ ठीक नहीं है। सुहेल भाजपा का पिट्ठू और दलाल है। पुलिस दरियाफ्त के बाद ही पार्टी के नेता अहमद पटेल को क्लीन चिट दे दी है। सवाल किया जा रहा है कि पूछताछ से पहले ही पुलिस ने किसी को भी क्लीन चिट किस बिना पर दे दी? कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है। चूंकि मामला कोर्ट के विचाराधीन है इसलिए पार्टी की तरफ से प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है। एक अन्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज दिल्ली के एक कोर्ट ने नोट के बदले वोट में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की भूमिका को नकार दिया है। इसलिए पुलिस बहुत जल्द सच्चाई तक पहुंच जाएगी। यह पूरा खेल भाजपा की तरफ से प्रायोजित था जिससे कांग्रेस और सरकार बदनाम हो।
दूसरी तरफ भाजपा ने दिल्ली पुलिस द्वारा न्यायालय को यह बताए जाने पर कि मामले में कांग्रेस या सपा के किसी नेता के शामिल होने की बात जांच में सामने नहीं आई है पर कहा कि पुलिस का बयान पूरी बेइमानी को छिपाने वाला और जांच के नाम पर धब्बा है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने पुलिस जांच पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि जब पूरी जांच नहीं हुई, मामले से संबंधित लोगों के बयान ही नहीं हुए तो फिर पुलिस इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंच सकती है कि पूरे मामले में लाभान्वित होने वाली कांग्रेस या इस पूरे कांड को अंजाम देने वाली सपा का इसमें कोई हाथ नहीं है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अगर जांच इसी तरह होनी है तो जांच एक छलावा है और पुलिस अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर पूरे मामले में लीपापोती करने की कोशिश कर रही है। जावडेकर ने कहा कि पुलिस की जांच में तेजी वैसे ही उच्चतम न्यायालय के दबाव के बाद आई है लेकिन लगता है कि पुलिस पूरी तरह से राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस मामले में ईमानदारी और कायदे से जांच करे तो 15 दिन के अन्दर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। वैसे भी मामला अदालत में है और अदालत को दिल्ली पुलिस को कनविंस करना होगा कि वह अगर इस निष्कर्ष पर पहुंची है तो किस बिना पर पहुंची है? फिर अदालत के रुख पर निर्भर करेगा कि केस किस दिशा में चलना है। अभी से कुछ भी दावे से कहना शायद गलत होगा।
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