भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र में प्रधानमंत्री सबसे बड़ा होता है। कम से कम होना तो चाहिए पर जब हम अपने प्रधानमंत्री की दशा देखते हैं तो हमें दुख भी होता है और मायूसी भी। डॉ. मनमोहन सिंह न तो जनता के चुने प्रधानमंत्री हैं और न ही राजनीतिज्ञ हैं। नॉन-पॉलिटिकल हैं, यह वह खुद भी मान चुके हैं। अब तो उनके अत्यंत करीबी रहे लोग भी यह कहने लगे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व सहयोगी व प्रेस सलाहकार रहे संजय बारू जो कि प्रधानमंत्री के अतिविश्वस्त रहे हैं और वह प्रधानमंत्री की कार्यशैली से अच्छी तरह परिचित हैं, ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा है कि मनमोहन सिंह के पास कोई राजनीतिक ताकत नहीं है। संजय बारू की टिप्पणी से न केवल प्रधानमंत्री बल्कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के लिए परेशानी होगी जिनके हाथ में सत्ता की डोर है और जो रिमोट से सरकार को संचालित कर रही हैं। संजय बारू मनमोहन सिंह के विश्वासपात्र थे और उन्हें प्रेस सचिव के तौर पर वापस लाना चाहते हैं परन्तु 10 जनपथ ने अपनी टांग अड़ा दी और अपने विश्वस्त हरीश खरे की नियुक्ति प्रधानमंत्री के प्रेस सचिव के तौर पर करवा दी। संजय बारू ने न्यूज चैनल एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि प्रधानमंत्री के पास राजनीतिक सत्ता नहीं और उन्हें अपनी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए जो कि राजनीतिक व्यवस्था की प्रकृति के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। प्रधानमंत्री केवल पार्टी के राजनीतिक नेता ही नहीं बल्कि देश के नेता भी हैं और उनके पास निश्चित ताकत होनी चाहिए ताकि वह कुछ मुश्किल निर्णय सरकार की ताकत से कर सकें। संजय बारू के नियमित सम्पर्प में रहे कुछ वरिष्ठ पत्रकारों के अनुसार संजय बारू मनमोहन सिंह से नियमित मिलते रहे हैं, ने उन्हें सलाह दी कि अपनी स्थिति में सुधार करें, क्योंकि वे पहले ही जनता का विश्वास खो चुके हैं। संजय बारू ने प्रधानमंत्री से यह भी कहा है कि यदि उनकी स्थिति गिरती है तो ऐसे में सोनिया गांधी क्या कर सकती हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह की हुकूमत अपने मंत्रियों तक में नहीं चलती। इसका ताजा उदाहरण तब मिला जब उनके मंत्रिमंडल के एक राज्यमंत्री ने उनके आदेशों को अनदेखा कर दिया। असम में एक ट्रेन के पटरी से उतर जाने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को रेल राज्यमंत्री मुकुल रॉय से दुर्घटनास्थल पर जाने को कहा था पर रॉय ने उनकी बात नहीं मानी और वहां नहीं गए। तृणमूल कांग्रेस नेता ने उनके निर्देश पर ध्यान देने से इंकार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के पास इस मंत्रालय का प्रभार है, न ही उनके पास। रॉय ने कहा कि मैं रेलमंत्री नहीं हूं। प्रधानमंत्री रेलमंत्री हैं। रॉय ने कोलकाता में संवाददाताओं से कहा, `मैं तो बस तीन राज्यमंत्रियों में से एक हूं। प्रधानमंत्री ही रेलमंत्री हैं।' रॉय यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह डाला कि पटरी ठीक कर दी गई है और मुआयना करने के लिए वहां कुछ भी नहीं है। रॉय ने अपनी पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी के साथ जाना ज्यादा जरूरी समझा, बनिस्पत प्रधानमंत्री के आदेश के? ऐसे में मनमोहन सिंह की स्थिति पर दया भी आती है, मायूसी भी होती है।
Tags: Anil Narendra, Daily Pratap, Manmohan Singh, Rail Accident, Vir Arjun
डॉ. मनमोहन सिंह की हुकूमत अपने मंत्रियों तक में नहीं चलती। इसका ताजा उदाहरण तब मिला जब उनके मंत्रिमंडल के एक राज्यमंत्री ने उनके आदेशों को अनदेखा कर दिया। असम में एक ट्रेन के पटरी से उतर जाने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को रेल राज्यमंत्री मुकुल रॉय से दुर्घटनास्थल पर जाने को कहा था पर रॉय ने उनकी बात नहीं मानी और वहां नहीं गए। तृणमूल कांग्रेस नेता ने उनके निर्देश पर ध्यान देने से इंकार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के पास इस मंत्रालय का प्रभार है, न ही उनके पास। रॉय ने कहा कि मैं रेलमंत्री नहीं हूं। प्रधानमंत्री रेलमंत्री हैं। रॉय ने कोलकाता में संवाददाताओं से कहा, `मैं तो बस तीन राज्यमंत्रियों में से एक हूं। प्रधानमंत्री ही रेलमंत्री हैं।' रॉय यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह डाला कि पटरी ठीक कर दी गई है और मुआयना करने के लिए वहां कुछ भी नहीं है। रॉय ने अपनी पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी के साथ जाना ज्यादा जरूरी समझा, बनिस्पत प्रधानमंत्री के आदेश के? ऐसे में मनमोहन सिंह की स्थिति पर दया भी आती है, मायूसी भी होती है।
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